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भागलपुर जिला: ढह गया वाम किला, JDU ने बनाई पकड़

भागलपुर जिला गंगा के तट पर बसा एक प्राचीन शहर है. भागलपुर सिल्क के व्यापार के लिए विश्वविख्यात है. तसर सिल्क का उत्पादन अभी भी यहां के कई परिवारों के लिए रोजी रोटी का एकमात्र जरिया है. प्राचीन काल के तीन प्रमुख विश्‍वविद्यालयों यथा तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला में से एक विश्‍वविद्यालय भागलपुर में ही था, जिसे विक्रमशिला के नाम से जानते हैं.

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jdu election campaign
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • भागलपुर जिले में हैं कुल 7 विधानसभा सीटें
  • सिल्क के व्यापार के लिए दुनिया में है पहचान
  • गंगा का है मैदानी इलाका, उपजाऊ है जमीन

बिहार में गंगा नदी के तट पर बसा भागलपुर अपने उम्दा सिल्क के लिए विश्व विख्यात है. सात विधानसभा सीटों वाले इस जिले पर कभी वामपंथ की ऐसी रंगत थी कि बाकी सभी दल उसके आगे फीके थे, लेकिन वक्त बदला और यहां की राजनीति भी. एक-एक कर यहां सारे 'वाम किले' ढहते गए. आने वाले विधानसभा चुनाव में यहां की सात सीटों पर जीत के लिए सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. 

भागलपुर जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. ये हैं- 1. नाथनगर, 2. सुल्तानगंज, 3. बिहपुर, 4. पीरपैंती, 5. गोपालपुर, 6. कहलगांव, 7. भागलपुर. एक वक्त ऐसा था कि भाकपा, माकपा का यहां जमीनी तौर पर काफी मजबूत थी.  पार्टी का बड़ा जनाधार था, लेकिन वक्त के साथ ये जनाधार कमजोर होता गया. लोगों की पार्टी के प्रति निष्ठा बदलती गई और वाम की जगह दूसरे दल काबिज हो गए. 

जिले का तानाबाना
भागलपुर जिला गंगा के तट पर बसा एक प्राचीन शहर है. भागलपुर सिल्क के व्यापार के लिए विश्वविख्यात है. तसर सिल्क का उत्पादन अभी भी यहां के कई परिवारों के लिए रोजी रोटी का एकमात्र जरिया है. प्राचीन काल के तीन प्रमुख विश्‍वविद्यालयों यथा तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला में से एक विश्‍वविद्यालय भागलपुर में ही था, जिसे विक्रमशिला के नाम से जानते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, भागलपुर की जनसंख्या 4,00,146 है. यहां की 8.17 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति और 0.27 फीसदी अनुसूचित जनजाति की है. 

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रेशम और भागलपुरी साड़ी का दुनिया में डंका

गंगा के मैदानी इलाके होने के कारण यहाँ की जमीन बहुत उपजाऊ है. मुख्य फसलों में चावल, गेहूं, मक्का, जौ और तिलहन शामिल हैं. भागलपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और छोटे व्यवसायों पर निर्भर है. भागलपुर जिला रेशम उद्योग से जुड़ा हुआ है, और पूरे भारत में अपने तसर रेशम और भागलपुरी साड़ी के लिए प्रसिद्ध है. रेशम के कीड़े द्वारा प्रसिद्ध तसर रेशम का उत्पादन होता हैं, जिससे तसर साड़ी बनती है. सिल्क इंस्टीट्यूट और कृषि विश्वविद्यालय शहर में स्थित हैं.

2015 का जनादेश

राज्य में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. नाथनगर, सुल्तानगंज, बिहपुर, पीरपैंती, गोपालपुर, कहलगांव और भागलपुर. जिले की नाथनगर विधानसभा सीट पर फिलहाल जेडीयू का कब्जा है. यहां 66485 वोटों के साथ जेडीयू प्रत्याशी अजय कुमार मंडल ने जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर एलजेपी के अमरनाथ रहे थे. सुल्तानगंज विधानसभा सीट पर भी जेडीयू के ही सुबोध राय 63345 वोटों के साथ विजयी रहे. दूसरे नंबर पर बीएलएसपी के हिमांशु रहे. बिहपुर सीट से आरजेडी की वर्षा रानी विधायक हैं. उन्हें 68963 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी प्रत्याशी 56247 वोटों के साथ रनरअप रहे. एससी आरक्षित पीरपैंती विधानसभा सीट पर आरजेडी के राम विलास 80058 वोटों के साथ विजयी रहे. दूसरे नंबर पर बीजेपी के ललन कुमार को 74914 वोट मिले थे. 

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गोपालपुर विधानसभा सीट पर जेडीयू प्रत्याशी नरेंद्र कुमार नीरज 57407 वोट के साथ अव्वल रहे. दूसरे नंबर पर 52234 वोटों के साथ बीजेपी प्रत्याशी अनिल कुमार रहे. कहलगांव सीट से कांग्रेस नेता सदानंद सिंह ने बाजी मारी. उन्हें कुल 64981 वोट मिले. दूसरे नंबर पर एलजेपी के नीरज कुमार को 43752 वोट मिले थे.  अब बात करते हैं भागलपुर सीट की. यहां कांग्रेस के अजीत शर्मा को सर्वाधिक 70514 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी प्रत्याशी अर्जित को 59856 वोट मिले थे.

 
 

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