अमेरिकी विमानों ने ईरान में तीन परमाणु स्थलों पर बमबारी की है, ये वही स्थान हैं जिन्हें इजरायली विमानों ने ईरान के साथ चल रहे युद्ध में निशाना बनाया था. इनमें से एक लक्ष्य फोर्डो था, जो एक सुदूर पहाड़ी इलाके में छिपा यूरेनियम संवर्धन संयंत्र है जो ईरान के परमाणु हथियारों के लिए बेहद जरूरी है.
इजरायल बार-बार ईरान की उस जगह पर हमला कर रहा है जहां यूरेनियम को प्रोसेस किया जाता है ताकि यू-235 (Uranium-235) की मात्रा बढ़ाई जा सके. यह प्रक्रिया "यूरेनियम संवर्धन" (Uranium Enrichment) कहलाती है. अगर इजरायल ईरान के यूरेनियम संवर्धन ठिकानों को खत्म कर देता है तो इस देश की मिसाइल और न्यूक्लियर हथियार बनाने की छमता कम हो जाएगी. ऐसा क्यों है और यूरेनियम होता क्या है. आइए जानते हैं.
सबसे पहले तो यह समझिए कि यूरेनियम का उपयोग कुछ मिसाइलों और अन्य हथियार में किया जाता है. यूरेनियम जमीन में मिट्टी या पत्थर के रूप में पाया जाता है. इसके अलावा यह समुद्र में भी पाया जाता है. यूरेनियम की खोज 1789 में जर्मन रसायनज्ञ मार्टिन क्लैप्रोथ ने पिचब्लेंड नामक खनिज में की थी. इसका नाम यूरेनस ग्रह के नाम पर रखा गया था, जिसे आठ साल पहले खोजा गया था. यूरेनियम का निर्माण लगभग 6.6 बिलियन साल पहले सुपरनोवा में हुआ था. यह सभी प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्वों में से सबसे भारी है.
बम धमाके में कैसे काम करता है यूरेनियम
यूरेनियम-235 (Uranium-235), परमाणु हथियारों में मुख्य भूमिका निभाता है. इसका उपयोग फिशन बम (nuclear fission bomb) बनाने में किया जाता है. ये एक ऐसा रेडियोएक्टिव तत्व है, जो न्यूट्रॉन से टकराकर हो हिस्सों में फट जाता है. इससे ऊर्जा निकलती है और ब्लास्ट होता है. एक न्यूट्रॉन दूसरे न्यूट्रॉन से टकराता है. टक्कर से धमाका होता है, उस धमाके से और न्यूट्रॉन निकलते हैं वो आपस में टकराते हैं, फिर धमाका होता है और ये एक चेन रिएक्शन की तरह चलता रहता है.
अन्य तत्वों की तरह, यूरेनियम कई अलग-अलग रूपों में पाया जाता है जिन्हें 'आइसोटोप' के रूप में जाना जाता है. यूरेनियम सालों साल तक चलता है. रिसर्च के अनुसार, इसकी आयु पृथ्वी का आधी उम्र के बराबर है. यह धरती की कोर में पाया जाता है, जिसकी वजह से वहां गर्माहट काफी ज्यादा रहती है.