UPSC Success Story Anushree Sachiyan: राजस्थान के कोटा शहर में एक गरीब परिवार की बेटी अनुश्री सचान ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सर्विसेज 2024 परीक्षा में 220वीं रैंक हासिल की है. अनुश्री 2015 में इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम यानी JEE की तैयारी के लिए कोटा आई थीं. यहां के पढ़ाई के माहौल ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के सिविल सर्विसेज की कठिन परीक्षा पास कर ली.
जेईई की तैयारी करने कोटा आई थीं अनुश्री
अनुश्री ने बताया कि उनका व भाई अविरल का जन्म लखनऊ में हुआ था. मूल रूप से उनका परिवार लखनऊ का रहने वाला है. उन्होंने शुरुआती पढ़ाई लखनऊ में की.
अनुश्री ने बताया कि वह पहले हॉस्टल में रहीं, लेकिन बाद में उनकी मां शर्मिला अपने छोटे बेटे अविरल को लेकर कोटा आ गईं. अनुश्री के पिता सुशील सचान, जो बीएसएनएल में डिवीजनल इंजीनियर हैं, ने भी अपना ट्रांसफर कोटा करवा लिया. अनुश्री और उनके भाई ने यहां से पढ़ाई शुरू की.
IIT से की पढ़ाई
इसके बाद कोटा से जेईई मेन्स और एडवांस की तैयारी की. साल 2017 में जेईई एडवांस्ड की रैंक की बदौलत आईआईटी बॉम्बे में बैचलर ऑफ साइंस (BS) इन केमिस्ट्री में एडमिशन लिया. अनुश्री की मां शर्मिला ग्रहणी हैं और भाई अविरल आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक कर रहे हैं.
पहले असफलता, फिर दूसरी बार क्रैक किया UPSC एग्जाम
चार बार कोशिश की 2021 और 2023 में प्रीलिम्स पास नहीं हुआ, 2022 में 633वीं रैंक आई. उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता और भाई ने उन्हें हौसला दिया.
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अनुश्री ने अपनी कमजोरी को पहचाना कि केमिस्ट्री ऑप्शनल में वह कमजोर थीं. इस पर मेहनत की, पुराने सवालों की प्रैक्टिस की, आंसर राइटिंग की और टेस्ट सीरीज जॉइन की. इस मेहनत से 2024 में उनकी रैंक में सुधार हुआ और उन्हें 220वीं रैंक मिली.
अनुश्री का सक्सेस मंत्र
अनुश्री ने सफलता का मंत्र बताया- धैर्य, अनुशासन, निरंतरता और रिवीजन. उन्होंने कहा कि सिविल सर्विसेज की तैयारी लंबी है, इसलिए रोज पढ़ना जरूरी है. मन न हो तो भी पढ़ना पड़ता है. अनुशासन बनाए रखना और बार-बार रिवीजन करना सबसे जरूरी है.
रोज 10 घंटे पढ़ाई की पढ़ाई
अनुश्री ने बताया कि वह सुबह 7 बजे उठती थीं. 8 से 1 बजे तक पढ़तीं, फिर लंच कर 2 बजे सो जाती थीं. शाम 5 बजे उठकर 6 से रात 12 बजे तक पढ़ाई करती थीं. बीच में 1 घंटे का डिनर ब्रेक लेती थीं. रात 12 बजे सोती थीं. इस तरह वह 10 घंटे पढ़तीं थीं.
कई मौके ठुकराए, सिविल सर्विसेज पर फोकस
आईआईटी बॉम्बे से 2021 में केमिस्ट्री में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री लेने के बाद अनुश्री को एक बैंक से जॉब ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने जॉइन नहीं किया.
उन्हें जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्युनिख से रिसर्च का ऑफर भी मिला, पर कोविड-19 के कारण वह नहीं जा सकीं.
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कोटा ने पूरा किया सपना
अनुश्री की मां शर्मिला ने बताया कि उनका लक्ष्य बच्चों को आईआईटी में पहुंचाना था. कोटा की कोचिंग और शिक्षकों की मेहनत से दोनों बच्चों ने जेईई पास किया.
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