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बंगाल में नया एजुकेशन सिस्टम, जानिए 5+4+2+2 फॉर्मेट, सेमेस्टर और भाषा से कितनी बदल जाएगी पढ़ाई

पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि एसईपी (स्टेट एजुकेशन पॉलिसी) ने स्कूली शिक्षा के लिए 5+4+2+2 फॉर्मेट को जारी रखने की अधिसूचना जारी की है. पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'नीति में प्री-प्राइमरी के एक साल, कक्षा 4 तक प्राइमरी के चार साल, सेकेंडरी के दो साल और हायर सेकेंडरी के दो साल की शुरुआत की गई है.'

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग ने नई राज्य शिक्षा नीति (SEP) का नोटिस जारी किया है, जो स्कूली शिक्षा के मौजूदा पैटर्न को बरकरार रखती है. शिक्षा विभाग ने 9 सितंबर को एक अधिसूचना जारी की जिसमें राज्य के 5+4+2+2 स्कूल फॉर्मेट को जारी रखने पर विचार किया गया. राज्य सरकार पश्चिम बंगाल राज्य में सभी छात्रों के लिए उच्च स्तर की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्री-प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन लेवल तक अपनी मौजूदा शिक्षा प्रणाली को फिर से लागू करने की आवश्यकता पर विचार कर रही थी. राज्य सरकार ने इस उद्देश्य के लिए शिक्षाविदों की एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था.

विशेष समिति का किया गया था गठन
पश्चिम बंगाल सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपनी प्रतिक्रिया के बारे में राज्य का मार्गदर्शन करने के लिए अप्रैल 2022 में प्रतिष्ठित शिक्षाविदों की विशेष समिति में गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक, सुगाता बोस, सुरंजन दास शामिल हैं, जिसे 29 जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था. दरअसल, नई शिक्षा नीति 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जगह लेने जा रहा  है. केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 29 जुलाई 2020 को इसकी मंजूरी दी थी. समिति ने इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. 

नोटिस में कहा गया है, इस समिति ने उचित विचार-विमर्श के बाद और हितधारकों के परामर्श से अपनी सिफारिशों की रिपोर्ट सौंपी थी. राज्य सरकार ने विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर राज्य शिक्षा नीति, 2023 के मसौदे को अंतिम रूप दिया था. राज्य कैबिनेट ने 7 अगस्त की अपनी बैठक में राज्य शिक्षा नीति, 2023 को मंजूरी दे दी है. इसलिए, राज्य शिक्षा नीति, 2023 को अब तत्काल प्रभाव से इस अधिसूचना के साथ संलग्न करके अधिसूचित किया जाता है.'

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स्टेट एजुकेशन पॉलीसी का 5+4+2+2 फॉर्मेट
पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि एसईपी (स्टेट एजुकेशन पॉलिसी) ने स्कूली शिक्षा के लिए 5+4+2+2 फॉर्मेट को जारी रखने की अधिसूचना जारी की है. उन्होंने कहा, 'नीति में प्री-प्राइमरी के एक साल, कक्षा 4 तक प्राइमरी के चार साल, सेकेंडरी के दो साल और हायर सेकेंडरी के दो साल की शुरुआत की गई है.' उन्होंने कहा, 'मौजूदा ढांचे में एकमात्र बदलाव आंगनवाड़ी केंद्र में पहले दो साल की शिक्षा को शामिल करना है, उसके बाद प्री-प्राइमरी के एक साल को शामिल करना है. लेकिन प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक की बाकी संरचना बनी रहेगी. 

11वीं, 12वीं में सेमेस्टर वाइज एग्जाम
वहीं उच्च शिक्षा स्तर पर, कक्षा 11 और 12, चरणबद्ध तरीके से स्कूल से विश्वविद्यालय में बदलाव को आसान बनाने के लिए सेमेस्टर स्तर की परीक्षाओं को निर्दिष्ट किया गया है. दो सेमेस्टर में मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन और डिस्क्रिप्टिव क्वेश्चन होंगे.

नई शिक्षा नीति में दिया 5+3+3+4 फार्मेट क्या है?
नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म करने की बात कही गई है. अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढाला जाएगा. इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे. फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजित किया जाएगा. इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12). इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं.

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तीन-भाषा फॉर्मूले पर क्या कहती है SEP?
पश्चिम बंगाल की स्टेट एजुकेशन पॉलिसी (SEP) में तीन-भाषा फॉर्मूले के बारे में कहा गया है, 'इसे बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के आधार पर कक्षा 5 से 8 तक के छात्रों के लिए पेश किया जाएगा. जबकि पहली भाषा के रूप में मातृभाषा, बंगाली मीडियम में बांग्ला, नेपाली मीडियम में नेपाली, हिंदी मीडिया के स्कूलों में हिंदी भाषा को एक विषय के तौर पर अन्य माध्यम के छात्रों के लिए कक्षा एक से शुरू किया जा सकता है. यह क्षेत्र की भाषाई और जातीय प्रोफ़ाइल द्वारा भी निर्धारित की जाएगी, दूसरी भाषा छात्र की प्राथमिकताओं के आधार पर पहली भाषा के अलावा कोई अन्य भाषा (स्थानीय माध्यमों के लिए अंग्रेजी सहित) होगी. तीसरी भाषा- पहली और दूसरी भाषा के अलावा छात्र द्वारा चुनी गई कोई भी अन्य भाषा हो सकती है.

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(रिपोर्ट: पीटीआई इनपुट के साथ)
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