राजस्थान के जालोर का एक सरकारी स्कूल इन दिनों चर्चा में है. चर्चा में आने की वजह है स्कूल की बिल्डिंग, जिसके लिए कहा जा रहा है कि ये संसद की बिल्डिंग से मिलती जुलती है. ये आम सरकारी स्कूलों से काफी अलग है. खास बात ये है कि इस स्कूल के बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. दरअसल, जिस शख्स ने इस भव्य सरकारी स्कूल की बिल्डिंग का निर्माण करवाया है, उस शख्स को पहले एक कमरा बनवाने के लिए कहा गया था. मगर इस शख्स ने एक कमरे की जगह पूरा स्कूल बनवा दिया और अब ये स्कूल चर्चा में आ गया है.
ऐसे में जानते हैं कि आखिर वो शख्स कौन हैं, जिन्होंने इस स्कूल को बनवाया है. साथ ही उन्हीं से जानते हैं कि ये स्कूल कितना भव्य है और इस स्कूल की खास बात क्या है....
किसने बनवाया है स्कूल?
जालोर के इस स्कूल की भव्य इमारत को बनाने का श्रेय अमेरिकी एनआरआई डॉक्टर अशोक जैन को जाता है. अशोक जैन ने जब आजतक से बात की तो उन्होंने बताया कि आखिर कैसे ये स्कूल बनकर तैयार हुई. उन्होंने बताया कि वो खुद इसी स्कूल में पढ़ा करते थे. उन्होंने कक्षा 1 से लेकर 3 तक जालोर के दादाल गांव में ही पढ़ाई की थी. उस वक्त इस स्कूल में नीचे बैठकर पढ़ाई करनी पढ़ती थी और पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते थे.
उन्होंने बताया, 'उसके बाद हम गांव से बाहर चले गए और बेंगलुरु शिफ्ट हो गए. दरअसल, राजस्थानी अक्सर बाहर जाकर बिजनेस करते हैं और हमारे परिवार के लोग भी ऐसा ही कर रहे थे. फिर हमारे साथ भी ऐसा हुआ और हम वहां से चले गए. उसके बाद मैंने बेंगलुरु में पढ़ाई की और मैं पढ़ाई से ज्यादा स्पोर्ट्स में अच्छा था. मैं नेशनल लेवल का प्लेयर था और फिर मुझे स्पोर्ट्स कोटा से एडमिशन मदद मिली. इसके बाद मैंने एमबीबीएस की पढ़ाई की और भारत में काम करने के बाद मैं अमेरिका चला गया.'
आगे की जर्नी के बात करते हुए उन्होंने बताया, 'इसके बाद मैंने अमेरिका में प्रेक्टिस जारी रखी. हमने अमेरिका में भी कई हेल्थ सेंटर खोले. वहां सफलता हासिल करने के बाद हम अक्सर भारत आते जाते रहते थे. हमने पहले बेंगलुरु में अस्पताल भी बनवाया था, जिसका उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने किया था.'

'एक कमरा बनाने के लिए कहा था'
डॉक्टर जैन ने बताया, 'साल 2020 में मुझे 26 जनवरी के मौके पर स्कूल की ओर से बुलाया गया था और अपनी जर्नी बच्चों से शेयर करने के लिए कहा गया था. उस वक्त मैंने देखा कि स्कूल के हालात वैसे ही थे, जैसे हम पढ़ाई करते थे. बच्चे वैसे ही पढ़ाई कर रहे थे. उस वक्त प्रिंसिपल ने एक कमरा बनाने के लिए कहा और मैंने इसके लिए हां बोल दिया. उसके बाद जब मैंने अपनी मां को ये बात बताई तो उन्होंने कहा एक-दो कमरे से कुछ नहीं होगा. पूरा स्कूल बनवाना होगा. फिर हमने स्कूल बनवाने का फैसला किया. पहले एक छोटा स्कूल बनाने का विचार था और धीरे धीरे ये भव्य स्कूल में बदल गया.
उन्होंने बताया कि पहले उनके पास जमीन नहीं थी. उन्होंने जब किसानों से जमीन बेचने के लिए कहा तो वहां के लोगों ने स्कूल के नाम पर जमीन दे दी. ऐसे में राजस्थान सरकार, किसानों और खरीदकर करीब 5 एकड़ जमीन हो गई और उसके बाद स्कूल का काम शुरू हुआ. उन्होंने बताया, 'जब हमनें स्कूल बनवाने का फैसला किया, उस दिन भी 26 जनवरी ही थी. उसके बाद हमने इसे संविधान से जोड़ने की सोची और स्कूल की डिजाइन को संसद से प्रेरित किया. फिर स्कूल का निर्माण संसद की तरह किया. इस बीच मां के निधन और कोरोना की वजह से काम रुक गया था और उसके बाद काम शुरू हुआ. अब छोटी सी कोशिश का आज ये नतीजा है.'
स्कूल में क्या है खास?
स्कूल को बनवाने में करीब 7 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है और स्कूल में कई मॉडर्न फैसिलिटी हैं. अब स्कूल में 22 क्लासरूम बनाए गए हैं. इसके साथ लकड़ी की टेबल, डिजिटल बोर्ड, साइंस-कंप्यूटर लैब, स्किल डवलपमेंट क्लास जैसी सुविधाएं दी गई है. खेल के लिए 7 कोर्ट बनाए गए हैं और 23 टॉयलेट का निर्माण किया गया है. जिस स्कूल में पहले नीचे बैठकर बच्चे पढ़ाई करते थे, उसकी तस्वीर पूरी तरह बदल गई है.
इसके अलावा स्कूल में बच्चों के लिए एक किचन है, जहां 150-200 लोग एक साथ खाना खा सकते हैं. साथ ही एक स्टोर है. इसके अलावा स्कूल में एपी थियेटर आदि भी बनाया गया है. स्कूल को वाईफाई डिजिटल सिस्टम से जोड़ा गया है, ऐसे में अगर कभी टीचर ना भी आए तो बच्चे वीडियो के जरिए पढ़ाई कर सकते हैं. साथ ही स्कूल में अब स्पोर्ट्स एकेडमी का काम शुरू होने वाला है. डॉक्टर जैन ने बताया, 'हम अमेरिका में जिस तरह के स्कूल देखते हैं, वैसा ही स्कूल बनाने की कोशिश की गई है.' स्कूल में स्किल डवलमेंट को लेकर खास काम किया जा रहा है ताकि गांव का बच्चा आगे जाकर कुछ अच्छा प्रदर्शन कर सके.