फूलन देवी का परिचय देना हो तो कोई एक शब्द या वाक्य नहीं मिलता. एक दस
साल की लड़की, जो अपने पिता की जमीन के लिए लड़ गई थी. या एक बालिका-वधू,
जिसका पहले उसके बूढ़े पति ने रेप किया, फिर श्रीराम ठाकुर के गैंग ने. एक
खतरनाक डाकू, जिसने बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दिया
था, या फिर राजनेता के तौर पर. आज उनका जन्मदिन है, जानिए उनके जीवन से
जुड़ी ऐसी घटनाएं, जो आपको झकझोर कर रख देंगी.
10 अगस्त 1963 को यूपी में जालौन के 'घूरा का पुरवा' में फूलन का जन्म हुआ
था. गरीब और ‘छोटी जाति’ में जन्मी फूलन में दब्बूपन नहीं था. उसने मां से
सुना था कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली थी. दस साल की उम्र में चाचा से भिड़
गई. जमीन के लिए धरना दिया. सजा तो मिलनी ही थी. 10 साल की उम्र में शादी
कर दी गई.
खुद से 30-40 साल बड़े आदमी के साथ शादी हुई. पहली रात से जो दरिंदगी शुरू
हुई, वो लंबे समय तक चली. उस आदमी ने फूलन से बलात्कार किया. फिर ये रोज का
सिलसिला बन गया. हेल्थ खराब हुई तो मायके आई, उधर पति ने दूसरी शादी कर
ली. फिर किस्मत ने एक और करवट ली.
फूलन के नए दोस्त बने. उसमें से कुछ डाकू गैंग से थे. फूलन ने बताया था,
'शायद किस्मत को यही मंजूर था. गैंग का सरदार बाबू गुज्जर, मुझसे प्यार
करने लगा'. वहीं, विक्रम मल्लाह को भी फूलन से प्यार था. विक्रम और सरदार
के बीच ऐसी तनी कि विक्रम ने उसकी हत्या कर दी और सरदार बन गया. अब फूलन
विक्रम के साथ रहने लगी. फिर क्या था, एक दिन फूलन अपने गैंग के साथ पति
के गांव गई. वहां उसे और उसकी बीवी दोनों की जमकर पिटाई की.
डाकुओं का एक और गैंग था ठाकुरों का गैंग. जब फूलन के गैंग की इससे भिड़ंत
हुई तो सबसे बुरा परिणाम फूलन को भुगतना पड़ा. उसके साथ जो होने वाला था वह
किसी के भी रौंगटे खड़े कर दे. ठाकुरों के गैंग का सरगना था श्रीराम ठाकुर
और लाला ठाकुर. ये गैंग उस बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज था, जिसका
जिम्मेदार फूलन को माना जाता था. दोनों गुटों में लड़ाई हुई.
एक बार दोनों गैंग के बीच खूनी झड़प हुई. छिपते-छिपाते फूलन और मल्लाह कुछ
देर के लिए आराम करने बैठे. तब मल्लाह को गोली लगी थी. उस रात
फूलन-मल्लाह में संबंध बने. दोनों जब सोए तो एक दूसरे के साथ पर जब उठे तो
फूलन ठाकुर गैंग की गिरफ्त में थी. गैंग ने मल्लाह को मारकर फूलन को
किडनैप कर लिया था.
फूलन ने अपनी किताब में कुसुम नाम की महिला का जिक्र किया है, जिसने
श्रीराम की मदद की थी. फूलन के मुताबिक विक्रम मल्लाह ने उसे तोहफे में
जितनी भी ज्वैलरी दी थी, वो सभी कुसुम ने उसके बदन से उतार ली थी.
उन्होंने लिखा था, 'कुसुम ने मेरे कपड़े फाड़ दिए और आदमियों के सामने
नंगा छोड़ दिया'. श्रीराम और उसके साथी नग्न अवस्था में ही रस्सियों से
बांधकर नदी के रास्ते बेहमई गांव ले गए. श्रीराम और उसके साथियों ने मिलकर
उसे पूरे गांव में नंगा घुमाया. सबसे पहले श्रीराम ने मेरा रेप किया. फिर
बारी-बारी से गांव के लोगों ने मेरे साथ रेप किया. वे मुझे बालों से पकड़कर
खींच रहे थे. श्रीराम और उसके साथियों ने फूलन को लाठियों से भी खूब मारा
था.
कहा जाता है कि ठाकुरों ने फूलन को नग्न अवस्था में 2 सप्ताह से अधिक
समय तक रखा. फूलन एक कोठरी में बंद थी, जानवरों की तरह. हर रोज उसके साथ
सामूहिक बलात्कार किया जाता. तब तक जब तक वह बेहोश ना हो जाती. जिस समय ये
बर्बरता हुई फूलन केवल 18 साल की थी.
यहां से छूटने के बाद फूलन डाकुओं के गैंग में फिर शामिल हो गई. 1981 में
फूलन बेहमई गांव लौटी. उसने उन दो लोगों की पहचान की, जिन्होंने उसका रेप
किया था. बाकी के बारे में पूछा, तो किसी ने कुछ नहीं बताया. फूलन ने गांव
से 22 ठाकुरों को निकालकर एक साथ गोली मार दी थी.
यही वो हत्याकांड था, जिसने फूलन की छवि खूंखार डकैत की बना दी. चारों ओर
बवाल कट गया. मीडिया ने फूलन को नया नाम दिया, 'बैंडिट क्वीन'. भिंड के
एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी इस बीच फूलन के गैंग से बात करते रहे. ये उनका ही
कमाल था कि फूलन आत्मसमर्पण को राजी हो गईं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री
अर्जुन सिंह के सामने. उस समय उन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के
चार्जेज थे.
फूलन को 11 साल जेल में रहना पड़ा. मुलायम सिंह की सरकार ने 1993 में उन पर
लगे सारे आरोप वापस लेने का फैसला किया. राजनीतिक रूप से ये बड़ा फैसला था.
1994 में फूलन जेल से छूट गईं. उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई.
1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं. मिर्जापुर
से सांसद बनीं. चम्बल में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार
बंगले में रहने लगी. 1998 में हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीत गईं.
25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया. नागपंचमी के दिन उनके
हाथ से खीर खाई और फिर घर के गेट पर फूलन को गोली मार दी. कहा कि मैंने
बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है. 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने
शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.