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जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में हासिल की कानून की डिग्री, मुश्किल से मिली वकालत की इजाजत

यह जानकर हैरानी होगी कि वकालत की दुनिया में सितारों की तरह चमकने वाले जेठमलानी 18 साल की उम्र में वकालत शुरू कर सकें इसके लिए स्पेशल प्रस्ताव पास करना पड़ा था.

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 मशहूर वकील राम जेठमलानी (फाइल फोटो-IANS)
मशहूर वकील राम जेठमलानी (फाइल फोटो-IANS)

  • स्पेशल प्रस्ताव पास करके 18 साल की उम्र में वकालत करने की इजाजत दी गई
  • राम जेठमलानी ने 17 साल की उम्र में ही एलएलबी की डिग्री हासिल कर ली थी

मशहूर वकील राम जेठमलानी का आज निधन हो गया. पिछले 70 सालों के दौरान उन्होंने कई हाई प्रोफाइल केस लड़े, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों से लेकर डॉन हाजी मस्तान तक के केस शामिल हैं. विवादास्पद मामलों की पैरवी को लेकर जेठमलानी काफी चर्चित रहे. लेकिन यह जानकर हैरानी होगी कि वकालत की दुनिया में सितारों की तरह चमकने वाले जेठमलानी को 18 साल की उम्र में वकालत शुरू कर सकें इसके लिए स्पेशल प्रस्ताव पास करना पड़ा था. 

पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत में 14 सितंबर 1923 को जन्मे राम जेठमलानी आजादी के बाद भारत आ गए थे. सिन्धी परंपरा के अनुसार पुत्र के साथ पिता का नाम भी आता है. लिहाजा उनका पूरा नाम रामभूलचन्द जेठमलानी था, लेकिन उनके बचपन का नाम राम था, इसलिए आगे चलकर वह राम जेठमलानी के नाम से ही मशहूर हो गए.

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17 साल की उम्र में LLB

स्कूली शिक्षा के दौरान दो-दो क्लास एक साल में पास करने के कारण उन्होंने 13 साल की उम्र में मैट्रिक का परीक्षा पास कर ली. उन्होंने 17 साल की उम्र में ही एलएलबी की डिग्री हासिल कर ली थी. उस समय वकालत की प्रैक्टिस करने के लिए 21 साल की उम्र जरूरी थी. मगर जेठमलानी के लिए एक विशेष प्रस्ताव पास करके 18 साल की उम्र में प्रैक्टिस करने की इजाजत दी गई. बाद में उन्होंने एससी साहनी लॉ कॉलेज कराची से एलएलएम की डिग्री हासिल की.

बता दें कि 18 साल से कुछ ही अधिक उम्र में उनकी शादी दुर्गा नाम की एक लड़की से कर दी गई. 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से कुछ ही समय पूर्व उन्होंने रत्ना साहनी नाम की एक महिला वकील से दूसरा विवाह कर लिया. जेठमलानी के परिवार में उनकी दोनों पत्नियों से चार बच्चे हैं.

जेठमलानी विवादास्पद मामलों में केस लड़ने के लिए जाने जाते रहे. वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह के वकील के तौर पर पेश हुए थे. यही नहीं उन्होंने एम्स के डॉक्टर और इंदिरा गांधी के शव का पोस्टमॉर्टम करने वाले टी डी डोगरा द्वारा दिए गए मेडिकल प्रमाणों को भी चैलेंज किया था. इस केस को लड़ने की वजह से जेठमलानी की आलोचना भी हुई थी.

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