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बिहार में प्रियंका का 'ट्रिपल-M फॉर्मूला', क्या महागठबंधन की चुनाव एक्सप्रेस को दे पाएगा रफ्तार?

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पहली बार बिहार के दौरे पर हैं. प्रियंका गांधी राहुल-तेजस्वी के साथ 'वोटर अधिकार यात्रा' में शामिल हुईं और मिथिलांचल के इलाके में सियासी माहौल बनाती नजर आईं. उन्होंने महिला वोटों को साधने का दांव चला और माता सीता के मंदिर में माथा टेकने की भी उनकी रणनीति है.

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प्रियंका गांधी क्या बिहार का माहौल बदल पाएंगी (Photo-PTI)
प्रियंका गांधी क्या बिहार का माहौल बदल पाएंगी (Photo-PTI)

बिहार की सियासी जमीन पर पहली बार प्रियंका गांधी उतरी हैं. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की 'वोटर अधिकार यात्रा' में प्रियंका गांधी का दूसरा दिन है. सुपौल में शिरकत कर मधुबनी होते हुए मंगलवार को दरभंगा पहुंचीं और बुधवार को मुजफ्फरपुर के ज़रिए सीतामढ़ी पहुंचेंगी. इस तरह उनकी दो दिन की यात्रा पूरी तरह मिथिलांचल बेल्ट में है, जिसके जरिए वे महागठबंधन के पक्ष में सियासी माहौल बनाने की कवायद करती नजर आ रही हैं.

प्रियंका गांधी की यात्रा का रूट पूरी तरह मिथिलांचल के इलाके में है, जहां वे महिला वोटों को साधने की कवायद कर रही हैं. इसके अलावा, प्रियंका बुधवार को सीतामढ़ी स्थित मां जानकी मंदिर में माथा टेककर बीजेपी के 'हिंदुत्व कार्ड' को काउंटर करने का दांव चलेंगी.

राहुल-तेजस्वी के साथ कदमताल करके प्रियंका गांधी मिथिलांचल, मंदिर और महिला यानी 'ट्रिपल-एम फॉर्मूले' के ज़रिए महागठबंधन की सत्ता में वापसी की इबारत लिखने में जुटी हैं. देखना है कि प्रियंका का 'ट्रिपल-एम फॉर्मूला' क्या सियासी रूप से फायदेमंद होगा?

मिथिलांचल को साध पाएंगी प्रियंका गांधी?

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बिहार का मिथिलांचल इलाका बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. बीजेपी और जेडीयू की सियासी केमिस्ट्री मिथिलांचल इलाके में सुपर हिट रही है. इस तरह एनडीए के मजबूत गढ़ में प्रियंका गांधी की यात्रा का खाका महागठबंधन ने खींचा है. प्रियंका ने अपने दो दिन के बिहार दौरे पर मिथिलांचल जिले की यात्रा की. वह सुपौल, मधुबनी, दरभंगा के ज़रिए मुजफ्फरपुर के रास्ते सीतामढ़ी जाएंगी.

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मिथिलांचल के सात जिलों में से प्रियंका गांधी वोटर अधिकार यात्रा के ज़रिए पांच जिलों में दस्तक देंगी. इस तरह से साफ है कि कांग्रेस ने प्रियंका की यात्रा का रोडमैप बहुत ही सोची-समझी रणनीति के तहत मिथिलांचल इलाके से बनाया है ताकि एनडीए के मजबूत गढ़ में सेंधमारी की जा सके.

पिछली बार नीतीश कुमार को चुनाव हारने से मिथिलांचल ने बचाया था. मिथिलांचल की 60 सीटों में से 40 सीटें एनडीए जीती थी. प्रियंका गांधी की जिन जिलों में यात्रा रखी गई है, वे पूरी तरह बीजेपी-जेडीयू के दुर्ग माने जाते हैं. ऐसे में एनडीए के इसी मजबूत गढ़ को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उतारा है.

मिथिलांचल में ही प्रियंका गांधी की यात्रा के पीछे कांग्रेस की बड़ी रणनीति बताई जा रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस साल का बिहार विधानसभा चुनाव महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसमें भी मिथिलांचल बहुत खास है, क्योंकि 2020 के चुनाव में इस इलाके में एनडीए का दबदबा रहा था. शाहाबाद व मगध में बढ़त लेने के बावजूद इस इलाके में विपक्षी गठबंधन पिछड़ गया था. ऐसे में प्रियंका के ज़रिए कांग्रेस पुराने वोट बैंक (ब्राह्मण और दलित) को फिर से हासिल करना चाहती है.

