भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति में पड़ोसी देश से जुड़ी कई चीजों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में भारत में खासी फेमस एक मिठाई को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है, इसका नाम है 'कराची हलवा'. हालांकि, इसे कई जगहों पर 'बॉम्बे हलवा' के नाम से भी जाना जाता है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर इसका नाम कराची हलवा ही क्यों पड़ा और इसका वहां से क्या रिश्ता है.
आज भले ही हलवे के बिना भारतीय खाने की कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन जब बात इसके ओरिजिन और इतिहास की आती है, तो असल में ये भारतीय व्यंजन है ही नहीं. हलवे जैसी मीठी डिश वास्तव में भारतीय मूल की नहीं है. उन्हें न केवल तुर्की मूल का माना जाता है, बल्कि वे 13वीं शताब्दी के बाद मध्य एशिया के रास्ते भारत आया था.
दूसरे देश से भारत आई है हलवे की रेसिपी
दिल्ली सल्तनत के काल में प्रकाशित साहित्य में भी इसके निशान पाए गए हैं. कुछ शताब्दियों बाद, हलवे ने भारतीय रूप धारण कर लिया. भारतीय मिठाई बनाने वालों ने कई सामग्रियों के साथ प्रयोग किए और हलवे के कई प्रकार सामने आए. ज़्यादातर हलवे, चाहे वह सूजी के हो, मूंग दाल के हो या गाजर, उनका गाढ़ापन प्रिड्ज जैसा होता है, यह बहुत ज़्यादा मात्रा में घी डाले जाने के कारण अतिरिक्त मखमली और चमकदार हो जाता है, लेकिन यह इतना नरम होता है कि आप इसे चम्मच से काट कर खा सकते हैं.
दूसरी ओर, कराची हलवा जेली के टुकड़े जैसा दिखता है, और जब आप चम्मच से इसका एक टुकड़ा काटते हैं, तो यह मीठी, चबाने वाली कैंडी जैसा लगता है और जब आप इसे सूंघने के लिए पास जाते हैं, तो यह सबसे स्वादिष्ट देसी बर्फी को भी कड़ी टक्कर दे सकता है.
क्यों कहते हैं कराची हलवा को बॉम्बे हलवा
कराची हलवा आधुनिक इतिहास के सबसे सफल क्रॉस-बॉर्डर आयातों में से एक रहा है. गहरे भूरे या नारंगी रंग का और मेवों से भरा हुआ, कराची हलवा को कई लोग बॉम्बे हलवा के नाम से भी जानते हैं. ऐसा कहा जाता है कि विभाजन के बाद हलवा कराची से बॉम्बे लाया गया था.
ऐसे नाम पड़ा कराची हलवा
चंदू हलवाई कराचीवाला आज मुंबई में एक प्रतिष्ठित मिठाई की दुकान है. हालांकि, यह मूल रूप से कराची में वर्ष 1896 में स्थापित किया गया था. इसके मालिक, अन्य हलवाइयों की तरह भारत के विभाजन के बाद कराची से बॉम्बे चले आए थे. फिर इस अनोखे हलवे को यहां बनाना शुरू किया. इस तरह कराची से आई इस नई रेसिपी का नाम कराची हलवा रख दिया गया. इसने सीमा के इस तरफ के लोगों को भी प्रभावित किया.
ऐसे बना कराची से बॉम्बे हलवा
चूंकि, कराची से आए ये हलवाई , इन पारंपरिक मिठाइयों के रूप में अपने घर का एक हिस्सा यहां लाए थे. समय के साथ, कराची हलवा ने सपनों के शहर में अपनी बढ़ती लोकप्रियता के कारण कराची हलवा नाम धारण कर लिया. बाद में ये बॉम्बे हलवा के रूप में भी फेमस हुआ. ऐसा कहा जाता है कि चंदू हलवाई का खाना शिविरों में शरण लेने वाले शरणार्थियों को भी भेजा जाता था और मालिक ने इसके लिए कोई भुगतान लेने से इनकार कर दिया था.