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बंगाल विधानसभा चुनाव: प्रचार अभियान खत्म, अंतिम चरण में हावी रहा कोरोना का मुद्दा

पश्चिम बंगाल में डेढ़ महीने से चला आ रहा चुनाव प्रचार अभियान सोमवार को खत्म हो गया. बंगाल के अंतिम चरण में 35 सीटों पर गुरुवार को वोट डाले जाएंगे, जहां 283 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा.

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नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी
नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बंगाल विधानसभा चुनाव प्रचार का शोेर खत्म हुआ
  • बंगाल के अंतिम चरण की 35 सीटों पर गुरुवार को वोटिंग
  • ममता बनर्जी ने 150 तो पीएम मोदी ने 20 रैलियां की

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के आखिरी और आठवें चरण की सीटों पर प्रचार शोर सोमवार को थम गया. इसी के साथ राज्य में डेढ़ महीने से चला आ रहा चुनाव प्रचार अभियान अब खत्म हो गया. बंगाल के अंतिम चरण में 35 सीटों पर गुरुवार को वोट डाले जाएंगे, जहां 283 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. बंगाल में सत्ता की हैट्रिक लगाने के लिए ममता बनर्जी ने अपना पूरा जोर लगाया तो वहीं, बंगाल की भूमि में कमल खिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह सहित बीजेपी के तमाम नेता मशक्कत करते नजर आए जबकि कांग्रेस-लेफ्ट गठबंधन राज्य में अपने सियासी वजूद बनाए रखने के लिए संघर्ष करता दिखा.

बंगाल में इस बार चुनाव प्रचार में टीएमसी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 44 दिनों तक व्हीलचेयर पर रैली करती नजर आ रही थीं जबकि उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी रोड शो और जनसभाओं के जरिए सत्ता बचाने की जद्दोजहद करते दिखे. वहीं, बीजेपी के पहली पंक्ति के नेता बंगाल में डेरा जमाए हुए थे. पीएम मोदी ने बंगाल में करीब 20 जनसभाएं तो अमित शाह ने तकरीबन 70 रैलियां कीं. ममता बनर्जी ने टीएमसी प्रत्याशी के समर्थन में करीब 150 जनसभाओं को संबोधित किया. 

आखिरी दौर में दिखा कोरोना का असर

बंगाल चुनाव के आखिरी दौर में कोरोना संक्रमण का असर और उससे जुड़े हुए वादे हावी रहे. एक ओर जहां ममता बनर्जी केंद्र को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराती नजर आईं. तो उन्होंने ये वादा भी किया कि अगर टीएमसी की सरकार आएगी तो बंगाल के लोगों का मुफ्त में टीकाकरण किया जाएगा. वैक्सीन को लेकर ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को दो बार पत्र लिखा. वहीं, बीजेपी ने भी मुफ्त वैक्सीनेशन का वादा किया है. इस तरह से कोरोना के मुद्दे पर ममता ने केंद्र पर जम कर हमले किए तो बीजेपी ने भी उन्हें निशाने पर लिया. 

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कोरोना संक्रमण की बंगाल में रफ्तार बढ़ने से बीजेपी ने वर्चुअल रैलियों का सहारा लिया. कोरोना के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सभी जनसभाएं रद्द कर दी थीं और उन्होंने वर्चुअल रैली के जरिए मुर्शिदाबाद, मालदा सहित आखिरी चरण की कई सीटों को एक साथ संबोधित किया. वहीं, ममता बनर्जी ने रैलियों के बजाय विभिन्न जिलों में अपने उम्मीदवारों के लिए प्रेस कॉफ्रेंस करने का विकल्प चुना ताकि एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया जा सके. 

दरअसल, कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच चुनाव आयोग ने बड़ी रैलियों और रोड शो पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, आयोग के फैसले से पहले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बंगाल चुनाव के लिए अपनी सभी रैलियों को रद्द कर दिया था. उसके बाद ममता ने अपनी रैलियों के समय में कटौती की और बाद में रैलियों के बजाय प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रचार करने का निर्णय लिया. 

होती रहीं बीजेपी नेताओं की रैलियां

राहुल-ममता के बाद पीएम मोदी ने भी सभी रैलियों को रद्द कर दिया था और महज 500 लोगों की रैलियों को करने का निर्णय बीजेपी ने किया. पीएम मोदी ने अंतिम चरण में सिर्फ एक वर्चुअल रैली को संबोधित किया जबकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष, शुभेंदु अधिकारी, मिथुन चक्रवर्ती की रैलियां होती रहीं. इन रैलियों में बीजेपी का दावा है कि 500 लोग से ज्यादा शामिल नहीं हुए. लेकिन टीएमसी के ओर से आरोप लगाया गया कि बीजेपी ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया. 

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सीएम ममता बनर्जी ने शनिवार को बीरभूम जिले में सभी उम्मीदवारों के साथ एक प्रेस कॉफ्रेंस की. इस दौरान ममता ने एक बार फिर से केंद्र सरकार पर निशाना साधा. 

वहीं, चुनाव प्रचार का शोर थमने के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कोलकाता में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. इस मौके पर नड्डा ने बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी के बयानों को लेकर उनपर निशाना साधा और कहा कि राज्य की जनता ने उनके बयानों को सिरे से खारिज कर दिया है. मुख्यमंत्री पर प्रहार करते हुए नड्डा ने कहा, 'ममता बनर्जी ने जिस भाषा का प्रयोग किया वो बंगाल की भाषा है क्या? इस चुनाव में उन्होंने प्रधानमंत्री जी को क्या शब्द नहीं बोले, जिन शब्दों का प्रयोग उन्होंने किया हम नहीं कर सकते. 

 

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