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कोलकाता रेपिस्ट को मिलेगा कैपिटल पनिशमेंट? क्या ये उम्रकैद, फांसी से है अलग?

Kolkata Murder Case: कोलकाता रेप केस को लेकर विरोध के बीच पश्चिम बंगाल सरकार रेपिस्ट को कैपिटल पनिशमेंट देने को लेकर बिल पेश करने की तैयारी में है.

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पश्चिम बंगाल सरकार कैपिटल पनिशमेंट की सजा को लेकर बिल पेश करने जा रही है.
पश्चिम बंगाल सरकार कैपिटल पनिशमेंट की सजा को लेकर बिल पेश करने जा रही है.

कोलकाता रेप और मर्डर केस को लेकर अभी बवाल खत्म नहीं हुआ है. रेप केस में दोषियों को सजा को लेकर स्टूडेंट, राजनीतिक पार्टियां, डॉक्टर्स विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार दुष्कर्मियों को कैपिटल पनिशमेंट देने को लेकर एक बिल पेश करने जा रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि अगर राज्यपाल संशोधित विधेयक को मंजूरी देने में देरी करते हैं तो वो राजभवन के बाहर धरने पर बैठेंगी. ऐसे में सवाल है कि आखिर कैपिटल पनिशमेंट में सजा के क्या प्रावधान होते हैं और क्या ये उम्रकैद, मृत्युदंड से अलग है?

क्या होता है कैपिटल पनिशमेंट?

अगर कैपिटल पनिशमेंट की बात करें तो मृत्युदंड को ही कैपिटल पनिशमेंट कहा जाता है. इसका मतलब है कि इसमें दोषी व्यक्ति को मौत की सजा दी जाती है. इसे किसी भी अपराधी को अदालत की ओर से दिए जाने वाला सबसे सख्त दंड है. यह आमतौर पर हत्या, बलात्कार, देशद्रोह, आपराधिक षड्यंत्र आदि केसो में दिया जाता है. हालांकि, इस सजा का काफी विरोध भी होता है और मानवाधिकार के आधार पर इसका विरोध किया जाता है. भारत में मृत्युदंड को खत्म करने की मांग लंबे वक्त से हो रही है. 

भारत के विधि आयोग ने भी राष्ट्र के खिलाफ युद्ध छेड़ने और आतंकवाद को छोड़कर सभी अपराधों के लिए मृत्युदंड को समाप्त करने की सिफारिश की थी. लेकिन, कई लोगों को मृत्युदंड की सजा सुनाई जा चुकी है. 31 दिसंबर, 2022 तक भारत में मृत्युदंड की सजा पाए 539 कैदी थे. नई न्याय व्यवस्था बीएनएस में सभी तरह के सामूहिक बलात्कार की सजा 20 साल की कैद या आजीवन कारावास है. नाबालिग से बलात्कार के लिए मौत की सजा हो सकती है.

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आर्मी ऐक्‍ट, असम राइफल्‍स ऐक्‍ट, बॉर्डर सिक्‍योरिटी फोर्स ऐक्‍ट, कोस्‍ट गार्ड ऐक्‍ट, डिफेंस ऑफ इंडिया ऐक्‍ट में मृत्युदंड का प्रावधान है. लेकिन, कई देशों ने इसे खत्म कर दिया है और इस लिस्ट में कई देश लगातार जुड़ रहे हैं. 

क्या होती है उम्र कैद?

पहले तो आपको बता दें कि उम्रकैद और आजीवन कारावास एक ही चीज़ हैं और इनमें कोई अंतर नहीं है. दोनों का मतलब है कि दोषी को जीवन भर जेल में रहना होगा. हालांकि, कैदी के अच्छे व्यवहार के आधार पर उसे 14 साल की सज़ा पूरी करने के बाद भी छोड़ दिया जा सकता है. इस सजा को कम करने का प्रावधान भी है, लेकिन कई चीजों पर निर्भर करता है, जिसमें कैदी का व्यवहार आदि शामिल है. उसे सजा के दौरान  पैरोल, फरलो आदि मिलती रहती है, लेकिन उसे हमेशा जेल में ही रहना होगा. 

क्या होती है फांसी?

अगर फांसी की बात करें तो ये कैपिटल पनिशमेंट यानी मृत्युदंड का ही एक मेथड है. यानी फांसी के जरिए मृत्युदंड दिया जाता है और ये तरीका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसमें हेंग टिल डेथ की बात कही जाती है यानी किसी को उसकी मृत्यु तक फांसी पर लटकाए जाने का प्रावधान होता है. 20 मार्च 2020 वह तारीख थी जब भारत में आखिरी बार किसी को फांसी दी गई.

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