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माता सीता के मंदिर में टेकेंगी माथा

प्रियंका गांधी वोटर अधिकार यात्रा के दौरान बुधवार को सीतामढ़ी में रात्रि विश्राम करेंगी. प्रियंका गांधी अपने मिथिलांचल के दौरे में सीतामढ़ी स्थित मां जानकी मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने की योजना बना रही हैं. मिथिलांचल ही नहीं, बल्कि बिहार में माता सीता के प्रति काफी आस्था है. बीजेपी पहले ही सीता मंदिर बनवाकर सियासी क्रेडिट लेना चाहती है. ऐसे में प्रियंका गांधी बहुत ही रणनीति के तहत मंदिर में माथा टेककर बीजेपी के 'हिंदुत्व कार्ड' की सियासी हवा निकालने का दांव चलना चाहती हैं.

कांग्रेस के बिहार सह-प्रभारी सुशील पासी कहते हैं कि प्रियंका गांधी के मंदिर जाने को सियासी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि वह जिस भी राज्य में जाती हैं वहां के प्रमुख मंदिरों में दर्शन करने के लिए पहुंचती हैं. धर्म का इस्तेमाल कांग्रेस राजनीति में नहीं करती, बल्कि यह आस्था का विषय है.

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि प्रियंका गांधी के 'सॉफ्ट हिंदुत्व' के बहाने कांग्रेस बिहार में बीजेपी के हिंदुत्व वाले एजेंडे में सेंधमारी की रणनीति बना रही है. बीजेपी ने हिंदुत्व के एजेंडे से जिस तरह ममता बनर्जी को चुनौती दी थी, उसी तरह प्रियंका गांधी भी दांव चल रही हैं.

प्रियंका महिला वोटों को साधने में जुटी

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प्रियंका गांधी को बिहार के सियासी रण में कांग्रेस ने उतारकर महिला वोटों को साधने की रणनीति अपनाई है. बिहार में महिला एनडीए का सबसे बड़ा वोट बैंक है. नीतीश कुमार के बार-बार सत्ता में वापसी का सबसे बड़ा कारण महिला वोटर ही हैं. हर जाति और धर्म की महिलाएं नीतीश के प्रति भरोसा जताती हैं. एनडीए के इस मजबूत वोट बैंक को तोड़ने के लिए प्रियंका गांधी को उतारा गया है. प्रियंका गांधी महिला वोटों से ज्यादा बेहतर कनेक्ट करती हैं. उनकी संवाद कला बेहतरीन है. महिलाओं को भी साधने में भी प्रियंका की भूमिका अहम हो सकती है. इसीलिए प्रियंका ने अपनी यात्रा का आगाज तीज के दिन रखा है.

बीजेपी और कांग्रेस में शह-मात

कांग्रेस का कहना है कि प्रियंका गांधी की लोकप्रियता सभी समाज के बीच है. बिहार में प्रियंका गांधी के उतरने के बाद माहौल लोगों में अलग तरह का उत्साह देखने को मिल रहा है. प्रियंका गांधी के मिथिलांचल का दौराना करना, महिलाओं से संवाद करना और मंदिर जाने की योजना से बीजेपी क्यों परेशान है.  

 

देश ने हजारों महिला राजनेताओं को देखा, लेकिन कोई इंदिरा नहीं बन पाई. लोगों को प्रियंका गांधी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अक्स दिखता है. न केवल बिहार बल्कि देश की जनता चाहती है कि वह भी अपनी दादी की तरह मजबूत नेता बनें. इंदिरा गांधी एक थीं, जिन्हें चुना तो देश ने था, लेकिन उनके सामने पूरी दुनिया झुकती थी. प्रियंका गांधी में भी इंदिरा गांधी का अक्स दिख रहा है. पूरा देश उन्हें इंदिरा गांधी की तरह पसंद करता है और देश के लोग चाहते हैं कि देश को एक मजबूत नेता मिले, जिसके सामने फिर से दुनिया झुके.

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वहीं, बीजेपी का कहना है कि बिहार में लालू यादव का जंगलराज बनाम एनडीए का सुशासन ही असल मुद्दा है. प्रियंका गांधी के बिहार आने से कोई सियासी लाभ नहीं मिलेगा. पंजाब की उस घटना को बिहार के लोग नहीं भूले हैं, जब कांग्रेस के मंच से बिहार के लोगों को भला-बुरा कहा जा रहा था और प्रियंका गांधी ताली बजा रही थीं. इसके अलावा रेवंत रेड्डी के साथ प्रियंका गांधी ने यात्रा करके बिहार की जनता को ठेस पहुंचाई है.

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