भारत के लगभग सभी राज्यों में इस समय बांग्लादेशी अवैध तरीके से रह रहे हैं. सरकार ने 16 नवंबर 2016 के एक इनपुट का हवाला देते हुए कहा था कि इनकी संख्या दो करोड़ तक हैं. सरकार ने बताया कि 2004 में यूपीए सरकार की ओर से 1.2 करोड़ बांग्लादेशी के अनुमान से लगभग 67 प्रतिशत वृद्धि हुई है. इस तरह ये आंकड़ा आस्ट्रेलिया की कुल आबादी के बराबर पहुंच चुका है. हालांकि यूपीए सरकार ने ये आंकड़ा वापस ले लिया था.
तमाम रिपोर्ट्स के अनुसार बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के भारत में बांग्लादेशी नागरिकों ने प्रवेश लिया है. इन बांग्लादेशी नागरिकों का देश में प्रवेश वर्जित और अतार्किक है, इसलिए देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले ऐसे बांग्लादेशी नागरिकों का सटीक डेटा अब तक उपलब्ध नहीं हो पाया है. उपलब्ध इनपुट के अनुसार, भारत में लगभग 20 मिलियन (2 करोड़) अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं. तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा सांसद झरना दास भैया के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में ये आंकड़ा दिया था.
20 मिलियन का अनुमान अब तक उसी होम में 2004 में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल द्वारा दिए गए 12 मिलियन के आंकड़े को पार करता है.
जायसवाल ने 15 जुलाई 2004 को एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि 31 दिसंबर 2001 को 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,20,53,950 अवैध बांग्लादेशी प्रवासी निवास कर रहे थे. उन्होंने ये भी कहा कि अकेले असम में 50 लाख बांग्लादेशी स्क्वाटर हैं जबकि पश्चिम बंगाल में उनकी संख्या सबसे अधिक 57 लाख आंकी गई थी.
बता दें, उस दौर में मुख्य विपक्षी दल के तौर पर भाजपा ने मांग की थी कि 12 लाख अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की पहचान की जाए और उन्हें निर्वासित किया जाए. जायसवाल के जवाब से असम जैसे राज्यों में राजनीतिक तूफान पनपने से जायसवाल ने अपना जवाब वापस भी ले लिया था. उन्होंने 12 मिलियन के आंकड़े को खारिज करते हुए रिपोर्ट को इसलिए अविश्वसनीय बताते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह अनुमान पर आधारित थी.
जानें- किस राज्य में कितने विदेशी अवैध रूप से रह रहे

भारत में रोहिंग्या
जहां तक रोहिंग्याओं का संबंध है, वे दावा करते हैं कि भारत और म्यांमार के बीच पोरस बॉर्डर का उपयोग करते हुए म्यांमार से बिना किसी वैध यात्रा दस्तावेज के अवैध रूप से रोहिंग्याओं ने प्रवेश लिया. भारत का अनुमान है कि 40,000 रोहिंग्या म्यांमार में हिंसा और उत्पीड़न से भागने के बाद वर्षों तक राजधानी नई दिल्ली सहित पूरे देश में शिविरों में रहते हैं.
9 अगस्त 2017 को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार संसद में कहा कि 14,000 से अधिक रोहिंग्या, UNHCR के साथ पंजीकृत हैं और वर्तमान में भारत में रहते हैं. वहीं कुछ जानकारी बताती है कि लगभग 40,000 रोहिंग्या भारत में अवैध रूप से रह रहे हैं. वे बड़े पैमाने पर जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में स्थित हैं.