कश्मीर के श्रीनगर की रहने वाली आरिफा ने महिला कारीगरों की जिंदगी बदलने का काम किया है. आज आठ मार्च महिला दिवस पर पूरी दुनिया उनके इस सफर की गवाह बन रही है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके अपने बारे में बताया. आइए जानें आरिफा ने ट्विटर पर अपने वीडियो इंट्रोडक्शन में क्या कहा है.
पीएम मोटी के ट्विटर हैंडल पर वीडियो में उन्होंने कहा, मेरा नाम आरिफा है, मैं श्रीनगर कश्मीर से रिलेट करती हूं. मैंने क्राफ्ट मैनेजमेंट किया तो हमें फील्ड में ले जाते थे कारीगरों के घरों में. यहां मैंने पाया कि क्राफ्ट मर रहा था, वो काम छोड़ रहे थे. कारीगरों को पैसा नहीं मिल रहा था. मैंने तभी ठान लिया कि मुझे कश्मीर के लिए ही काम करना है. यही सोचकर रिवाइवल ऑफ नमदा प्रोजेक्ट शुरू किया. तब कारीगरों को 50 रुपये दिहाड़ी मिलती थी. महिलाएं ये करने को तैयार ही नहीं थीं.
I always dreamt of reviving the traditional crafts of Kashmir because this is a means to empower local women.
I saw the condition of women artisans and so I began working to revise Namda craft.
I am Arifa from Kashmir and here is my life journey. #SheInspiresUs pic.twitter.com/hT7p7p5mhg
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल-नेशनल लेवल पर इस व्यवसाय की इमेज खराब हो चुकी थी. इंटरनेशनल लेवल पर एक्सपोर्ट जो 98 प्रतिशत था वो दो प्रतिशत पहुंच गया था. जब मैंने आरी कढ़ाई और पश्मीना का काम करने वाली 28 लेडीज का ग्रुप बनाया और काम शुरू किया. उन्होंने कहा कि मैंने सात सालों में ये काम किया. आरिफा ने नई जेनरेशन को संदेश देते हुए कहा कि जॉब ढूंढने से बेहतर है कि वे जॉब क्रिएशन करें. उन्हें एंटरप्रेन्योर के तौर पर आगे आना चाहिए.
ऐसा है आरिफा का सफर
श्रीनगर की आरिफा जान ने नमदा नामक एक कश्मीरी पारंपरिक गलीचा को पुनर्जीवित करने के लिए तीन मैनुफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना की. उन्हें राष्ट्रपति से नारी शक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है.
33 वर्षीय आरिफ़ा ने श्रीनगर में क्राफ्ट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (सीडीआई) से स्नातकोत्तर के बाद नमदा रिवाइवल परियोजना के लिए काम किया. उन्होंने 2012 में श्रीनगर के सेकी डफ़र इलाके में अपनी पहली व्यावसायिक इकाई शुरू की थी. उन्होंने बुने हुए कश्मीरी कालीनों से अलग नमदा गलीचा को नई जिंदगी दी. इसका इस्तेमाल खासकर सर्दियों के दौरान किया जाता है.
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पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करने के अलावा आरिफा ने इस पहल के जरिए महिला कारीगरों को जोड़कर उन्हें अच्छा वेतन दिया. आज उनके उत्पाद के अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड और अन्य देशों में ग्राहक हैं.
यूनाइटेड स्टेट्स स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा एक महिला उद्यमिता कार्यक्रम से लौटने के बाद उन्हें 2014 में अमेरिकी नागरिकता पात्रता प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया था. उन्होंने श्रीनगर के नूरबाग और नवा कदल इलाकों में दो अन्य इकाइयों की स्थापना की.
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बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा था कि इस महिला दिवस पर मैं अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स उन महिलाओं को समर्पित कर दूंगा, जिनकी जिंदगी और काम हम सभी को प्रेरित करता है. इससे ये महिलाएं लाखों लोगों का हौसला बढ़ाने में मदद कर सकेंगी. अगर आप भी ऐसी महिला हैं या दूसरों के लिए प्रेरणा बनने वाली महिलाओं के बारे में जानती हैं तो उनकी कहानी #SheInspiresUs पर साझा करें. इस हैशटैग के साथ महिलाएं अपनी कहानी साझा करेंगी.
आरिफा ने पीएम मोदी के इस कदम की सराहना भी की, पढ़ें क्या कहा
This gesture by PM @narendramodi has boosted my morale and it'll help me to work harder for the betterment of craft as well as the artisans all over Kashmir.
I feel it is important for more women to focus on becoming self-reliant and help other women. #SheInspiresUs
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020