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Bihar Election 2025: धनबल, बाहुबल और आपराधिक विरासत... हलफनामों में उजागर हुआ बिहार की राजनीति का कड़वा सच

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक बार फिर धनबल, बाहुबल और आपराधिक विरासत सुर्खियों में हैं. उम्मीदवारों के हलफनामों में घोषित करोड़ों की संपत्ति और गंभीर मामलों की लंबी लिस्ट ने राज्य की राजनीति का वही कड़वा सच सामने ला दिया है, जहां चुनाव सिर्फ वादों से नहीं, बल्कि ताकत और खौफ से भी सुर्खियों में रहते हैं.

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मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह पर 28 केस दर्ज हैं.
मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह पर 28 केस दर्ज हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही राज्य में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है. इस बार के चुनाव में एक बार फिर बाहुबलियों की राजनीति चर्चा के केंद्र में हैं. बिहार की राजनीति का यह वह स्याह पक्ष है, जहां नेता केवल वादों के दम पर नहीं, बल्कि अपनी ताकत, अकूत संपत्ति और खौफ के बल पर चुनाव लड़ते और जीतते हैं. इस चुनाव में भी ऐसे कई उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनके बाहुबल जितना ही सुर्ख़ियों में है. 

मतदाता इन उम्मीदवारों के हलफनामों में घोषित संपत्ति और उन पर दर्ज आपराधिक मामलों की लंबी फेहरिस्त को देखकर यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन वास्तव में ताकतवर है और कौन कानूनी पचड़ों में उलझा हुआ है. यह सच्चाई है कि बिहार के चुनाव में धन और बाहुबल ही अक्सर खेल का रुख तय करते हैं.

बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का दबदबा कोई नई बात नहीं है. ये ऐसे व्यक्ति हैं जो अपनी ताकत और प्रभाव का इस्तेमाल करके सत्ता तक पहुंचते हैं. इस विधानसभा चुनाव में भी ऐसे अनेक उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनकी संपत्ति करोड़ों में है और जिन पर हत्या, अपहरण और जबरन वसूली जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. ये उम्मीदवार मतदाताओं को डरा-धमकाकर या पैसे का लालच देकर अपना समर्थन हासिल करते हैं. उनकी वित्तीय घोषणाएं उनकी जमीनी ताकत का एक स्पष्ट अनुमान देती हैं.

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मोकामा सीट का हाल

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पटना की मोकामा सीट बाहुबल और संपत्ति के प्रदर्शन का केंद्र बनी हुई है. जनता दल यूनाइटेड (JDU) के कद्दावर नेता अनंत सिंह इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. वे अपनी संपत्ति के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने कुल 37.88 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है. उनकी संपत्ति में जमीन, व्यावसायिक संपत्तियां और कई लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं. उनकी महंगी गाड़ियों में 2.70 करोड़ रुपये की टोयोटा लैंड क्रूजर, एक फॉर्च्यूनर और एक एक्सयूवी प्रमुख हैं. 

आपराधिक रिकॉर्ड के मामले में अनंत सिंह पर हत्या, धमकी, अपहरण, अवैध हथियार रखने और अपराधियों को संरक्षण देने जैसे 28 आपराधिक केस दर्ज हैं. अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी संपत्ति के मामले में उनसे भी आगे हैं. उनकी घोषित संपत्ति 62.72 करोड़ रुपए है. उनके पास भी फॉर्च्यूनर, थार और इनोवा जैसी कई लग्जरी गाड़ियां हैं. इस दंपति के पास कुल 91.61 लाख रुपये के गहने हैं. नीलम देवी के पास 701.1 ग्राम सोना है, जबकि अनंत सिंह के पास 150 ग्राम सोना है. उनकी कई कंपनियों में हिस्सेदारी है और उन पर 50 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज भी है.

आरजेडी उम्मीदवार वीणा देवी

मोकामा से ही एक और मजबूत दावेदार राजद उम्मीदवार वीणा देवी हैं. वे सूरजभान सिंह की पत्नी हैं. उन्होंने 8.67 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है. उनके पास पटना में 6.95 करोड़ रुपए के दो फ्लैट और 1.2 किलोग्राम सोना है. सबसे खास बात यह है कि उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, जो उन्हें इस बाहुबलियों की लड़ाई में एक अलग पहचान देता है. 

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राज्य की अन्य प्रमुख सीटों पर भी धन और आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. बाढ़ सीट से राजद (RJD) के उम्मीदवार कर्णवीर सिंह हैं. उन्हें लल्लू मुखिया के नाम से जाना जाता है. उन्होंने 17.72 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की है. उनकी संपत्ति में लाइसेंसी हथियार, 400 ग्राम सोना और लग्जरी कारें शामिल हैं. उन पर हत्या, जबरन वसूली, अपहरण और डकैती जैसे पंद्रह आपराधिक मामले दर्ज हैं.

