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करियर

केवल एमबीबीएस ही नहीं, 12वीं के बाद यह कोर्सेज करके भी बन सकते हैं डॉक्टर

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अगर आप डॉक्टर बनना चाहते हैं तो आपके पास एमबीबीएस के अलावा और भी कई मेडिकल क्षेत्रों में करियर बनाने का अवसर है. डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए नीट का एग्जाम क्लीयर करना अनिवार्य है, लेकिन सीटों और छात्रों के बढ़ते कॉम्पिटीशन के कारण हर कोई एमबीबीएस के लिए आवश्यक कट-ऑफ नहीं पास कर पाता. (फोटो-Pixabay)

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12वीं साइंस-बायोलॉजी के विद्यार्थियों के लिए मेडिकल एक सुरक्षित और सम्मानित करियर ऑप्शन माना जाता है. ऐसे में ज्यादातर छात्र एमबीबीएस डॉक्टर बनना चाहते हैं. लेकिन आज हम आपको इसके अलावा अन्य मेडिकल कोर्सेज के बारे में बताएंगे, जिन्हें करने के बाद आपको पास बतौर एक डॉक्टर करियर बनाने के विकल्प होंगे. (फोटो-Freepik)

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एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी)

साइंस बायोलॉजी के अधिकतर छात्रों के लिए एमबीबीएस अपनी लोकप्रियता के चलते हमेशा से पहली पसंद रहा है. साढ़े पांच साल के इस कोर्स में एक साल की इंटर्नशिप भी शामिल होती है, जिसके दौरान छात्र अपने सुपरवाइजर की देख-रेख में मरीजों का इलाज करते हैं. यह सबसे ज्यादा कॉम्पिटिटिव कोर्सेज में से एक है.

एमबीबीएस करने के बाद छात्रों के पास भविष्य के लिए कई विकल्प बन जाते हैं. वे जनरल फिजिशियन या एमडी/एमएस करके विशेषज्ञ बन सकते हैं या रिसर्च, पब्लिक हेल्थ और अस्पताल प्रशासन में काम कर सकते हैं. (फोटो-Pixabay)
 

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बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी)

दंत चिकित्सकों (डेंटिस्ट) की मांग लगातार बढ़ रही है. बीडीएस की डिग्री हासिल करके आप बेसिक दंत चिकित्सा के अलावा कॉस्मेटिक और एस्थेटिक दंत चिकित्सा के क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं. (फोटो-Freepik)
 

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बीएससी नर्सिंग

किसी भी स्वास्थ्य सेवा में नर्सिंग का स्थान बहुत महत्वपूर्ण है. नर्सेज को न केवल भारत, बल्कि विदेश में भी अच्छे करियर के अवसर मिलते हैं. बीएससी नर्सिंग के छात्र अस्पतालों, कम्युनिटी हेल्थ सर्विसेज और सरकारी सेवाओं में काम कर सकते हैं, या विदेश से एडवांस्ड ट्रेनिंग हासिल कर सकते हैं. (फोटो-Pixabay)

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आयुष (बीएएमएस और बीएचएमएस)

यदि आप प्राकृतिक और वैकल्पिक चिकित्सा पर शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, तो बीएएमएस (आयुर्वेद) और बीएचएमएस (होम्योपैथी) जैसे आयुष कोर्सेज कर सकते हैं, जिसके बाद आपको क्लीनिक्स, वेलनेस सेंटर्स, रिसर्च सेंटर्स और पब्लिक हेल्थ में काम करने का मौका मिलेगा. विश्व में होलिस्टिक चिकित्सा की बढ़ती लोकप्रियता के कारण आयुष में करियर के अवसर लगातार बढ़ रहे हैं. (फोटो-Pixabay)

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बी.फार्मा (बैचलर ऑफ फार्मेसी)

बी. फार्मा में छात्रों को दवाओं में मौजूद ड्रग्स (औषधियों), फार्मूलेशन और फार्माकोलॉजी के बारे में पढ़ाया जाता है. वे अस्पतालों, क्लीनिकल रिसर्च, दवा उद्योग और दवा रेगुलेटरी सेवाओं में काम करने के लिए विशेषज्ञता हासिल करते हैं. (फोटो-Freepik)

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बीपीटी (बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी)

एक्सीडेंट की चोट के दर्द को कंट्रोल करने और मांसपेशियों के मूवमेंट को ठीक करने में फिजियोथेरेपिस्ट की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है. स्पोर्ट्स मेडिसिन की लोकप्रियता और लाइफस्टाइल संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के आम होने से फिजियोथेरेपिस्टों की मांग बढ़ रही है. बीपीटी की डिग्री पाकर आप अस्पतालों, प्राइवेट क्लीनिक्स, खेल अकादमियों या वेलनेस सेंटर्स में काम कर सकते हैं. (फोटो-Freepik)
 

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एलाइड हेल्थ साइंसेज

अच्छी स्वास्थ्य सेवा काफी हद तक संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों (allied health professionals) पर निर्भर करती है. ऑक्युपेशनल थेरेपी, ऑप्टोमेट्री (optometry) और मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी जैसे कोर्सेज के जरिए छात्रों को बीमारी डायग्नोस करने, उपचार और रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया में ट्रेनिंग दी जाती है. (फोटो-Freepik)

आज स्वास्थ्य सेवा का विस्तार वेलनेस, बायोटेक्नोलॉजी, डिजिटल स्वास्थ्य, फार्मास्यूटिकल्स, रिसर्च और ग्लोबल हेल्थ सिस्टम्स तक हो चुका है, इसलिए मेडिकल क्षेत्र में करियर के अनगिनत विकल्प मौजूद हैं.
 

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