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क्लर्क से भारत के सर्वोच्च नागरिक तक, ऐसा रहा मुखर्जी का संघर्ष

क्लर्क से भारत के सर्वोच्च नागरिक तक, ऐसा रहा मुखर्जी का संघर्ष
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आज यानी 11 दिसंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्मदिन है. राजनीतिक गलियारों में प्रणब दा कहकर पुकारे जाने वाले प्रणब मुखर्जी मृदुभाषी और सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं. कभी क्लर्क से करियर शुरू करने वाले प्रणब मुखर्जी टीचर और पत्रकार भी रहे हैं. आइए जानें- उनके जीवन के संघर्ष से जुड़ी पूरी कहानी.
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प्रणब दा का जन्म 11 दिसम्बर 1935 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. उन्होंने सूरी विद्यासागर कॉलेज से राजनीति शास्त्र और इतिहास में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद एमए पॉलिटिकल साइंस और एलएलबी की डिग्री कोलकाता की कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ली थी.
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साल 1963 में करियर की शुरुआत कोलकाता में डिप्टी अकाउंटेंट-जनरल (पोस्ट और टेलीग्राफ) के कार्यालय में एक अपर डिवीजन क्लर्क से हुई. इसके बाद उन्होंने अपने ही कॉलेज विद्यानगर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाया.
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इसके बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश करने से पहले देशर डाक (मातृभूमि की पुकार) मैगजीन में एक पत्रकार के रूप में भी काम किया.
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प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक करियर 1969 में एक इंडिपिंडेंट कैंडिडेट वीके कृष्णा मेनन को मिदनापुर उपचुनाव अभियान में कामयाबी हासिल करने में मदद करने से शुरू हुआ. उस दौरान भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुखर्जी की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें अपनी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भर्ती किया.
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केंद्रीय कैबिनेट में कई महत्‍वपूर्ण पदों को संभालने वाले प्रणब मुखर्जी जनवरी, 1982 से दिसंबर, 1984 तक देश के वित्तमंत्री रहे. उन्हें साल 1984 में दुनिया के शीर्ष पांच वित्तमंत्रियों की सूची में स्थान दिया गया था.
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पुरानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने प्रणब दा को 1984 में कांग्रेस से निकाल दिया था, लेकिन 1989 में उन्हें पुन: पार्टी में शामिल किया गया.
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प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति बनने से पहले मनमोहन सरकार के वित्त मंत्री थे. प्रणब दा को कांग्रेस का संकटमोचक भी कहा जाता था.
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उनके कार्यकाल को सरकार के वित्त सुधार के लिए उनके काम के लिए जाना गया. वित्त मंत्री के तौर पर मुखर्जी ने ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्त करने वाले पत्र पर हस्ताक्षर किए थे.
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प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई 2012 को भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. वो भारत के राष्ट्रपति का पद संभालने वाले पहले बंगाली मूल के शख्स बने.

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