फांसी के समय की बात करें तो ये महीनों के हिसाब से अलग-अलग होता है. सुबह 6, 7 या 8 बजे लेकिन ये वक्त हमेशा सुबह का ही होता है. इसके पीछे कारण ये बताया जाता है कि सुबह बाकी कैदी सो रहे होते हैं. जिस कैदी को फांसी दी जानी है, उसे पूरे दिन मौत का इंतज़ार नहीं करना पड़ता. साथ ही परिवारवालों को अंतिम संस्कार का भी दिन में मौका मिल जाता है.
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