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होमी जहांगीर भाभा के बारे में वो 5 बातें, जो हर भारतीय को जाननी चाहिए

Homi Jahangir Bhabha ने सबसे पहले परमाणु शक्ति संपन्‍न भारत की कल्पना की और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा. उनके प्रयोगों और अथक प्रयासों की बदौलत भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों में से एक के रूप में उभरा है.

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Homi Jahangir Bhabha
Homi Jahangir Bhabha

Homi Jahangir Bhabha: होमी जहांगीर भाभा भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकार थे. उनका जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में एक धनी कुलीन परिवार में हुआ था. उन्होंने सबसे पहले परमाणु शक्ति संपन्‍न भारत की कल्पना की और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा. उनके प्रयोगों और अथक प्रयासों की बदौलत भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों में से एक के रूप में उभरा है. आइये जानते हैं होमी भाभा के बारे में वो 5 बातें जो आपको पता होने चाहिए:

1. शिक्षा
18 साल की उम्र में, युवा होमी अपने पिता और चाचा दोराब टाटा की इच्छा के अनुसार मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गए थे. उनके पिता और चाचा का यह विचार था कि वह इंग्लैंड में पढ़ाई करने के बाद भारत लौट आएंगे और जमशेदपुर में टाटा स्टील या टाटा स्टील मिल्स में मेटलर्जिस्ट के रूप में काम करेंगे.

2. न्‍यूक्लियर फीजिक्‍स में रुचि
भौतिकी में उनकी गहरी रुचि ने उन्हें कैंब्रिज में रहने के लिए फीजिक्‍स में डिग्री पूरी करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने अपने पहले वैज्ञानिक पेपर, 'द एबॉर्शन ऑफ कॉस्मिक रेडिएशन' के बाद परमाणु भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. 

3. छुट्टी मनाने लौटे भारत
1939 में, वह भारत में छुट्टियां मनाने के लिए आए मगर उसी समय द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो जाने के कारण वापस नहीं लौट सके. हालांकि, यह हमारे देश के एक वरदान साबित हुआ और उन्‍होंने यहीं रहकर देश को एक परमाणु शक्ति बना दिया.

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4. TIFR की स्थापना
भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक और भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान के दिग्गज भाभा ने कई प्रतिष्ठित संस्थानों की नींव रखी. वह 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) के संस्थापक निदेशक थे और ट्रॉम्बे एटॉमिक एनर्जी एस्टैब्लिशमेंट के निदेशक रहे जिसका बाद में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा उनकी स्मृति में नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र कर दिया गया.

5. रहस्‍यमयी मौत
होमी भाभा की मृत्यु 24 जनवरी, 1966 को एयर इंडिया की उड़ान 101 की दुर्घटना में हुई थी. मोंट ब्लांक पर्वत के पास विमान की स्थिति के बारे में जिनेवा हवाई अड्डे और उड़ान के पायलट के बीच गलत संचार के चलते फ्लाइट क्रैश हो गई. दावा किया जाता है कि परमाणु संपन्‍नता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ते भारत के कदम रोकने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी (CIA) ने उनकी हत्‍या की साजिश रची थी.

 

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