सपनों को अगर पंख लग जाए तो उड़ान को कोई रोक नहीं सकता. ये बात उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में सच साबित हो रही है. दरअसल, यहां कुछ लड़कियों ने गांव के स्कूल के आगे कुछ नहीं देखा था, लेकिन पहली बार में ही NEET परीक्षा में अपनी मेहनत और क्षमता का लोहा मनवा दिया. मिर्जापुर की पहाड़ी पर बसे मड़िहान में लड़कियों के सरकारी आवासीय सर्वोदय विद्यालय की 12 बच्चियों ने पहली बार में ही NEET के कट ऑफ को पार कर लिया.
दलित आदिवासी और ओबीसी लड़कियों का पहला बैच, जिसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर कैसे सुदूर जंगल के एक इलाके के एक सरकारी स्कूल ने ऐसा कमाल कर दिया है. लड़कियों की ये कहानी प्रेरणा देने वाली है, क्योंकि इन सभी बच्चियों के माता पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं. यहां तक कि कई तो अपना नाम तक लिखना नहीं जानते. कोई दैनिक मजदूर है, कोई नरेगा मजदूरी है, कोई सड़क किनारे सीट कवर सिलता है तो कोई भट्ठे में मजदूरी करता है. ऐसे परिवार की लड़कियों ने ये कमाल किया है.

मिर्जापुर की इस सर्वोदय आवासीय स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों को देखकर लगेगा ही नहीं की ये लड़कियां किसी से कम हैं. यहां इलेक्ट्रॉनिक ब्लैक बोर्ड पर आधुनिक तरीके से पढ़ाई करवाई जाते हैं और स्कूल के कमरे किसी प्राइवेट स्कूल के कमरों से कम नहीं है. यहां की 12 लड़कियों ने NEET क्रैक किया है, एक ने JEE जबकि 22 लड़कियों ने KGMU और PGI जैसे संस्थानों में नर्सिंग कॉलेज में क्वालीफाई किया है. बता दें कि सुपर-30 और नवोदय विद्यालय की कोचिंग की तर्ज पर इन लड़कियों को तैयार किया जा रहा है. दो साल के लिए यही मड़िहान का आवासीय परिसर इनका घर हॉस्टल स्कूल सबकुछ है.
श्वेता पाल के पिता सिलते हैं सीट कवर
नीट परीक्षा पास करने वाली एक छात्रा श्वेता पाल के पिता प्रयागराज में सड़क पर सीट कवर सिलने की दुकान लगाते हैं. श्वेता ने इस साल NEET क्वालीफाई किया है, जबकि छोटी बहन अगले साल के बैच में इसी स्कूल में एनरोल्ड है.
पूजा के पीते नरेगा मजदूर हैं
वहीं, एक और छात्रा पूजा रंजन के पिता सोनभद्र में मनरेगा मजदूर हैं. गांव में झोंपड़ी का घर है और पूरे इलाके में डॉक्टर तो दूर कोई पढ़ा लिखा भी शायद ही मिले.

कैसे होती है पढ़ाई?
दरअसल, मड़िहान के इस आवासीय सर्वोदय विद्यालय में सभी 29 आवासीय सर्वोदय विद्यालय की लड़कियों में से चुनकर 40 लड़कियों का बैच बनाया गया. फिर पिछले दो सालों में प्राइवेट कोचिंग के फैकेल्टी के जरिए इन्हें कोचिंग दी गई. इसमें एक्स नवोदय फाऊंडेशन और समाज कल्याण विभाग ने अपना सहयोग दिया. इसके बाद पहले ही बैच में ही चौंकाने वाला रिजल्ट सामने आया. समाज कल्याण विभाग ने इसे सेंटर आफ एक्सीलेंस घोषित किया, जिसमें पूरे प्रदेश से चुनकर आई 40 बच्चियों को रखा गया.