गोलपोखर विधानसभा क्षेत्र उत्तर दिनाजपुर जिले, पश्चिम बंगाल में स्थित एक सामान्य श्रेणी का निर्वाचन क्षेत्र है. यह रायगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है और इसमें गोलपोखर-I विकास खंड शामिल है. यह विधानसभा क्षेत्र 1957 में बना था और अब तक 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 में एक उपचुनाव भी शामिल है.
गोलपोखर विधानसभा सीट पर वर्षों में कई राजनीतिक दलों ने जीत दर्ज की है. शुरुआत में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने तीन बार चुनाव जीते, उसके बाद कांग्रेस पार्टी ने पांच बार इस सीट पर जीत हासिल की. इसके बाद लेफ्ट फ्रंट का हिस्सा, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB) ने सात बार इस सीट पर कब्जा जमाया.
साल 2011 में कांग्रेस ने यह सीट जीती थी, उस समय वह तृणमूल कांग्रेस की जूनियर पार्टी के रूप में चुनाव लड़ रही थी. बाद में कांग्रेस विधायक मोहम्मद गुलाम रब्बानी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और 2016 व 2021 में इस सीट पर जीत दर्ज की. विशेष बात यह रही कि 2016 में उनकी जीत का मार्जिन 7,748 वोट था, जो 2021 में बढ़कर 73,514 वोट तक पहुंच गया. इस बार मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा थी, जो कांग्रेस की जगह मुख्य चुनौती बनकर उभरी थी.
2021 के विधानसभा चुनाव में गोलपोखर में कुल 2,24,633 मतदाता थे. इसमें लगभग 71.20% मुस्लिम मतदाता थे. अनुसूचित जाति के मतदाता 13.33% और अनुसूचित जनजाति के मतदाता 3.86% थे. यह क्षेत्र लगभग पूरी तरह से ग्रामीण है, केवल 1.82% मतदाता शहरी क्षेत्र में रहते हैं. पिछले कई चुनावों में मतदान प्रतिशत हमेशा 70% से ऊपर रहा है.
2024 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने गोलपोखर क्षेत्र में कांग्रेस को केवल 666 वोटों से हराया. यह अंतर 2019 के चुनाव में 48,241 वोट का था, जो अब बहुत कम हो गया था.
गोलपोखर उत्तर बंगाल के समतल और उर्वर मैदानों में बसा है. यहां की मुख्य आजीविका कृषि है. क्षेत्र में सुदानी और नगर जैसी मौसमी नदियां हैं, जो धान और जूट की खेती में सहायक हैं.
बुनियादी अवसंरचना है, जिसमें सीमित शहरी विकास और मामूली सड़कें शामिल हैं. गोलपोखर की भौगोलिक स्थिति विशेष है क्योंकि यह बिहार और बांग्लादेश की सीमाओं के पास स्थित है. रायगंज से लगभग 45 किमी और सिलिगुड़ी से लगभग 75 किमी दूर है. कोलकाता राज्य की राजधानी करीब 500 किमी दूर है.
बिहार की ओर किशनगंज (20 किमी), बहादुरगंज (25 किमी), इस्लामपुर (30 किमी) और डालकोला (40 किमी) जैसे शहर अच्छे कनेक्शन में हैं. बांग्लादेश की तरफ ठाकुरगांव जिला है, जहां सीमावर्ती नदी के साथ बाड़ भी बनी है. इसी वजह से मुस्लिम आबादी की संख्या अधिक है और सीमा पर नियंत्रण की चर्चाएं हमेशा बनी रहती हैं.
गोलपोखर विधानसभा क्षेत्र ने हमेशा मुस्लिम प्रतिनिधि को चुना है. जैसे-जैसे 2026 का विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, तृणमूल कांग्रेस इस सीट को तीसरी बार जीतने की पूरी कोशिश करेगी. वहीं कांग्रेस-लेफ्ट फ्रंट गठबंधन भी कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार है. भले ही भाजपा हाल के वर्षों में उभरकर सामने आई हो, लेकिन इस क्षेत्र में सामुदायिक पहचान और पुराने वोटिंग रुझानों के कारण उसे बड़ी बढ़त मिलना कठिन लग रहा है.
