scorecardresearch
 

'मैं खुद तैयारी के लिए कोटा आया था लेकिन...' कोटा DM ने कोचिंग छात्रों को बताया अपना किस्सा

कोटा जिले के कलेक्टर मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने आए स्टूडेंट्स को मोटिवेट करते रहते हैं. डिनर विद कलेक्टर के बाद उन्होंने स्टूडेंट के लिए आयोजित मोटिवेशनल प्रोग्राम में भाग लिया है. इस दौरान उन्होंने छात्रों को मोटिवेट किया और उनके सवालों के जवाब भी दिए.

Advertisement
X
Kota Collector with Students
Kota Collector with Students

कोटा जिले के कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी लगातार स्टूडेंट्स के बीच पहुंच रहे हैं. हाल ही में उन्होने स्टूडेंट के लिए आयोजित मोटिवेशनल प्रोग्राम में  भाग लिया है. इस दौरान उन्होंने छात्रों को मोटिवेट किया और उनके सवालों के जवाब भी दिए. कलेक्टर ने कहा कि मन लगाकर मेहनत करें फल अच्छा ही मिलेगा, खुश रहें, सकारात्मक रहें. करियर से बढ़कर जीवन के बड़े लक्ष्य तय करें, विफलता से निराश ना हो, हार ना माने ,बल्कि विफलताओं से सीखते हुए, चुनौती देते हुए आगे बढ़ते जाएं. लेकिन यह याद रखें कि गलतियां वापस नहीं दोहराई जाती हैं.

कोचिंग स्टूडेंट्स को कलेक्टर ने बताई अपनी विफलता की कहानी-

कोचिंग विद्यार्थियों से बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि वह भी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए वर्ष 2001 में कोटा आए थे. पहले प्रयास में सफल नहीं हुए. निराशा तो हुई, लेकिन वापस अपने घर जाकर फिर से तैयारी की. दूसरे प्रयास में अच्छी रैंक से पास हुए सरकारी कॉलेज से एमबीबीएस किया और अस्पताल में नौकरी भी की. उन्होंने कहा कि असफलता से निराशा होती है, लेकिन मैं मानता हूं कि असफलता ही सफलता की कुंजी भी है. इसे भी नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके पास हमेशा प्लान B रहता था, उसी तरह से आपको भी अपने पास प्लान B के तहत काम करना चाहिए. जिसका जो काम है, वह वही कर सकता है. जिस तरह से मछली को उड़ाने के लिए नहीं कहा जा सकता.

Advertisement

कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने जिला कलेक्टर से सवाल भी किए. एक छात्रा ने पूछा कि व मेहनत-पढ़ाई करते हैं, लेकिन उन्हें सप्ताह में एक दिन भी कोचिंग में अवकाश नहीं मिलता. इस सवाल पर जिला कलेक्टर डॉ रविंद्र गोस्वामी ने कहा कि बच्चों को सप्ताह में 1 दिन की छुट्टी मिलनी चाहिए. इसके लिए अस्वस्थ करेंगे कि सप्ताह में 1 दिन छुट्टी मिले. इसी तरह से अन्य विद्यार्थियों ने तनाव से दूर रहने के तरीकों के बारे में पूछा. किसी ने हॉस्टल में खाना सही नहीं मिलने और किसी ने टेस्ट में सफल नहीं होने समेत कई तरह से सवाल मन में आने पर क्या करें जैसे सवाल पूछे, जिनका जिला कलेक्टर ने जवाब भी दिया.


 

सावल: एक छात्रा ने जिला कलेक्टर से सवाल पूछा कि यहां पढ़ाई के लिए आए हैं खुद को मोटिवेट रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन पेरेंट्स ही डिमोटिवेट करें तो क्या करें?

जवाब: रविंद्र गोस्वामी ने कहा कि देखिए पेरेंट्स डिमोटिवेट नहीं करते हैं. वह यह चाहते हैं कि आप अच्छा करो. आपके माता-पिता आपसे तभी प्यार तो नहीं करेंगे, जब आपके नाम के आगे डॉक्टर या इंजीनियर लगेगा. वह चाहते हैं, कि आप अच्छा जीवन जिएं, लेकिन अगर कोई रिश्तेदार या दोस्त डिमोटिवेट करते हैं. यह कहते हैं कि हो नहीं पाएगा, कर नहीं सकेगा, तो उनकी बातों को अनसुना करना शुरू कर दो. माता-पिता आपका अच्छा चाहते हैं, आप अच्छा करेंगे तो वह खुश रहेंगे, आप परेशान होंगे, तो वह भी परेशान होंगे.

Advertisement

सवाल: एक और छात्रा ने कलेक्टर से सवाल पूछा कि हम टेस्ट में जवाब नहीं दे पाते, लेकिन घर जाकर उस सवाल का जवाब आता है.

जवाब: रविंद्र गोस्वामी ने कहा कि एग्जाम में दिमाग पर बर्डन रहता है, इसलिए यह दिक्कत आती है. आप पुराने पेपर सॉल्व करें, एग्जाम में 3 घंटे बैठना है, लेकिन कभी इसकी घर पर प्रेक्टिस नहीं करते. उस सिनेरियो में खुद को रखने की प्रेक्टिस करो तो एग्जाम के समय बर्डन नहीं रहेगा.

जिला कलेक्टर ने कहा कि हमारी कोशिश है कि लगातार बच्चों के बीच पहुंचे और उनसे संवाद बनाए रखें या हम ही उनके परिजन हैं. इसलिए डिनर विद कलेक्टर अभियान भी शुरू किया है, जिसमें हॉस्टल में बच्चों के बीच पहुंचकर उनके साथ भोजन पर चर्चा करते हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement