महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के दूरदराज गांवों के चार आदिवासी छात्र मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET 2022 पास करके डॉक्टर बनने और अपने समुदाय की सेवा करने के अपने सपने को साकार करने के करीब एक कदम आगे बढ़ गए हैं. न्यूनतम संसाधनों के साथ, खेतिहर मजदूरों और सीमांत किसानों के परिवारों से आए स्टूडेंट्स ने राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET 2022) क्लियर कर ली है. रिजल्ट 07 सितंबर को घोषित किए गए थे.
एजेंसी से बात करते हुए, 18 वर्षीय अरुण ललसू मत्तमी ने कहा कि वह हमेशा एक डॉक्टर बनने का सपना देखते थे, लेकिन जहां वह रहते थे वहां शिक्षा आसानी से उपलब्ध नहीं थी. अरुण भामरागढ़ तालुका के एक आदिवासी बस्ती से हैं. उन्होंने कक्षा 4 से आगे अहेरी में और भामरागढ़ में कक्षा 12 के छात्रावास में रहकर अपनी पढ़ाई की.
विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह 'माडिया गोंड' समुदाय से संबंधित अरुण ने NEET परीक्षा में 720 में से 450 नंबर स्कोर किए हैं. अरुण के माता-पिता किसान हैं, जो जीविकोपार्जन के लिए छोटे-मोटे काम करते हैं.
एक और कैंडिडेट सपना जवारकर (17) के लिए, NEET परीक्षा में लैंग्वेज प्रमुख बाधाओं में से एक थी. अमरावती जिले के मेलघाट के मखला गांव के एक सीमांत किसान की बेटी सपना ने कहा, 'मेरे लिए परीक्षा की तैयारी करना मुश्किल था. भाषा एक बाधा थी, क्योंकि मुझे अंग्रेजी समझने में मुश्किल हो रही थी.' सपना और अरुण के अलावा, भामरागढ़ के आदिवासी छात्रों सचिन अर्की और राकेश पोडाली ने भी परीक्षा उत्तीर्ण की है और अब MBBS कर डॉक्टर बनने का सपना देख रहे हैं.