विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का नया नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीएफ) मंगलवार को जारी किया गया. इसमें वेदों, पुराणों, धर्मशास्त्रों, ज्योतिष आदि भारतीय ज्ञान परंपरा के अन्य आयामों को भी ‘क्रेडिट’ प्रणाली के दायरे में लाया जा सकता है. इसके अलावा ऑनलाइन, डिजिटल और मिश्रित शिक्षा को भी क्रेडिट किया जा सकता है. यूजीसी ने पिछले साल अक्टूबर में स्कूली शिक्षा प्रणाली को एक क्रेडिट प्रणाली के तहत लाने का प्रस्ताव करने वाले ड्राफ्ट के मसौदे को फीडबैक के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा था.
यूजीसी ने जारी नोटिस में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में सामान्य शिक्षा व व्यवसायिक शिक्षा के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया गया है. भारत सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद के अध्यक्ष निर्मलजीत सिंह कलसी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा रिपोर्ट तैयार की है.
8 लेवल में बांटा गया लर्निंग इकोसिस्टम
रिपोर्ट के मुताबिक पहली बार स्कूली शिक्षा को एक क्रेडिट ढांचे के तहत शामिल करते हुए एनसीआरएफ ने लर्निंग इकोसिस्टम को आठ लेवल में बांटा है, जो कक्षा 5 से पीएचडी स्तर तक सीखने के घंटों के आधार पर क्रेडिट देता है. रिपोर्ट के मुताबिक कक्षा 12 तक हर विषय को स्कूल स्तर पर स्व-अध्ययन के लिए 240 घंटे तय किए गए हैं. हायर एजुकेशन में, यह सभी यूजी और पीजी डिग्री के साथ-साथ पीएचडी को भी कवर करता है. वोकेशनल एजुकेशन और स्तर 1 से 8 तक स्किल ट्रेनिंग भी अब इस फ्रेमवर्क का हिस्सा होगे हैं. क्रेडिट कुल सीखने के घंटों और आकलन पर आधारित होगी.
फ्रेमवर्क में इन खेलों को भी किया शामिल
रिपोर्ट इसके तहत खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय/फेडेरेशन गेम्स, राष्ट्रीय चैम्पियनशिप, राष्ट्रमंडल/एशियाई चैम्पियनशिप, एशियाड, वर्ल्ड चैम्पियनशिप, विश्व कप, ओलंपिक खेल आदि विशेष उपलब्धि हासिल करने वाले प्रतियोगी शामिल हैं. इस सूची में मंचीय कला के क्षेत्र में नृत्य नाटिका, संगीत, भारतीय शास्त्रीय संगीत के अलावा पारंपरिक कला कौशल हासिल करने वाले तथा शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य सेवा आदि के क्षेत्र में उत्कृष्ट सामाजिक सेवा करने वाले लोग शामिल हैं. इसमें इनोवेशन एवं स्टार्टअप व्यवस्था के तहत कृषि एवं ग्रामीण विकास में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास में खास विशेषज्ञता रखने वाले शामिल हैं.
एनसीआरएफ में कहा गया कि सीखने का परिणाम हर मामले में उपयुक्त राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा के स्तर पर पहले से परिभाषित होगा, जिसमें विशेष उपलब्धियां हासिल करने वालों के लिए मानदंड निर्धारित होंगे. इसमें कहा गया, उदाहरण के तौर पर अगर किसी व्यक्ति ने ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया है तो इस परिणाम एवं उपलब्धि को लेकर उसकी तैयारी और अभ्यास को शारीरिक शिक्षा में स्नातक व्यावसायिक डिग्री के कौशल क्रेडिट जरूरतों के समतुल्य माना जा सकता है. एनसीआरएफ में हैकाथॉन, ओलंपियाड दोनों के लिए विशेष मूल्यांकन पद्धति एवं क्रेडिट एसाइनमेंट की जरूरत बताई गई है.
फ्रेमवर्क में 18 विद्या, 64 कलाओं को किया शामिल
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नोटिस के साथ राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा रिपोर्ट को शामिल करते हुए सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों से इसे लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आग्रह किया गया है. राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा (एनसीआरएफ) में विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि हासिल करने वालों को क्रेडिट प्रदान करने का प्रावधान किया गया है.
इसमें भारतीय ज्ञान परंपरा में 18 प्रमुख विद्याओं और 64 कलाओं, कला कौशल आदि का उल्लेख किया गया है. इसमें चार वेद, उनकी सहयोगी वेद (आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्व वेद) के अलावा पुराण, मीमांसा, न्याय, धर्मशास्त्र, वेदांग, व्याकरण, ज्योतिष आदि को रेखांकित करते हुए इन्हें क्रेडिट प्रणाली के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत बताई गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, "कुछ भी नहीं छोड़ा गया है. कक्षा के बाहर सीखने, खेल, योग, शारीरिक गतिविधियों, प्रदर्शन कला, हस्तशिल्प भी मूल्यांकन फ्रेमवर्क का हिस्सा होंगे."
भारतीय परंपराओं को बढ़ावा देना है उद्देश्य
एनसीआरएफ में कहा गया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने वालों को क्रेडिट प्रदान करने का है. राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने वालों को क्रेडिट प्रदान करने को खेल, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, सामाजिक कार्य, मंचीय कला, ललित कला, परंपरा, धरोहर, साहित्य, भारतीय ज्ञान परंपरा आदि क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जाए.