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स्वदेशी ओवरहॉल से युद्ध के लिए तैयार हुईं 155mm शारंग तोपें, ऑपरेशन सिंदूर में भी हुआ था इस्तेमाल

भारतीय सेना ने 506 आर्मी बेस वर्कशॉप में स्वदेशी ओवरहॉल से 155mm शारंग तोप को पूरी तरह युद्ध के लिए तैयार बना दिया है. बैरल, रिकॉइल और फायर कंट्रोल सिस्टम की मरम्मत से तोप की सटीकता और उम्र बढ़ा दी गई है. 35 किमी से ज्यादा रेंज वाली यह तोप ऑपरेशन सिंदूर में भी इस्तेमाल हुई.

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ये है भारतीय सेना की नई ओवरहॉल की हुई सारंग गन. (Photo: Indian Army)
ये है भारतीय सेना की नई ओवरहॉल की हुई सारंग गन. (Photo: Indian Army)

भारतीय सेना ने अपनी महत्वपूर्ण 155mm शारंग आर्टिलरी तोप को पूरी तरह युद्ध के लिए तैयार कर दिया है. यह काम 506 आर्मी बेस वर्कशॉप की टीम ने स्वदेशी तरीके से किया. तोप का पूरा बड़ा ओवरहॉल (मरम्मत और नवीनीकरण) किया गया, जिससे इसकी ताकत, भरोसेमंदी और लड़ाई में उपलब्धता बहुत बढ़ गई है.

क्या हुआ ओवरहॉल में?

तोप की गहन तकनीकी जांच की गई. मुख्य हिस्सों की सटीक मरम्मत और नवीनीकरण किया गया, जैसे...

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  • गन बैरल (तोप की नली).
  • रिकॉइल मैकेनिज्म (पीछे की झटके को नियंत्रित करने वाला हिस्सा).
  • फायर कंट्रोल से जुड़े कंपोनेंट्स (गोली चलाने की सटीकता वाले हिस्से).
  • इस प्रक्रिया से तोप की उम्र बढ़ गई और लंबे समय तक लगातार गोलीबारी में भी सटीकता और मजबूती बनी रहेगी.

शारंग तोप कितनी ताकतवर है?

शारंग तोप पुरानी बोफोर्स तोप का अपग्रेडेड वर्जन है. इसकी मुख्य विशेषताएं...

  • 155mm कैलिबर की तोप.
  • रेंज: 35 किलोमीटर से ज्यादा.
  • तेज और सटीक हमला करने की क्षमता.
  • हाई-एक्सप्लोसिव और खास गोले दाग सकती है.
  • दुश्मन पर गहरा और घातक प्रभाव डाल सकती है.
  • ऊंचाई वाले इलाकों (हाई-ऑल्टिट्यूड) और सामान्य मैदानों दोनों में अच्छा काम करती है.

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यह तोप भारतीय सेना की आर्टिलरी में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी सटीकता और मजबूती साबित हो चुकी है.

Sarang 155mm Gun

ऑपरेशन सिंदूर में भी निभाई भूमिका

मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर में शारंग तोप का इस्तेमाल किया गया था. वहां इसने लंबी दूरी से सटीक गोलीबारी करके अपनी ताकत दिखाई. इस ऑपरेशन से मिले अनुभवों को अब रखरखाव और अपग्रेड में शामिल किया गया है. इससे तोप और बेहतर हो गई है.

स्वदेशी प्रयास का बड़ा उदाहरण

यह सफल ओवरहॉल 506 आर्मी बेस वर्कशॉप के जवानों और अधिकारियों की तकनीकी कुशलता और मेहनत को दिखाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि पूरा काम भारत में ही किया गया – किसी विदेशी कंपनी की मदद के बिना.

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इससे कई फायदे हुए...

सेना की युद्ध तैयारी मजबूत हुई. तोपों का जीवनकाल बढ़ा है. विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम हुई. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) की दिशा में बड़ा कदम.

सेना के सूत्रों का कहना है कि ऐसे स्वदेशी प्रयास आगे भी जारी रहेंगे, जिससे हमारी आर्टिलरी हमेशा तैयार और ताकतवर रहेगी. यह भारतीय सेना की तकनीकी क्षमता और देश की रक्षा तैयारी का शानदार उदाहरण है.

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