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ब्रह्मोस से लैस INS Tamal युद्धपोत पहुंच रहा है करवर नेवल बेस... पश्चिमी सीमा की करेगा सुरक्षा

INS तमाल भारतीय नौसेना का आखिरी विदेशी युद्धपोत 10 सितंबर 2025 को करवर नौसेना बेस पहुंच रहा है. रूस के कालिनिनग्राद से शुरू हुई इसकी यात्रा दो महीने चली. ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस यह स्टील्थ फ्रिगेट 3900 टन का है. 30 नॉट की रफ्तार से 3000 किमी तक चल सकता है. यह गुजरात-महाराष्ट्र की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेगा.

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ये है आईएनएस तलवार की तस्वीर. ठीक इसी तरह का दिखता है तमाल युद्धपोत. (File Photo: Indian Navy)
ये है आईएनएस तलवार की तस्वीर. ठीक इसी तरह का दिखता है तमाल युद्धपोत. (File Photo: Indian Navy)

भारतीय नौसेना का आखिरी विदेशी युद्धपोत INS तमाल 10 सितंबर 2025 को करवार नौसेना बेस पर पहुंच रहा है.यह दुनिया का सबसे घातक स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है, जो रूस के यांतर शिपयार्ड में बनाया गया. 1 जुलाई 2025 को इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. रूस के कालिनिनग्राद से भारत तक की लगभग दो महीने की यात्रा में, कई दोस्त देशों के नौसैनिक अड्डों से होकर गुजरा.

INS तमाल की यात्रा और कमीशनिंग

INS तमाल को 1 जुलाई 2025 को रूस के कालिनिनग्राद में यांतर शिपयार्ड में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया. इस समारोह में पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह मुख्य अतिथि थे. यह युद्धपोत 24 फरवरी 2022 को लॉन्च हुआ था. नवंबर 2024 से जून 2025 तक इसके समुद्री परीक्षण हुए. इन परीक्षणों में इसके हथियार, सेंसर और अन्य सिस्टम की जांच की गई.

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कालिनिनग्राद से करवार तक की यात्रा में INS तमाल ने कई दोस्त देशों के बंदरगाहों पर रुककर अपनी ताकत दिखाई. इसने सेंट पीटर्सबर्ग (रूस), कैसाब्लांका (मोरक्को), नेपल्स (इटली), सौदा बे (ग्रीस), जेद्दाह (सऊदी अरब) और सलाला (ओमान) में रुककर वहां की नौसेनाओं के साथ अभ्यास किया. 15 अगस्त 2025 को भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर नेपल्स में जहाज पर एक भव्य परेड हुई और चालक दल ने भारतीय दूतावास का दौरा किया.

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INS तमाल की खासियतें

INS तमाल तलवार-क्लास का आठवां युद्धपोत है. तुशील-क्लास का दूसरा जहाज है, जो तलवार और तेग-क्लास का अपग्रेडेड वर्जन है. यह 125 मीटर लंबा और 3,900 टन वजनी है, जो 30 नॉट (55 किमी/घंटा) की रफ्तार से समुद्र में चल सकता है. यह 3000 किलोमीटर तक की दूरी बिना रुके तय कर सकता है. इसका नाम तमाल भगवान इंद्र के पौराणिक तलवार से प्रेरित है. इसका शुभंकर जांबवंत (भारतीय पौराणिक भालू राजा) और रूसी भालू से मिलकर बनाया गया है.

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ins tamal talwar class frigate

यह युद्धपोत चारों तरह के नौसैनिक युद्ध—हवा, सतह, पानी के नीचे और इलेक्ट्रॉनिक के लिए तैयार है. इसमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें हैं, जो समुद्र और जमीन दोनों पर निशाना लगा सकती हैं. यह मिसाइल 3700 किमी/घंटा की रफ्तार से सैकड़ों किलोमीटर दूर लक्ष्य को भेद सकती है.

इसके अलावा, इसमें श्टिल-1 सरफेस-टू-एयर मिसाइलें, 100 मिमी की मेन गन, 30 मिमी AK-630 क्लोज-इन वेपन सिस्टम (CIWS), टॉरपीडो और एंटी-सबमरीन रॉकेट्स हैं. यह कामोव-28 और कामोव-31 हेलिकॉप्टरों को भी ले जा सकता है, जो पनडुब्बी रोधी और हवाई निगरानी के लिए हैं.

INS तमाल में 26% स्वदेशी उपकरण हैं, जैसे ब्रह्मोस मिसाइल, हुम्सा-NG सोनार और सतह निगरानी रडार. इसे भारत-रूस की साझेदारी में बनाया गया है, जिसमें भारत की 33 कंपनियां, जैसे ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और टाटा की नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम्स शामिल हैं. यह जहाज न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल हमलों से बचाव के लिए ऑटोमेटेड सिस्टम से लैस है.

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तलवार-क्लास और भारत की रक्षा

तलवार-क्लास फ्रिगेट्स, जिन्हें प्रोजेक्ट 1135.6 भी कहा जाता है, रूस के क्रिवाक III-क्लास का अपग्रेडेड वर्जन हैं. भारतीय नौसेना ने 2003 से इनका इस्तेमाल शुरू किया. अभी तक छह तलवार-क्लास युद्धपोत (INS तलवार, त्रिशूल, तबर, तेग, तर्कश और तुशील) नौसेना में हैं, जिनमें से चार ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस हैं, और बाकी दो को अपग्रेड किया जा रहा है. INS तुशील, जो इस बैच का पहला जहाज है, 9 दिसंबर 2024 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में शामिल हुआ था.

INS तमल पश्चिमी नौसेना कमान के स्वॉर्ड आर्म यानी वेस्टर्न फ्लीट का हिस्सा बनेगा, जो गुजरात से महाराष्ट्र तक समुद्री सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेगा. यह करवर नौसेना बेस पर तैनात होगा. इसकी कमान कैप्टन श्रीधर टाटा के पास है, जो गनरी और मिसाइल युद्ध में विशेषज्ञ हैं. 250 नाविकों और 26 अधिकारियों का दल इस जहाज को संचालित करेगा, जिन्हें सेंट पीटर्सबर्ग और कालिनिनग्राद में कठिन सर्दियों में प्रशिक्षण दिया गया.

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भारत-रूस साझेदारी और भविष्य

INS तमाल भारत और रूस के बीच 65 साल की नौसैनिक साझेदारी का 51वां जहाज है. यह न सिर्फ भारत की समुद्री ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि हिंद महासागर में देश की मौजूदगी को मजबूत करेगा. यह युद्धपोत पाकिस्तान और चीन जैसे खतरों से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा. इसका नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट इसे आधुनिक युद्ध के लिए तैयार करता है.

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भारतीय नौसेना अब पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन और निर्माण की ओर बढ़ रही है. प्रोजेक्ट 18 के तहत 10,000 टन के नेक्स्ट-जेनरेशन डेस्ट्रॉयर्स बनाए जाएंगे, जो रेलगन और लेजर हथियारों से लैस होंगे. भविष्य में सात और फ्रिगेट्स बनाए जाएंगे, जो पश्चिमी डिजाइनों से प्रेरित होंगे. INS तमल का आगमन एक युग के अंत और स्वदेशी नौसेना निर्माण के नए दौर की शुरुआत का प्रतीक है.

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