अमेरिकी अखबार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' (WSJ) की एक हालिया रिपोर्ट ने भारत-चीन सीमा पर चल रहे बुनियादी ढांचे के काम को 'संभावित युद्ध की तैयारी' के रूप में पेश किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत हिमालय में सड़कें, सुरंगें और हवाई पट्टियां बनाने पर सैकड़ों मिलियन डॉलर खर्च कर रहा है, ताकि चीन के साथ भविष्य में होने वाले संभावित टकराव के लिए तैयार रहे. कई लोग इसे युद्ध उकसाने वाली रिपोर्ट बता रहे हैं.
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विशेषज्ञों और रक्षा जानकारों का कहना है कि भारत का यह काम पूरी तरह रक्षात्मक (डिफेंसिव) है. इसका मकसद...
2020 के बाद भारत और चीन ने LAC पर कई जगहों से सैनिकों की वापसी (डिसएंगेजमेंट) की है. डेपसांग, डेमचोक जैसे विवादित इलाकों में समझौते हुए हैं. दोनों देशों के बीच राजनयिक बातचीत और मासिक मीटिंग जारी हैं. संबंधों को स्थिर करने की कोशिशें चल रही हैं.
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रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि सीमा पर मजबूत ढांचा बनाना हर देश का हक है. यह न सिर्फ सैन्य जरूरतों के लिए, बल्कि स्थानीय लोगों की सुविधा और आर्थिक विकास के लिए भी जरूरी है. भारत का हिमालय में निर्माण कार्य लंबे समय से चल रहा है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सामान्य हिस्सा है.
India is spending hundreds of millions of dollars to build roads, tunnels and landing strips throughout the Himalayas, as it prepares for a possible future clash with China https://t.co/fnKaLiazqv
— The Wall Street Journal (@WSJ) December 25, 2025
WSJ जैसी रिपोर्टें जब इसे सिर्फ युद्ध की तैयारी दिखाती हैं, तो यह संतुलित नहीं लगता. दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच प्रतिस्पर्धा तो है, लेकिन राजनयिक रास्ते से समाधान की कोशिशें भी जारी हैं. ऐसी खबरें जो बेवजह डर फैलाएं, वे शांति प्रक्रिया में मदद नहीं करतीं.