बिहार चुनाव के लिए तारीखों का अभी ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सूबे में सियासी सूरज चढ़ने लगा है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सबसे बड़े चेहरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर 29 मई को बिहार जा रहे हैं. वहीं, सूबे में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की अगुवाई कर रहा जनता दल (यूनाइटेड) भी एक्टिव मोड में है. इन सबके बीच बात सीट बंटवारे को लेकर भी हो रही है. एनडीए में शामिल करीब-करीब सभी पार्टियों ने अपनी डिमांड बीजेपी और जेडीयू जैसे बड़े दलों को बता दी है. हालांकि, सीट शेयरिंग को लेकर आधिकारिक बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी सीट शेयरिंग को लेकर किसी तरह की जल्दबाजी के मूड में नहीं है. सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है. सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा सबसे आखिर में किया जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है. जिन मौजूदा विधायकों का प्रदर्शन ठीक नहीं, विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काटा जाएगा.
बीजेपी ने यह तय किया है कि व्यक्ति नहीं बल्कि जीतने की क्षमता को टिकट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा. सर्वे में जिसका भी नाम नहीं आता उसका टिकट काटा जाएगा, चाहे वह कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो. बिहार के विधानसभा चुनाव में अभी करीब पांच महीने का समय बाकी है, लेकिन बीजेपी ने जमीनी स्तर पर काम शुरू कर दिया है. बीजेपी ब्लॉक स्तर पर बैठकें कर रही है, हर सीट पर अपनी ताकत और कमजोरियों का आकलन किया जा रहा है. विपक्षी दलों के नेताओं का भी आकलन किया जा रहा है.
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बीजेपी सूत्रों का कहना है कि सीट दर सीट इसी हिसाब से रणनीति बनाई जाएगी और अपने ऐसे नेताओं की पहचान भी की जा रही है, जिनके टिकट नहीं मिलने या अपने मनमाफिक उम्मीदवार न दिए जाने की स्थिति में बगावत करने की आशंकाएं है. बीजेपी का लक्ष्य हर हाल में बिहार चुनाव जीतना है. बिहार चुनाव में जीत एनडीए के लिए इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि महाराष्ट्र की ही तरह बिहार में भी मजबूत विपक्षी गठबंधन है. बीजेपी को लगता है कि बिहार चुनाव में एनडीए के हारने की स्थिति में विपक्षी एकता को मजबूती मिल सकती है.
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बीजेपी ने बिहार चुनाव को लेकर खास रणनीति बनाई है. पार्टी देश अलग-अलग राज्यों में रह रहे बिहार के लोगों से संपर्क साधेगी. पार्टी ने अलग-अलग राज्यों में बसे बिहार के दो करोड़ लोगों से संपर्क करने की योजना बनाई है. ये वह लोग होंगे जो या तो बिहार के वोटर हैं और रोजी-रोजगार या अन्य कारणों से प्रदेश के बाहर किसी दूसरे राज्य में रह रहे हैं. या फिर बिहार के मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं.