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क्लीनिकल रिसर्च का भारत में क्या भविष्य है?

बदलती हुई परिस्थितियों में भारत और भारत के बाहर क्लीनिकल रिसर्च का भविष्य लगातार आकर्षक होता जा रहा है.

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बदलती हुई परिस्थितियों में भारत और भारत के बाहर क्लीनिकल रिसर्च का भविष्य लगातार आकर्षक होता जा रहा है. एक तरफ विज्ञान का लाभ उठाकर अधिक से अधिक लोगों को भोजन और दूसरी सामग्री दे पाना संभव हो पाया है जिससे जनसंख्या का तेज विस्तार हुआ है. दूसरी तरफ विकास की तेज रफ्तार के कारण पर्यावरण का संतुलन हिलने लग गया है जिससे जीवन के अस्तित्व के ऊपर नित नई चुनौतियां मंडराने लगी हैं.

इसके साथ ही अर्थव्यवस्था के तेज फैलाव के कारण दवाओं पर खर्च कर सकना लोगों के लिए संभव हो पाया है, इन सबके कारण क्लीनिकल रिसर्च को बढ़ावा देना सभ्य समाज की जरूरत बन गई है. अगर आप ईमानदार हैं, आपमें प्रबंधन की योग्यता है, विश्लेषण की क्षमता है, और अंकों तथा आंकड़ों के खेल में मजा आता है तो क्लीनिकल रिसर्च का फील्ड आपको आकर्षित कर सकता है. परंतु इसके लिए जरूरी है कि स्नातक स्तर पर आपने मेडिसिन, पैरामेडिकल साइंसेज, लाइफ साइंसेज या बायोटेक्नालोजी की शिक्षा ग्रहण की हो.

अगर आपमें उपरोक्त दक्षता है तो निम्नलिखित में से किसी भी संस्थान के साथ जुड़कर क्लीनिकल रिसर्च में अपने लिए बेहतर करियर की तलाश कर सकते हैं:
(1) इंस्टीट्युट ऑफ क्लीनिकल रिसर्च (www.icriindia.com)
(2) नेशनल इंस्टीट्युट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली, चंडीगढ़ (www.niper.ac.in)
(3) दिल्ली इंस्टीट्युट ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस एंड रिसर्च (www.dipsar.in)
(4) बॉम्‍बे कॉलेज ऑफ फार्मेसी (www.bcpindia.org)
(5) जामिया हमदर्द, नई दिल्ली (www.jamiahamdard.edu)

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अगर आप सफलतापूर्वक इसमें से किसी संस्थान के साथ जुड़कर जरूरी दक्षता हासिल कर लेते हैं तो सरकारी या निजी क्षेत्र, कहीं भी, आप के लिए आकर्षक करियर के द्वार खुल सकते हैं. परंतु इतना अवश्य कि सरकारी नौकरियों में निजी क्षेत्र की तुलना में वेतन जरूर कुछ कम है.

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