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एजुकेशन

परमाणु अटैक होने पर भी नही पड़ेगा ट्रंप के विमान को फर्क, इतना है ताकतवर

परमाणु अटैक होने पर भी नही पड़ेगा ट्रंप के विमान को फर्क, इतना है ताकतवर
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दुनिया के सबसे ताकतवर देश के प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप आज भारत पहुंच गए हैं. वो जिस एअरक्राफ्ट से आए उस विमान की खूब चर्चा हो रही है. आइए जानें- उस एअरक्राफ्ट के बारे में जिससे ट्रंप या अमेरिका के राष्ट्रपत‍ि सफर करते हैं. क्या ये परमाणु अटैक से भी सुरक्षि‍त होता है.
परमाणु अटैक होने पर भी नही पड़ेगा ट्रंप के विमान को फर्क, इतना है ताकतवर
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अमेरिका के राष्ट्रपति एअरफोर्स वन विमान से यात्रा करते हैं. ये विमान दुनिया का सबसे सुरक्षि‍त विमान माना जाता है. तकनीकी तौर पर कहें तो एअरफोर्स वन असल में रेडियो सिग्नल का कोड नेम है जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति सफर करते हैं. इसके सिग्नल से ही पता चल जाता है कि यह राष्ट्रपति का विमान है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति का सफेद नीले रंग के इस विमान को हवा में उड़ता व्हाइट हाउस भी कहते हैं. सबसे पहले साल 1930 में बोइंग ने मॉडल 314 का विमान बनाया था, इसका डिजाइन व्हेल मछली की तरह था.
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सबसे पहले 1943 में अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डी रूजवेल्ट ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टल चर्चिल से मिलने गए थे. एअरफोर्स वन के दो विमान हैं और ये दोनों बोइंग 747 बी सीरिज के हैं. जिनका टेल कोड 28 हजार और 29 हजार है.
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जब ये आसमान में होता है तो अपनी खास डिजाइन और आकार से अपनी पहचान खुद करा देता है. इसकी एक बानगी 2018 में ट्रंप की गुप्त इराक यात्रा है. इस यात्रा में ट्रंप ने इसे सीक्रेट रखने काे कहा था. यहां तक कि उड़ान के दौरान सारी लाइटें बंद रखी गई.
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लेकिन इसका खास लुक देखकर इंग्लैंड के एक व्यक्ति‍ ने अपने किचन से लांग लेंस कैमरे से उसकी तस्वीरें ले लीं. उसने ये तस्वीरें ऑनलाइन डालकर लोगों से पूछा कि क्या कोई जानता है इसके बारे में. वहां विशेषज्ञों ने बता दिया कि ये अमेरिका के राष्ट्रपति का विमान एअरफोर्स वन है.
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उसके बाद विशेषज्ञों ने ट्रैंकिंग करके पता लगा लिया कि ट्रंप का ठिकाना इराक है. व्हाइट हाउस की घोषणा से पहले ही एअरफोर्स वन के खास लुक के कारण दुनिया को इस सीक्रेट यात्रा के बारे में पता चल चुका था.


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बोइंग के एक सामान्य 747 एअरक्राफ्ट से एअरफोर्स वन काफी अलग है. इसमें तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक, दूरसंचार  और फर्नि‍श‍िंग आदि का अंतर है. इसमें हर वो सुविधाएं हैं जो अमेरिका से संपर्क में रहने के लिए जरूरी हैं.
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अगर इसके खर्च की बात करें तो एअरफोर्स वन से एक घंटे उड़ने की लागत एक लाख 80 हजार डालर के करीब आती है. इसकी भारतीय रुपये से तुलना करें तो ये एक करोड़ 29 लाख रुपये प्रति घंटे के करीब है.

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ऐसा दावा किया जाता है कि न्यूक्ल‍ियर अटैक की स्थ‍िति में भी ये सुरक्षि‍त रहेगा. लेकिन आध‍िकारिक तौर पर इसकी कोई पुष्ट‍ि नहीं है. लेकिन ये इलेक्ट्रो मैगनेटिक पल्स से सुरक्षि‍त है. ये पल्स बिजली गिरने या परमााणु धमाके से भी पैदा हो सकते है. एअरफोर्स वन की सारी इलेक्ट्रानिक मशीनें न्यूक्लि‍यर अटैक के बाद भी सुरक्ष‍ित रहती हैं.

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एअरफोर्स वन के भीतर कई विमान होते हैं. इनकी मुख्य जिम्मेदारी कभी भी न्यूक्लि‍यर युद्ध के हालात में राष्ट्रपति को निकालना है. ये एक तरह के फ्लाइंग वॉर रूम जैसे हैं. अगर कभी जमीन से पूरा कम्युनिकेशन ठप भी हो जाए तो वो अमेरिकी न्यूक्लि‍यर पनडुब्बी से संपर्क कर सकते हैं.
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इस विमान से 102 लोग सफर कर सकते हैं. इसकी रफ्तार 1126 किमी प्रति घंटा है. इसमें 53611 गैलन से ज्यादा ईंधन होता है. एक बार फुल होने पर ये 12 हजार किलोमीटर चल सकता है. इसके अलावा ये बीच हवा में भी रीफ्यूलिंग कर सकता है. तो ये है वो खास विमान जिससे अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के दौरे में आ रहे हैं.
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