मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में फिर एक मजदूर की किस्मत चमकी है. उसने 200 रुपये में हीरे की खान खरीदी थी. इसकी खुदाई के दौरान करीबन अब उसके हाथ 40 लाख मूल्य का हीरा लगा है. हीरा कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि जिस शख्स को हीरा मिला है, उसका नाम माधव कृष्णा है और वह एक आदिवासी मजदूर है.
रवि पटेल के अनुसार मंगलवार को कल्याणपुर पट्टी नाम के गांव में एक सतही खदान में खुदाई के दौरान माधव कृष्णा को 11.95 कैरेट का हीरा मिला. माधव ने नियम के तहत हीरा को सरकारी कार्यालय में जमा कर दिया. अधिकारी ने बताया कि हीरे की जल्द ही नीलामी की जाएगी और 12.5 प्रतिशत रॉयल्टी काटने के बाद बची राशि मजदूर को दे दी जाएगी.
यहां कैसे लोगों को मिलते रहे हैं हीरे
पन्ना से हर साल ऐसी कोई न कोई ऐसी खबर आती रहती है कि वहां जमीन की खुदाई करने पर लोगों को हीरे मिले. पन्ना जिले में हीरे की खोज में सैकड़ों लोग लगे हुए हैं. एक अनुमान के अनुसार मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित पन्ना जिले में 12 लाख कैरेट का हीरा भंडार है. यही वजह है कि यहां कई ऐसे परिवार हैं, जो सालों से हीरा खोजने में लगे हुए हैं.
सिर्फ 200 रुपये में मिलता है हीरे के खदान का पट्टा
पन्ना में लोग सिर्फ 200 रुपये में हीरे की खान खरीद लेते हैं. ये सुनने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन सच है. हीरे की खादान का पट्टा पन्ना स्थित हीरा कार्यालय से मिलता है. दरअसल, जिस क्षेत्र में हीरे का भंडार होने का अनुमान है. वहां 8 गुणा 8 मीटर का पट्टा खुदाई के लिए सरकार आवेदन करने वाले शख्स को अलॉट करती है. इस तरह लोगों को जमीन का एक छोटा टुकड़ा मिल जाता है. जहां वे खुदाई कर हीरा खोज सकते हैं. पट्टा लेने के बाद कोई गारंटी नहीं है कि खुदाई करने पर हीरे मिल ही जाएंगे. किस्मत अच्छी हुई तो लोगों को थोड़ी मेहनत करने पर हीरा मिल जाता है, वरना अलग-अलग जगह पट्टा लेने और खुदाई के बाद भी कुछ हाथ नहीं लगता.
खुदाई कर सिर्फ हीरा निकाल सकते हैं लोग
पट्टा लेने वाले परिवार को खुदाई करके सिर्फ हीरा ही निकालना होता है. हीरा मिलने या नहीं मिलने की स्थिति में बाद में सारी मिट्टी भी खोदे गए गड्ढे में भरनी पड़ती है. इस काम में सैकड़ों लोग सालों से लगे हुए हैं. हर साल सिर्फ एक या दो शख्स को ही सफलता मिल पाती है.
सरकारी कार्यालय में जमा करना होता है हीरा
जब किसी को हीरा मिलता है तो उसे सरकारी कार्यालय में जमा करना पड़ता है. इसके बाद सरकार इसकी नीलामी करवाती है. इसके लिए हीराधारक को 5000 रुपये फीस जमा करनी पड़ती है. ताकि, उसने जो हीरा खोजकर निकाला है, उसकी नीलामी हो सके. नीलामी में हीरा बिकने के बाद 12 प्रतिशत रॉयल्टी काटकर 80 प्रतिशत राशि हीरा खोजने वाले को दे दी जाती है.