डीयू एकेडमिक काउंसिल ने मंगलवार को 28 विभागों में चार साल के ग्रेजुएशन कोर्स के तहत पाठ्यक्रमों को मंजूरी दे दी.
रजिस्ट्रार अलका शर्मा ने बताया, ‘शैक्षणिक परिषद ने डिस्पिलीन-1, डिस्पलीन-2 के साथ ही 28 विभागों के एप्लीकेशन पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी है. 92 सदस्यों की मौजूदगी में हुई लंबी बैठक में यह फैसला किया गया.’ उन्होंने कहा कि 82 सदस्यों ने पक्ष में मतदान किया, जबकि छह सदस्यों ने इसका विरोध किया.
मंगलवार को डीयू एकेडमिक काउंसिल मीटिंग से पहले टीचर्स ने इसका विरोध और तेज कर दिया. मिरांडा हाउस की एसोसिएट प्रोफेसर और एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेंबर आभा देव ने यूजीसी को एक पत्र लिखकर इस पर रोक लगाने की मांग की.
पत्र में आभा देव ने 4 साल के डिग्री प्रोग्राम की वैधता पर सवाल उठाया. नियमों के मुताबिक कोई भी नया कोर्स लागू करने से पहले यूजीसी से कम से कम 6 महीने पहले मंजूरी लेना जरूरी है. डीयू ने नए डिग्री प्रोग्राम के मामले में यह मंजूरी नहीं ली, जबकि प्रोग्राम इसी साल से लागू होना है.
इसके अलावा पत्र में नये प्रोग्राम को लागू करने की प्रक्रिया में तमाम नियमों का उल्लंघन का भी जिक्र है. इसको लेकर अलग-अलग संगठनों की खींचतान लगातार जारी रही. वामपंथी विचारधारा के शिक्षक संगठनों ने सड़क से लेकर वेबसाइट तक 4 साल की डिग्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.