(अजय झा)
Md. Ghulam Sarwar
BJP
Masood Md. Naseem Ahsen
INC
Nota
NOTA
Sunil Biswas
BSP
Shambhu Lal Roy
IND
Raghu Nath Singha
IND
Nabin Chandra Singha
SUCI
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को बड़ा बयान देते हुए खुलासा किया कि उन्होंने अब तक SIR फॉर्म नहीं भरा है. इससे पहले एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा बंगाल चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने की कोशिश कर रही है.
संदेशखाली केस में मुख्य आरोपी रहे शाहजहां शेख के खिलाफ गवाह रहे शख्स और उसके बेटे की कार को एक खाली ट्रक ने टक्कर मारी, जिसमें बेटे की मौत हो गई. इस खबर के सार्वजनिक होते ही चर्चा का बाजार गर्म हो गया है. सियासत तेज हो गई है. जाहिर है कि इसे लोग सामान्य मौत नही मान रहे हैं.
एक बार फिर सज चुका है एजेंडा आजतक का महामंच. देश के सबसे विश्वनीय न्यूज चैनल आजतक के इस दो दिवसीय कार्यक्रम का ये 14वां संस्करण है. जिसके दूसरे दिन मंच पर विशेष तौर पर आमंत्रित थे-शिक्षा एवं विकास राज्य मंत्री और बीजेपी नेता डॉ. सुकांत मजूमदार. सेशन बीजेपी का 'मिशन बंगाल' में उनसे हुई क्या खास बातचीत, जानने के लिए देखें ये पूरा सेशन.
निलंबित तृणमूल कांग्रेस विधायक हुमायूं कबीर ने पार्टी के खिलाफ एक बड़ी चाल चली है. उन्होंने ऐलान किया कि वह 22 दिसंबर को एक नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करेंगे. कबीर ने दावा किया कि वह ममता बनर्जी की पार्टी के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करेंगे.
मुर्शिदाबाद में जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने बिहार में वोट खरीदने और चुनाव के बाद बुलडोजर चलाने के मामले का उदाहरण देते हुए लोगों से केंद्र की सब्सिडी पर भरोसा न करने और राज्य सरकार की योजनाओं पर विश्वास रखने की अपील की.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों में होने वाले हैं और इस पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. बीजेपी और टीएमसी दोनों अपनी-अपनी रणनीतियाँ बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने बंगाल के सांसदों से मुलाकात की है और अमित शाह ने भी बंगाल के दौरे की पूरी योजना बना ली है. ममता बनर्जी विशेष रूप से सीआई प्रक्रिया के खिलाफ विरोध रैलियाँ कर रही हैं, खासकर मुस्लिम बहुल मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे जिलों में.
प्रधानमंत्री मोदी ने पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों से मुलाकात कर विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा की. इस मुलाकात में उन्होंने सांसदों को चुनाव जीतने के लिए पूरी मेहनत करने का संदेश दिया और बंगाल की जीत को पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया. भाजपा सांसदों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें टीम के रूप में काम करने और रणनीतियों को बेहतर बनाने का निर्देश भी दिया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मालदा के गाज़ोल में आयोजित एंटी-SIR रैली में केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने स्थानीय समस्याओं जैसे गंगा में मिट्टी कटाव और बीएलओ की मौतों पर भी चिंता जताई. साथ ही नागरिकता से जुड़ी दिक्कतों पर भी बात की और लोगों को आश्वासन दिया कि कोई बांग्लादेश नहीं जाएगा.
पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन में बंगाल के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों से मुलाकात कर चुनाव की स्थिति को जानेंगे और रणनीति पर चर्चा करेंगे. वहीं गृहमंत्री अमित शाह जनवरी से आचार संहिता लागू होने तक बंगाल में रहकर पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगे.
बंगाल में बीजेपी मुसलमानों तक पहुंच बनाने के लिए अपनी टोन बदलती नजर आ रही है. जाहिर है चुनावी गणित में इस बार के विधानसभा चुनावों में किसी भी तरह से बीजेपी पिछड़ना नहीं चाहती है. पर क्या पार्टी के लिए यह नीति बैकफायर नहीं कर सकती है?