दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को करारी हार मिली है. जहां से एक दशक पहले पार्टी का उदय हुआ था, वहीं से अब AAP को बीजेपी से हार मिली है. बीजेपी ने आप को उसकी 10 साल की राजनीतिक यात्रा में सबसे बड़ा झटका दिया है. बीजेपी को दिल्ली विधानसभा में 48 सीटों पर जीत मिली है, वहीं अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को सिर्फ 22 सीटों पर समेट दिया है.
न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक हार के साथ AAP ने न केवल राजनीतिक शक्ति खो दी, बल्कि पिछले दशक में बनी अपराजेयता की अपनी प्रतिष्ठा भी गंवा दी है. इतना ही नहीं इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भी अपनी सीट नहीं बचा पाए. साथ ही मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन और सौरभ भारद्वाज जैसे पार्टी के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए.
पार्टी के 13 नेता संसद में हैं
मुफ्त बिजली,पानी और शिक्षा सुधारों पर केंद्रित पार्टी का शासन मॉडल स्पष्ट रूप से शहर के निवासियों के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहा और लोगों ने आप की सरकार को नकार दिया. वही केजरीवाल द्वारा मंदिर के पुजारियों को मासिक वजीफा देने का वादा करने वाला प्रस्ताव भी मतदाताओं को रास नहीं आया. दो साल पहले अप्रैल 2023 में पार्टी को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दी गई, जो एक युवा राजनीतिक संगठन के लिए एक अद्भुत उपलब्धि थी. आम आदमी पार्टी के 13 नेता संसद में हैं. जिनमें 10 नेता राज्यसभा में है और 3 लोकसभा में हैं.
AAP कई संकटों से जूझ रही है
AAP के दिल्ली में हार के बाद कई सवाल उठने लगे हैं और भविष्य में पार्टी के विस्तार पर भी प्रश्न उठने लगे हैं. साल 2024 से ही पार्टी नेतृत्व परिवर्तन सरीखे कई संकटों से जूझ रही है. आप को मार्च 2024 में सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उसके सुप्रीमो और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर गिरफ्तार कर लिया. पहली बार किसी मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया, जिससे पार्टी और उसके समर्थकों को बड़ा झटका लगा.
मई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत दिए जाने से पहले केजरीवाल ने शहर की तिहाड़ जेल में लगभग छह महीने बिताए, हालांकि उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की अनुमति मिल गई थी. लेकिन उन्हें आधिकारिक कामों को करने से रोक दिया गया, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक संकट पैदा हो गया.
पार्टी पर कई आरोप लगे
अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारियों ने आप की छवि पर काफ़ी असर डाला, साथ ही जनता की धारणा पार्टी के प्रति बदलने लगी और उसकी राजनीतिक स्थिति कमज़ोर हुई. हालांकि, इसके सभी नेताओं को अंततः जमानत पर रिहा कर दिया गया, लेकिन तब पार्टी की छवि पर प्रभाव पड़ गया था. वही बीजेपी ने इस दौरान AAP पर खूब हमला किया और उस पर कई आरोप लगाए. जिससे मतदाताओं का भरोसा AAP से उठ गया.
आप को पुन: विचार करना होगा
मार्च 2022 में हुए गोवा विधानसभा चुनावों में, उसे 6.77 प्रतिशत वोट मिले, और गुजरात में, उसे 13 प्रतिशत वोट मिला. जिसने उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने में मदद की. आप के विस्तार के अगले बड़े लक्ष्य के रूप में देखा जा रहा था, पार्टी को राज्य में भाजपा के वर्चस्व को विफल करने की उम्मीद थी. पार्टी ने पिछले साल डोडा विधानसभा क्षेत्र जीतकर जम्मू-कश्मीर में भी सफलता हासिल की, जिससे उसकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं और बढ़ गईं.
पार्टी को अब अपने गेम प्लान को फिर से तैयार करना होगा, खासकर केजरीवाल के राजनीतिक कद के कमजोर होने के बाद, मतदाताओं के बीच विश्वास बहाल करने, भ्रष्टाचार के आरोपों से निपटने और अपने शासन मॉडल को मजबूत करने की भी जरूरत है.