16 साल की उम्र में, अर्जुन कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. इतनी कम उम्र में अर्जुन ने वो हासिल कर लिया है जिसका कई लोग सपना देखते हैं. कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स 2023 के लिए दो सप्ताह से भी कम समय बचा है. इस बार खेलों का सातवां संस्करण 4 से 6 अगस्त, 2023 तक पोर्ट ऑफ स्पेन, त्रिनिदाद और टोबैगो में होगा. अर्जुन भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपनी सर्वश्रेष्ठ तैयारी कर रहे हैं. आइए जानते हैं कौन है 12वीं के छात्र अर्जुन किस खेल में हैं माहिर.
वर्तमान में मॉडर्न पब्लिक स्कूल, शालीमार बाग में पढ़ रहा अर्जुन 12वीं कक्षा का छात्र है. भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) खिलाड़ी के रूप में उनकी यात्रा 12 साल की उम्र में शुरू हुई जब उन्होंने बिना सोचे-समझे इस खेल को अपना लिया. उस समय, अर्जुन इस बात से अनजान थे कि यह आकस्मिक खोज एक जुनून बन जाएगी, जिससे आगे चलकर उन्हें इंटरनेशनल स्पोर्ट्स में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.
उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 15 साल की उम्र में, उन्होंने चौथी एशियाई युवा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2022 में भारत का प्रतिनिधित्व किया और भाला फेंक में रजत पदक जीता. अर्जुन भारत के अंडर-18 लड़कों के भाला फेंक वर्ग में शीर्ष स्थान पर हैं और राष्ट्रमंडल देशों में तीसरे स्थान पर हैं. अर्जुन भारत के अंडर-18 लड़कों के भाला फेंक वर्ग में शीर्ष स्थान पर हैं.
राष्ट्रमंडल युवा खेलों की तैयारी
16 साल का यह खिलाड़ी पूरी लगन से कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारी कर रहा है. इस साल की शुरुआत से, अर्जुन अपने चरम प्रदर्शन को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रम का पालन कर रहे हैं.
बनाया ये रूटीन
अर्जुन के लिए पढ़ाई और अभ्यास के बीच तालमेल बैठाना कठिन है. लेकिन, 12वीं कक्षा के छात्र का मानना है कि यदि आपके पास स्पष्ट लक्ष्य है तो कुछ भी असंभव नहीं है. इंडिया टुडे से बातचीत में अर्जुन ने कहा कि मैंने एक टफ रूटीन का पालन किया जिसमें समय पर अभ्यास सत्र और कक्षाओं में भाग लेना शामिल है। वह रोजाना तीन से चार घंटे प्रैक्टिस करते हैं और दो घंटे सेल्फ स्टडी करते हैं.
ऐसे रखते हैं तनाव को दूर
अपनी बिजी दिनचर्या में तनावमुक्त होना जरूरी है. अर्जुन के लिए, योग और ध्यान तनाव मुक्ति की कुंजी बन गए. योग और ध्यान के अलावा, अर्जुन के प्रशिक्षण में नियमित मालिश और भौतिक चिकित्सा भी शामिल है. अर्जुन कहते हैं कि योग और ध्यान-अभ्यास मुझे अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं. यह मुझे सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को खत्म करने में मदद करता है. अर्जुन की सबसे बड़ी प्रेरणा उनके पिता रमाकांत हैं, जो दिल्ली में मिठाई विक्रेता हैं. उनके पिता भी डिस्कस थ्रो वर्ग के खिलाड़ी थे.
लेकिन, एक मध्यम वर्गीय परिवार से होने के कारण, उनके पिता पर कई जिम्मेदारियां थीं, इसलिए उन्हें एक खिलाड़ी बनने के अपने सपने को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. अर्जुन कहते हैं कि मेरे पिता बचपन में मुझसे कहा करते थे कि वह चाहते हैं कि मैं खेलों में भारत के लिए पदक जीतने की उनकी महत्वाकांक्षा को पूरा करूं. इससे खेल भावना के प्रति मेरा उत्साह हमेशा बरकरार रहा.
हासिल कीं ये उपलब्धियां
अर्जुन भारत के अंडर-18 लड़कों के भाला फेंक वर्ग में शीर्ष स्थान पर हैं और राष्ट्रमंडल देशों में तीसरे स्थान पर हैं. उन्होंने कुवैत और उज्बेकिस्तान में चौथी और पांचवीं एशियाई अंडर-18 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीते. इसके अलावा, उन्होंने मार्च 2023 में उडुपी, कर्नाटक में 18वीं राष्ट्रीय युवा एथलेटिक्स चैंपियनशिप और सितंबर 2022 में भोपाल, मध्य प्रदेश में 17वीं राष्ट्रीय युवा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किए.
उन्हें एशियाई युवा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के दो अलग-अलग संस्करणों में रजत पदक हासिल करने वाले एकमात्र भाला फेंक खिलाड़ी के रूप में वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स-यूके में भी मान्यता दी गई है.
स्कूल ने भी दी सुविधाएं
अर्जुन के स्कूल ने उन्हें टॉप लेवल की प्रशिक्षण सुविधाएं दीं. उच्च-स्तरीय भाला और हाथ-मजबूत करने वाले गियर जैसे आवश्यक उपकरण प्रदान किए हैं जो उनके दैनिक अभ्यास के लिए महत्वपूर्ण हैं. उनके छूटे हुए शैक्षणिक सत्रों को कवर करने की व्यवस्था करते हुए कक्षाओं के दौरान भी प्रशिक्षित करने की अनुमति मिलती है. स्कूल अर्जुन को पूरी स्कॉलरशिप भी देता है.