ब्रह्मपुर और दानापुर सीट 

बक्सर जिले के ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) या लोजपा (आर) के उम्मीदवार हुलास पांडे ने 12.19 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है. उनके पास दो लाइसेंसी पिस्तौल हैं और उन पर दो आपराधिक मामले अदालत में लंबित हैं. 

दानापुर से राजद उम्मीदवार रीतलाल राय ने कुल 7.71 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है. उनका आपराधिक रिकॉर्ड काफी लंबा है. उन पर हत्या और जबरन वसूली सहित 30 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.

कुचायकोट (गोपालगंज) से जदयू ने अमरेन्द्र कुमार पांडे को मैदान में उतारा है. उन्होंने 5.69 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है. उनके पास कई वाहन हैं, वे एक पेट्रोल पंप संचालित करते हैं और एक व्यवसाय में हिस्सेदारी रखते हैं. उनके खिलाफ हत्या के प्रयास, दंगे और अवैध हथियार रखने जैसे 14 आपराधिक मामले दर्ज हैं.

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और भी हैं बाहुबली...

एकमा विधानसभा सीट से जदयू उम्मीदवार मनोरंजन सिंह हैं. उन्हें धूमल सिंह के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने 3.27 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की है. उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं है, लेकिन उनकी पत्नी के गहने उनकी आर्थिक स्थिति को और मजबूत करते हैं. 

सीवान से मोहम्मद शहाबुद्दीन की विरासत को उनके बेटे ओसामा शहाब आगे बढ़ा रहे हैं. वे राजद के उम्मीदवार हैं. उनके पास 2.31 करोड़ रुपए की संपत्ति है, जिसमें एक कार, एक बुलेट मोटरसाइकिल और पारिवारिक संपत्ति में हिस्सा शामिल है. उनके नाम पर पांच मामले दर्ज हैं. नबीनगर (औरंगाबाद)से बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. उनके पास 1.46 करोड़ रुपये की संपत्ति, लग्जरी वाहन और दो आपराधिक मामले हैं.

नवादा जिले की सीटें

वारिसलीगंज (नवादा) विधानसभा सीट पर बाहुबलियों की पत्नियां आमने-सामने हैं. राजद उम्मीदवार अनीता देवी, गैंगस्टर अशोक महतो की पत्नी हैं. उन्होंने 1.31 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की है. उनके पति के पास टाटा सफारी, सोना और कीमती पत्थर हैं, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जमीन है और उन पर एक आपराधिक मामला भी दर्ज है. 

इसी सीट से बीजेपी की अरुणा देवी हैं. उनके पति अखिलेश सिंह स्थानीय बाहुबली हैं. उनकी घोषित संपत्ति 92.57 लाख रुपए है, जबकि उनके पति की संपत्ति उनसे ज्यादा है. उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. लालगंज विधानसभा सीट वैशाली जिले में है. संपत्ति के मामले में सबसे निचले पायदान पर जेल में बंद बाहुबली मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला हैं. लालगंज से राजद की ओर से चुनाव लड़ रहीं शिवानी ने 21.28 लाख रुपए की संपत्ति घोषित की है. उनके पास ना तो जमीन है और ना ही सोना. उन पर एक छात्र ऋण बकाया है, जबकि उनके पति पर अतिरिक्त कर्ज है.

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धनबल और बाहुबल की सत्ता

यह चुनावी परिदृश्य स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि बिहार की राजनीति का ताना-बाना धन, बाहुबल और आपराधिक पृष्ठभूमि के इर्द-गिर्द बुना हुआ है. एक ओर अनंत सिंह जैसे उम्मीदवार हैं जिनकी कुल संपत्ति (पत्नी सहित) 100 करोड़ रुपए से ज्यादा है और जिन पर हत्या जैसे संगीन अपराधों के आरोप हैं. 

दूसरी ओर कम संपत्ति वाले लेकिन मजबूत आपराधिक या बाहुबली पारिवारिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार भी मैदान में हैं. मतदाता इस चुनाव में उम्मीदवारों के हलफनामों को ध्यान से देख रहे हैं. वे यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन से उम्मीदवार आर्थिक रूप से मजबूत हैं और कौन कानूनी मुश्किलों में फंसे हुए हैं.

चुनाव के समय ये ताकतवर लोग एक बार फिर से कतार में खड़े हैं और उनका धन और दबदबा ही खेल का रुख तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बिहार के मतदाता इस बार धन और बाहुबल के इस जटिल जाल में से किसे चुनते हैं, यह देखना अत्यंत दिलचस्प होगा.

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