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मोदी को चायवाला कहकर मजाक उड़ाने वालों को गिरिराज सिंह ने दिया करारा जवाब

गुजरात चुनाव के घमासान के बीच युवा कांग्रेस के द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चायवाला कहकर मजाक उडाने की गलती कांग्रेस को मंहगी पड सकती है.

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गिरिराज सिंह
गिरिराज सिंह

गुजरात चुनाव के घमासान के बीच युवा कांग्रेस के द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चायवाला कहकर मजाक उडाने की गलती कांग्रेस को मंहगी पड सकती है. बीजेपी के नेता इस बात पर आगबबूला हैं और उनके तेवर से साफ है कि वो गुजरात चुनाव में इसे मुद्दा जरूर बनाएंगे.

केन्द्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने बुधवार को इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बयान कांग्रेस की मानसिकता को दिखाता है जो गरीब विरोधी है .शायद कांग्रेस ये भूल गई है कि लोकतंत्र में रानी की कोख से पैदा लिया हुआ व्यक्ति नहीं बल्कि जनता के कोख से पैदा लिया हुआ व्यक्ति ही राज करता है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस समय भी राज्य में चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने उन्हें मौत का सौदागर कहा था. उस चुनाव में भी जनता ने कांग्रेस को सबक सिखा दिया था और इस बार भी ऐसा ही होगा. गिरिराज ने याद दिलाया कि कांग्रेस के ही नेता मणिशंकर अय्यर ने भी मोदी को चाय बेचने वाला कहा था और नतीजा क्या हुआ ये सबके सामने हैं. उन्होंने कहा कि अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में उन्होंने चाय बेचने वालों के ऊपर जो घिनौना, नीच प्रहार किया है जनता उसका भी हिसाब करेगी.

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गिरिराज ने कांग्रेस पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मेरा प्रधानमंत्री चाय बेचने वाला है, कम से कम देश बेचने वाला नहीं है. लेकिन अगर इतिहास का पन्ना खुलेगा तो जीप घोटाले से लेकर यूपीए के 2 जी तक के घोटाले सामने आ जाएंगे, लेकिन मोदी के ऊपर कोई दाग नहीं है. गिरिराज ने कहा कि कांग्रेस के लोग अहंकारी हैं और उन्हें लगता है कि नेहरू खानदाम में पैदा हुआ व्यक्ति ही देश पर राज कर सकता है. यही कारण है कि नरेंद्र मोदी जैसा गरीब परिवार का व्यक्ति प्रधानमंत्री हो गया, इस बात को कांग्रेस के लोग अभी तक स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.

तीन तलाक रोकने के लिए कानून लाने के बारे में पूछे जाने पर गिरिराज ने कहा कि उनका साफ मानना है कि तीन तलाक महिलाओं के ऊपर उत्पीड़न है और अगर महिलाओँ के उत्पीड़न रोकने के लिए कानून बनना ही चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मजहबी दबाव में उन्हें इस तरह से तलाक देने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं.

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