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बिहार चुनाव: राजनीतिक दलों की गले की हड्डी बन गई शराबबंदी, नहीं खोल रहे पत्ते

बिहार में लागू शराबबंदी विधानसभा चुनाव में अब कई राजनीतिक दलों की गले की हड्डी बन चुकी है. विधानसभा चुनाव के बाद जो सरकार बनेगी उसमें शराबबंदी लागू रहेगी या फिर इसे खत्म किया जाएगा, उसको लेकर कोई भी राजनीतिक दल खुलकर सामने नहीं आ रहा है.

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राजनीतिक दलों की गले की हड्डी बन गई शराबबंदी (फाइल फोटो)
राजनीतिक दलों की गले की हड्डी बन गई शराबबंदी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2016 में लागू किया गया कानून आगे भी जारी रहेगा: JDU
  • प्रदेश में सरकार बनती है तो शराबबंदी पर समीक्षा करेंगे: कांग्रेस
  • शराबबंदी पर राष्ट्रीय जनता दल दुविधा में

बिहार में लागू शराबबंदी विधानसभा चुनाव में अब कई राजनीतिक दलों की गले की हड्डी बन चुकी है. विधानसभा चुनाव के बाद जो सरकार बनेगी उसमें शराबबंदी लागू रहेगी या फिर इसे खत्म किया जाएगा, उसको लेकर कोई भी राजनीतिक दल खुलकर सामने नहीं आ रहा है.

शराबबंदी को लेकर केवल जनता दल (यूनाइटेड) का रुख स्पष्ट है. जेडीयू का कहना है कि 2016 में लागू किया गया यह कानून आगे भी जारी रहेगा. पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि शराबबंदी नीतीश कुमार द्वारा लागू किया गया अभूतपूर्व कदम है. पहली बार किसी पिछड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस तरीके की साहस दिखाया और शराबबंदी लागू करने का फैसला किया. 

जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि भले ही राजस्व का नुकसान हुआ हो, लेकिन सामाजिक वातावरण बेहतर हो सके इसके लिए नीतीश कुमार ने यह निर्णय लिया. शराबबंदी आगे भी प्रदेश में जारी रहेगा. हालांकि, कांग्रेस ने बुधवार को बिहार चुनाव के लिए जारी किए गए मेनिफेस्टो में यह ऐलान किया कि अगर प्रदेश में उनकी सरकार बनती है तो वह शराबबंदी पर समीक्षा करेंगे.

बिहार में शराबबंदी की समीक्षा का दाव चलकर कांग्रेस ने उस तबके के वोटरों को साधने की कोशिश की है जो शराबबंदी से काफी नाराज है. बिहार में एक ऐसा तबका भी है जो शराबबंदी से नाराज है और इस तरीके की खबरें लगातार आती रहती हैं कि ऐसे लोग अपने घर पर शराब की होम डिलीवरी करवाते हैं और दोगुने दाम पर शराब खरीदते हैं.

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कांग्रेस द्वारा शराबबंदी की समीक्षा की बात पर जनता दल यूनाइटेड ने पलटवार करते हुए इसे कांग्रेस की महिला विरोधी मानसिकता करा दिया है.अभिषेक झा ने कहा कि यह कांग्रेस की मानसिकता को उजागर करता है. कांग्रेस की मानसिकता महिला विरोधी है. 

वहीं राष्ट्रीय जनता दल भी शराबबंदी बिहार में जारी रहे या खत्म की जाए इसको लेकर पशोपेश में फंसी हुई है. चुनाव के दौरान अगर आरजेडी इस बात का ऐलान करती है कि वह बिहार में शराबबंदी समाप्त कर देगी तो फिर इस बात की पूरी संभावना है कि प्रदेश की महिलाएं इससे नाराज होकर आरजेडी के खिलाफ वोट कर दें.


 

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