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दिल्ली चुनाव लड़ने की तैयारी में जेजेपी, दुष्यंत चौटाला करेंगे रणनीति पर चर्चा

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) हरियाणा के बाद अब दिल्ली चुनाव (Delhi Elections) लड़ने की तैयारी में है. दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने एक कमेटी भी गठित की है. जननायक जनता पार्टी के नेता और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को दिल्ली में बैठक बुलाई है.

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जननायक जनता पार्टी प्रमुख दुष्यंत चौटाला (फाइल फोटो-PTI)
जननायक जनता पार्टी प्रमुख दुष्यंत चौटाला (फाइल फोटो-PTI)

  • दिल्ली में भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है जेजेपी
  • दुष्यंत ने दिल्ली में बैठक बुलाई, रणनीति पर चर्चा

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) हरियाणा के बाद अब दिल्ली में भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है. दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने एक कमेटी भी गठित की है. जननायक जनता पार्टी के नेता और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को दिल्ली में बैठक बुलाई है.

पार्टी की यह महत्वपूर्ण बैठक शनिवार दोपहर 3 बजे चाणक्यपुरी स्थित हरियाणा निवास में होगी. इस बैठक में दिल्ली चुनाव को लेकर पार्टी द्वारा गठित कमेटी से विचार विमर्श किया जाएगा.

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हरियाणा में बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद अब दुष्यंत चौटाला की नजर दिल्ली विधानसभा चुनाव पर है. दिल्ली में जाट बैंक वोट बैंक पर जननायक जनता पार्टी की नजर है. इसी को देखते हुए दुष्यंत चौटाला दिल्ली में कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार कर चुनाव लड़ना चाहते हैं. दुष्यंत चौटाला की कोशिश यही है कि दिल्ली से भी कुछ एक विधायक जीत कर यहां पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं. बीजेपी के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर भी इस बैठक में चर्चा की जाएगी.

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बीजेपी का क्या है फॉर्मूला

दिल्ली की 12 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर जाट बहुलता में हैं. ये सभी सीटें आउटर दिल्ली की हैं. माना जा रहा है कि आउटर दिल्ली की आधा दर्जन सीटों पर जेजेपी का प्रभाव है. इन सीटों पर जेजेपी किसी भी राजनीतिक दल का गणित बिगाड़ सकती है. 1998 में बीजेपी ने इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. उस समय इनेलो को तीन सीटें बीजेपी ने दी थी. हालांकि इनेलो एक भी सीट जीत नहीं पाई थी.

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बताया जा रहा है कि बीजेपी इस बार जेजेपी के साथ चुनावी गठबंधन भी कर सकती है. बीजेपी हाईकमान जेजेपी को साध कर एक तीर से कई शिकार करना चाहती है. बीजेपी को लगता है कि ऐसा करने से जाट नेताओं की नाराजगी दूर करने में मदद मिलेगी. बीजेपी नेताओं को लगता है कि इससे हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फायदा मिल सकता है.

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