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विधानसभा चुनाव से बिहार में राजनीतिक घमासान, दलित वोट बैंक को लेकर चिराग और मांझी के बीच खींचतान शुरू

केंद्रीय मंत्री चिराग और जीतनराम मांझी के बीच विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोट बैंक को लेकर खींचतान शुरू हो गई है. चिराग ने खुद को दलितों को पहरेदार बताया है तो जीतनराम मांझी ने कहा कि मैं समझता हूं कि उनमें अनुभव की कमी दिखती है.

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जीतनराम मांझी और चिराग पासवान.
जीतनराम मांझी और चिराग पासवान.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मियां तेज हो गई हैं और इस बार दलित वोट बैंक को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के दो प्रमुख दलित नेताओं चिराग पासवान और जीतनराम मांझी के बीच तीखी बयानबाजी शुरू हो गई है. दोनों नेताओं के बीच दलित समुदाय के प्रतिनिधित्व और अनुभव को लेकर जुबानी जंग छिड़ गई है, जिससे बिहार की सियासत में नया मोड़ आ गया है.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने दलित समुदाय के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि विपक्ष ने अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को भ्रमित करने के लिए कई तरह के भ्रम फैलाए हैं. विपक्ष ने लोकसभा के वक्त भी आरक्षण के नाम पर भ्रम फैलाया था. चुनाव के दौरान विपक्ष फिर भ्रम फैलाएगा. हम सुनिश्चित करेंगे कि जब तक मैं जिंदा हूं, मैं एक पहरेदार की भूमिका में हूं. समाज में अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़ा, अति पिछड़ा और वंचित वर्ग से आने वाले लोगों के लिए मैं पहरेदार की भूमिका निभाऊंगा हूं.

चिराग ने तेजस्वी पर साधा निशाना

चिराग पासवान ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि देखिए, ये जो 20 महीने का जिक्र कर रहे हैं.शायद वो भूल जाते हैं कि बिहार की जनता ने, इन्हें और इनके परिवार को 15 साल दिए और इन 15 सालों में इन लोगों ने बिहार को बर्बाद करने का काम किया. उस दौरान जिन लोगों ने बिहार से पलायन किया था. पीढ़ियां बीत गई पर वो लोग वापस लौट कर नहीं आए. 

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उन्होंने ये भी कहा, 'ऐसे में वो अगर 20 महीने का जिक्र करते तो उन्हें अपने परिवार के नेतृत्व वाला 90 का दशक याद कर लेना चाहिए और उस दशक को याद करना जरूरी है, क्योंकि दशकों बाद भी वो खाई नहीं भर पाई है और उसकी जिम्मेदार सिर्फ राष्ट्रीय जनता दल है.'

मांझी ने किया चिराग पर पलटवार

NDA के बिहार में साझेदार और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने चिराग पर पलटवार करते हुए कहा कि जो केवल कहकर काम करता है, उसमें समझदारी की कमी होती है जो राजनीति में आया है. वो सिर्फ शेड्यूल कास्ट का हितैषी हो सकता है, पर राजनीति में जो आया है वो तो सर्व समाज का हितैषी होता है. लेकिन किसी एक समाज को चुनना और कहना कि हम उनकी मदद करेंगे. ये तो सब एकांगी बातें हैं, मैं समझता हूं कि उनमें अनुभव की कमी दिखती है.

आपको बता दें कि बिहार में इस साल के अंत में बिहार की 243 सीटों पर अक्टूबर-नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, क्योंकि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली वर्तमान NDA सरकार का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को खत्म हो रहा है.

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