13 जून को इजरायल ने ऑपरेशन राईजिंग लॉयन के तहत एक साथ ईरान के परमाणु प्रोजेक्ट, बैलेस्टिक मिसाइल लॉन्चर, एयर डिफेंस सिस्टम और न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स को निशाना बनाया था. ऑपरेशन के पहले दिन ही ईरान को ऐसा झटका लगा, जिससे उबर पाना मुश्किल है.
इस ऑपरेशन को लंबे समय से चल रही प्लान के तहत अंजाम दिया गया. राइजिंग लॉयन की तैयारी के लिए भी मोसाद ने ईरान के अंदर एक खुफिया ऑपरेशन चलाया था, जिसका नाम था- ऑपरेशन नार्निया.
एक झटके में आईआरजीसी के अफसर और परमाणु वैज्ञानिकों हो गए साफ
इजराइल ने पिछले 13 जून को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया था. यह ईरान के खिलाफ युद्ध की एक शक्तिशाली शुरुआत थी. इस ऑपरेशन में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के कई वरिष्ठ लोगों और ईरान के परमाणु कार्यक्रम में शामिल प्रमुख व्यक्तियों को सफलतापूर्वक मार गिराया गया था. आईडीएफ ने नींद में ही सभी वैज्ञानिकों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस काम को ऑपरेशन नार्निया की वजह से अंजाम दिया गया. यानी एक खुफिया ऑपरेशन की बुनियाद पर इस बड़े सैन्य ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.
क्या था ऑपरेशन नार्निया
ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाकर चलाए गए ऑपरेशन का नाम इजरायल ने नार्निया क्यों रखा? इसका जवाब है इस नाम का अर्थ, जो इस ऑपरेशन की असंभव प्रकृति को दर्शाता है. यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, नौ परमाणु वैज्ञानिकों पर आईडीएफ इसलिए सटीक हमला कर सका. क्योंकि लंबे समय से चल रहे खुफिया ऑपरेशन नार्निया की वजह से ही वैज्ञानिकों की सटीक जानकारी मिल पाई थी और सभी वैज्ञानिकों को उनके घर में सोते समय एक साथ निशाना बनाया गया था.
ऑपरेशन नार्निया की काफी पहले शुरू हुई थी तैयारी
एक वरिष्ठ आईडीएफ अधिकारी ने ऑपरेशन की योजना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि खुफिया एजेंसी और वायु सेना के 120 व्यक्तियों को ऑपरेशन की प्लानिंग बनाने के लिए यूनिट 8200 में एक फैसिलिटी में लाया गया था. जनवरी तक, दबाव बढ़ रहा था क्योंकि कोई समाधान नहीं मिल पाया था. आम सहमति स्पष्ट थी - हमें वायु रक्षा प्रणालियों को टारगेट करने वाले समाधान विकसित करने की आवश्यकता थी.
ईरान के अंदर एक-एक टारगेट चिह्नित कर बनाया गया टारगेट बैंक
अधिकारी ने कहा कि पिछले साल हमने एक टारगेट बैंक का निर्माण शुरू किया था और सफलता तब मिली, जब हमने ईरान में एक खुफिया बेस और एक वायु सेना बेस मिला. हालांकि, टारगेट बैंक में अभी भी पर्याप्त टारगेट नहीं थे. प्रत्येक टीम का अपना मिशन था. परमाणु वैज्ञानिकों को मारना, कमांड सेंटर और रडार सिस्टम को खत्म करना. इसके बाद ही ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू हुआ.
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फिर ऑपरेशन नार्निया को दिया गया अंजाम
ऑपरेशन नार्निया के दौरान, इजरायली खुफिया अधिकारियों ने ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों को खत्म करने के लिए चार स्तरों में वर्गीकृत किया. उन्हें उच्चतम से निम्नतम प्राथमिकता के आधार पर वर्गीकृत किया गया. सबसे अधिक सैन्य विशेषज्ञता वाले और सबसे अधिक कठिनाई वाले वैज्ञानिकों को सर्वोच्च स्थान दिया गया. इसके बाद इजरायल ने एक हिट लिस्ट तैयार की, जिसमें सबसे खतरनाक वैज्ञानिक सबसे ऊपर थे. फिर इनके बारे में खुफिया जानकारी जुटाई गई और सभी पर हमले को लेकर एक-एक कर कमांड दिया गया. इस तरह इन वैज्ञानिकों पर सटीक हमला हो पाया.
सटीक जानकारी और कमांड से हुआ सफाया
परमाणु वैज्ञानिकों पर सफल हमला खुफिया निदेशालय की सटीक खुफिया जानकारी के कारण संभव हो पाया. ये सटीक जानकारी ऑपरेशन नार्निया से जुटाए गए थे और इसके के तहत सटीक कमांड भी दिया गया. मारे गए वैज्ञानिक और विशेषज्ञ ईरान के परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण व्यक्ति थे. जिनके पास परमाणु हथियार विकास में दशकों का अनुभव था. उनमें से कई मोहसीन फखरीज़ादेह के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी थे, जिन्हें अक्सर ईरान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है.
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ऑपरेशन के दौरान मारे गए वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिकों नाम
फेरेयदून अब्बासी- परमाणु इंजीनियरिंग विशेषज्ञ
मोहम्मद महदी तेहरानची -भौतिकी विशेषज्ञ
अकबर मतलाली जादेह - रासायनिक इंजीनियरिंग विशेषज्ञ
सईद बेराजी - सामग्री इंजीनियरिंग विशेषज्ञ
अमीर हसन फकही - भौतिकी विशेषज्ञ
अब्द अल-हामिद मिनुशहर - रिएक्टर भौतिकी विशेषज्ञ
मंसूर असगरी - भौतिकी विशेषज्ञ
अहमद रजा दावलपार्की दरयानी - परमाणु इंजीनियरिंग विशेषज्ञ
अली बखायी काथेरेमी - यांत्रिक विशेषज्ञ