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MADHUBANI: चुनावी गणित बिगाड़ेंगे ये बागी नेता, एनडीए के लिए बन सकते हैं मुसीबत

एनडीए गठबंधन को सबसे अधिक खतरा इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि बागी नेताओं की संख्या उनके पाले में अधिक है

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बागी कई सीटों पर चुनावी गणित बिगाड़ने की दम रखते हैं (Photo: File)
बागी कई सीटों पर चुनावी गणित बिगाड़ने की दम रखते हैं (Photo: File)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सबसे ज्यादा बागी एनडीए में, निर्दलीय लड़ रहे चुनावकई सीटों पर चुनावी खेल बिगाड़ेंगे ये बागी नेता
  • कई सीटों पर चुनावी खेल बिगाड़ेंगे ये बागी नेता
  • बिहार में एनडीए के लिए बन सकते हैं मुसीबत

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का चुनावी गणित इस बार बागी नेता बिगाड़ने जा रहे हैं. महागठबंधन हो या फिर एनडीए दोनों ही गठबंधनों में सीट शेयरिंग के बाद बागी नेताओं की लिस्ट लंबी हो गई है. एनडीए गठबंधन को सबसे अधिक खतरा इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि बागी नेताओं की संख्या उनके पाले में अधिक है. वहीं इस मामले में बीजेपी बिहार के चुनाव प्रभारी व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस का कहना है कि बागियों को बख्शा नहीं जाएगा. 


बिहार में NDA की सीट शेयरिंग हो या फिर महागठबंधन की, दोनों गठबंधनों को इसकी कीमत बागियों को खड़ा कर चुकानी पड़ रही है. बड़ी संख्या में खड़े हुए ये बागी कई सीटों पर चुनावी गणित बिगाड़ने की दम रखते हैं. एनडीए गठबंधन में सबसे अधिक बागियों की संख्या देखने को मिल रही है. इसमें भी सबसे अधिक बीजेपी नेता शामिल हैं, जो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर चुके हैं.

झंझारपुर विधानसभा से बीजेपी के पूर्व सांसद हुए बागी 
बीजेपी के बागी नेताओं की सूची में सबसे पहले पूर्व सांसद वीरेन्द्र चौधरी का नाम आता है. पूर्व सांसद झंझारपुर विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरे हैं. इस विधानसभा से बीजेपी के नीतीश मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं. ब्राह्मण बहुल इस विधानसभा सीट से नीतीश मिश्रा के पिता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र पांच बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. वहीं नीतीश मिश्रा भी इस विधानसभा से दो बार चुनाव जीत चुके हैं. इस सीट पर उनका मुकाबला सीपीआई के रामनारायण महतो से है. पिछले चुनाव में नीतीश मिश्रा को आरजेडी के गुलाब यादव ने महज 800 वोटों से हरा दिया था. इस बार महागठबंधन में यह सीट सीपीआई के खाते मे गई है. 

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मधुबनी से रामदेव बिगाड़ रहे चुनावी गणित 
मधुबनी विधानसभा से रामदेव महतो ने चुनावी ताल ठोक कर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. रामदेव महतो लालू प्रसाद यादव की लहर में भी चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी रहे हैं. साथ ही वे मधुबनी विधानसभा से लगातार तीन बार जितने वाले अकेले विधायक हैं. एनडीए गठबंधन में यह सीट भीआईपी के खाते में गई है. इस सीट से बीजेपी के एमएलसी सुमन कुमार महसेठ चुनावी मैदान में हैं. दूसरी ओर आरजेडी के समीर कुमार महसेठ हैं, जो पिछले बार यहां से चुनाव जीते थे. यह समीर कुमार महासेठ की खानदानी सीट मानी जाती है. उनके पिता राजकुमार महासेठ भी इस सीट से तीन बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे. 

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हरलाखी विधानसभा का भी कुछ ऐसा ही हाल 
हरलाखी विधानसभा से महागठबंधन के रामाशीष यादव चुनावी मैदान में हैं. उनकी यादव वोट पर अच्छी पकड़ मानी जाती है. पिछले चुनाव में जब रामाशीष यादव निर्दलीय चुनाव लड़े थे, तो उन्हें करीब 23 हजार वोट मिले थे. यहां से कांग्रेस के शब्बीर अहमद चुनाव हार गए थे. हालांकि इस बार कांग्रेस से बागी शब्बीर अहमद भी चुनावी मैदान में है. वहीं इस विधानसभा से बीजेपी से अजय भगत भी चुनाव लड़ रहे हैं. 

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जेडीयू की सिटिंग विधायक हुईं बागी
फुलपरास विधानसभा से जेडीयू प्रत्याशी की चुनावी मुश्किल एलजेपी उम्मीदवार विनोद सिंह ने बढ़ा दी है. यह सीट विनोद सिंह के पिता रामअवतार सिंह का कार्य क्षेत्र रहा है. रामअवतार सिंह की पकड़ राजपूत वोटर्स के अलावे अन्य वोटर्स में भी अच्छी खासी मानी जाती है. जेडीयू ने इस बार इस सीट से सिटिंग विधायक गुलजार देवी को हटा कर शीला मंडल को टिकट दिया है. शीला मंडल इस क्षेत्र के लिए नई प्रत्याशी हैं. टिकट कटने से नाराज गुलजार देवी निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं.

(रिपोर्ट- अभिषेक कुमार झा)

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