scorecardresearch
 

'कर्ज लेकर चुकाई थी बच्ची की FIITJEE की फीस...', कोचिंग सेंटर बंद होने पर छलका पेरेंट्स का दर्द

सुजीत ने बताया कि 9वीं और 10वीं कक्षा के कोर्स के लिए उनसे 1,30,000 रुपए फिटजी ने लिए थे, जो उन्होंने कर्ज लेकर दिए थे. उनका व्यापार कोरोना महामारी के बाद से ठीक से नहीं चल रहा था, लेकिन पैसे से ज्यादा चिंता इस बात की है कि उनकी बेटी अब कहां पढ़ेगी और कौन पढ़ाएगा. सुजीत का परिवार और बेटी इस स्थिति में बेहद चिंतित हैं.

Advertisement
X
FIITJEE Coaching Centre Closed
FIITJEE Coaching Centre Closed

दिल्ली-एनसीआर समेत झारखंड के रांची में FIITJEE के कोचिंग सेंटर अचानक बंद हो गए हैं. जिस समय IIT और अन्य इंजीनियरिंग संस्थानों में एडमिशन के लिए पूरा वक्त अभ्यर्थी परीक्षा पर फोकस करते हैं, उस कीमती समय में FIIIT-JEE में एडमिशन ले चुके कई शहरों के छात्र प्रदर्शन के लिए मजबूर हैं. FIITJEE अचानक बंद हो गया है. इस वजह से कई छात्र और उनके माता-पिता परेशान हैं.

रांची में भी बंद हुआ FIITJEE

रांची में FIITJEE के दोनों सेंटर पर अचानक ताले लटकने से यहां कोचिंग लेने आए विद्यार्थी और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी परेशान हैं. साथ ही, 1600 से ज्यादा अभिभावक, जिन्होंने अपने बच्चों का रांची सेंटर में बड़े अरमानों से एडमिशन करवाया था, वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. 

पिता ने कहा- कर्ज लेकर चुकाई थी फीस

रांची के हरिओम टावर में हमारे संवाददाता ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया, लेकिन वहां कोई बातचीत करने वाला नहीं था. साउथ ऑफिस पारा सेंटर के एक अभिभावक सुजीत झा ने बताया कि उनकी बेटी ने 9वीं कक्षा में एडमिशन लिया था. सुजीत ने बताया कि 9वीं और 10वीं कक्षा के कोर्स के लिए उनसे 1,30,000 रुपए फिटजी ने लिए थे, जो उन्होंने कर्ज लेकर दिए थे. उनका व्यापार कोरोना महामारी के बाद से ठीक से नहीं चल रहा था. सुजीत ने कहा, 'पैसे से भी ज्यादा चिंता इस बात की है कि बेटी पढ़ कहां पाएगी और कौन पढ़ाएगा. बेटी और परिवार चिंता में हैं. 

Advertisement

ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं पेरेंट्स

सुजीत ने बताया कि दूसरे कोचिंग संस्थान, जिन्हें यह जानकारी मिल चुकी है कि फिटजी बंद हो चुका है, अब अभिभावकों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं. वे अलग-अलग कोचिंग संस्थानों से फोन करके छात्रों को जॉइन करने के लिए दबाव डाल रहे हैं और उनसे पैसे भी मांग रहे हैं. अब तमाम पेरेंट्स सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी पढ़ाई में कोई रुकावट न हो और उनके पैसे भी सुरक्षित मिल जाएं. इसके साथ ही, वे यह भी चाहते हैं कि कोचिंग संस्थानों पर रेगुलेटरी नजर रखी जाए, जैसा कि अन्य सेक्टरों में होता है, जैसे इंश्योरेंस और अन्य उद्योगों में.

कई पेरेंट्स अब केस करने के मूड में हैं. सुजीत झा की तरह संतोष मिश्रा ने भी कुछ महीने पहले अपनी बेटी के लिए 3.25 लाख रुपए जमा किए थे ताकि वह मार्च से शुरू होने वाले सेशन में 11वीं से 12वीं की कोचिंग कर सके और जेईई समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सके. सचिंद्र मोहन ने भी अपने बेटे के लिए 5 वर्ष के कोर्स के लिए सवा तीन लाख रुपए का भुगतान किया था, जबकि अविनाश ठाकुर के बच्चे ने भी इसी तरह से सवा तीन लाख का भुगतान किया था, लेकिन एक दिन भी क्लास नहीं की.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement