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भारत और पाकिस्तान की अपनी कितनी है डिफेंस इंडस्ट्री, कौन विदेशों से कितना हथियार खरीदता है और कितना खुद बनाता है?

भारत का रक्षा उद्योग न केवल स्वदेशी उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि वैश्विक निर्यातक के रूप में भी उभर रहा है. 2024-25 में 80 देशों को निर्यात और 12% की वृद्धि इसकी ताकत को दर्शाती है. पाकिस्तान का रक्षा उद्योग आयात पर अत्यधिक निर्भर है. खासकर चीन से और इसकी स्वदेशी क्षमता सीमित है.

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भारत का रक्षा बजट पाकिस्तान से सात गुना ज्यादा है. (सभी प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)
भारत का रक्षा बजट पाकिस्तान से सात गुना ज्यादा है. (सभी प्रतीकात्मक फोटोः गेटी)

भारत और पाकिस्तान, दक्षिण एशिया के दो प्रमुख पड़ोसी और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. दोनों देशों की रक्षा उद्योग नीतियां, हथियारों का आयात और स्वदेशी उत्पादन उनकी रणनीतिक प्राथमिकताओं और आर्थिक क्षमताओं को दर्शाते हैं. इस लेख में हम 2025 तक के हालिया तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर दोनों देशों के रक्षा उद्योग, आयात, और स्वदेशी उत्पादन की स्थिति का विश्लेषण करेंगे.

भारत का रक्षा उद्योग: आत्मनिर्भरता की ओर तेज कदम

स्वदेशी रक्षा उद्योग की स्थिति

भारत का रक्षा उद्योग हाल के वर्षों में तेजी से विकसित हुआ है, जिसका श्रेय सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को जाता है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और निजी क्षेत्र की कंपनियां जैसे टाटा, महिंद्रा और अडानी डिफेंस भारत के रक्षा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

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India vs Pakistan Defense industry

  • उत्पादन क्षमता: भारत ने मिसाइलों (ब्रह्मोस, आकाश, अग्नि), लड़ाकू विमानों (तेजस), टैंकों (अर्जुन), युद्धपोतों (INS विक्रांत) और ड्रोनों जैसे स्वदेशी हथियारों का विकास किया है.
  • निर्यात में वृद्धि: 2024-25 में भारत ने 80 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात किए, जिसमें मिसाइल, रडार, गोला-बारूद और निगरानी प्रणालियां शामिल हैं. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, रक्षा निर्यात में 12% की वृद्धि हुई. पिछले एक दशक में यह 30 गुना बढ़ा है.
  • उत्पादन लक्ष्य: भारत का लक्ष्य 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये और 2029 तक 3 लाख करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन करना है.
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी: 400 से अधिक लाइसेंस निजी कंपनियों को दिए गए हैं. 2500 से अधिक स्टार्टअप रक्षा नवाचार में योगदान दे रहे हैं.

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हथियार आयात

भारत स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है, फिर भी यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, 2020-24 में भारत वैश्विक हथियार आयातकों में शीर्ष पर रहा.

आयात स्रोत: भारत का 62% रक्षा आयात रूस से, 11% फ्रांस से और 10% संयुक्त राज्य अमेरिका से होता है. 

प्रमुख आयात: S-400 वायु रक्षा प्रणाली (रूस), राफेल लड़ाकू विमान (फ्रांस) और प्रीडेटर ड्रोन (अमेरिका) भारत के प्रमुख आयात हैं.

आयात में कमी: 2011-15 की तुलना में 2020-24 में भारत का हथियार आयात 11% कम हुआ, जो स्वदेशी उत्पादन पर जोर को दर्शाता है.

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स्वदेशी बनाम आयात

  • स्वदेशी हिस्सा: भारत का रक्षा बजट (2024-25 में 6.2 लाख करोड़ रुपये) का लगभग 68% स्वदेशी खरीद के लिए आवंटित है.
  • आयात निर्भरता: उच्च तकनीक वाले हथियारों, जैसे लड़ाकू विमान और पनडुब्बियां के लिए भारत अभी भी आयात पर निर्भर है. लेकिन स्वदेशी विकल्प जैसे तेजस और INS अरिहंत इस निर्भरता को कम कर रहे हैं.
  • हालिया उपलब्धियां: ऑपरेशन सिंदूर (2025) में भारत ने स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश मिसाइल प्रणाली का उपयोग कर पाकिस्तानी हमले को नाकाम किया, जो स्वदेशी तकनीक की ताकत को दर्शाता है.

पाकिस्तान का रक्षा उद्योग: आयात पर निर्भरता

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स्वदेशी रक्षा उद्योग की स्थिति

पाकिस्तान का रक्षा उद्योग भारत की तुलना में सीमित है. मुख्य रूप से आयातित तकनीक और विदेशी सहयोग पर निर्भर है. पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्री (POF), हेवी इंडस्ट्रीज टैक्सिला (HIT) और कराची शिपयार्ड जैसी सरकारी संस्थाएं रक्षा उत्पादन में योगदान देती हैं.

  • उत्पादन क्षमता: पाकिस्तान छोटे हथियार, टैंक (अल-खालिद) और फाइटर जेट (JF-17 थंडर) का उत्पादन करता है, लेकिन ये अधिकांशतः चीन के सहयोग से हैं. JF-17 का डिज़ाइन और तकनीक चीनी चेंगदू J-7 पर आधारित है.
  • स्वदेशी सीमाएं: पाकिस्तान का रक्षा उद्योग उन्नत हथियार, जैसे लंबी दूरी की मिसाइल या स्वायत्त ड्रोन, बनाने में सक्षम नहीं है. स्वदेशी उत्पादन छोटे हथियारों और बुनियादी उपकरणों तक सीमित है.
  • निर्यात: पाकिस्तान का रक्षा निर्यात नगण्य है. यह मुख्य रूप से घरेलू जरूरतों पर केंद्रित है.

हथियार आयात

पाकिस्तान वैश्विक स्तर पर शीर्ष 10 हथियार आयातकों में शामिल है. SIPRI की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार 2020-24 में इसके हथियार आयात में 43% की वृद्धि हुई.

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आयात स्रोत: 81% हथियार चीन से, 8% तुर्की से और शेष अन्य देशों (जैसे स्वीडन और इटली) से आयात किए गए.

प्रमुख आयात: चीनी J-10C फाइटर जेट, PL-15 मिसाइल और तुर्की के बायरक्तर ड्रोन. ऑपरेशन सिंदूर में इनका उपयोग भारत के खिलाफ किया गया, लेकिन भारतीय प्रणालियों ने इन्हें नाकाम कर दिया.

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निर्भरता: पाकिस्तान की सेना का 90% से अधिक उपकरण आयातित है, विशेष रूप से चीन से.

स्वदेशी बनाम आयात

  • स्वदेशी हिस्सा: पाकिस्तान का रक्षा उत्पादन उसकी कुल जरूरतों का 10-15% ही पूरा करता है. अधिकांश उन्नत हथियार, जैसे मिसाइल और ड्रोन, विदेशी तकनीक पर निर्भर हैं.
  • आयात निर्भरता: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (2025 में GDP लगभग 350 अरब डॉलर) सीमित है, जिसके कारण यह सस्ते चीनी हथियारों पर निर्भर है.
  • कमजोरियां: ऑपरेशन सिंदूर में चीनी हथियारों की कम प्रभावशीलता उजागर हुई, जिससे पाकिस्तान की रक्षा रणनीति पर सवाल उठे.

भारत बनाम पाकिस्तान: तुलनात्मक विश्लेषण

रक्षा बजट

भारत: 2024-25 में रक्षा बजट 6.2 लाख करोड़ रुपये (लगभग 74 अरब डॉलर), जो पाकिस्तान से 7 गुना अधिक है.

पाकिस्तान: 2024-25 में रक्षा बजट लगभग 10 अरब डॉलर, जो इसकी आर्थिक सीमाओं को दर्शाता है.

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स्वदेशी उत्पादन

भारत: तेजस, ब्रह्मोस, INS विक्रांत और आकाश जैसे हथियार पूरी तरह स्वदेशी हैं. भारत का रक्षा उद्योग न केवल घरेलू जरूरतें पूरी करता है, बल्कि निर्यात भी करता है.

पाकिस्तान: JF-17 और अल-खालिद जैसे हथियार चीनी तकनीक पर आधारित हैं. स्वदेशी उत्पादन सीमित और आयात-निर्भर है.

आयात निर्भरता

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भारत: आयात घटकर 30-35% रह गया है. स्वदेशी उत्पादन बढ़ रहा है.

पाकिस्तान: 85-90% उपकरण आयातित हैं. मुख्य रूप से चीन से.

हालिया प्रदर्शन

भारत: ऑपरेशन सिंदूर (2025) में भारत ने स्वदेशी ब्रह्मोस, आकाश और रूसी S-400 का उपयोग कर पाकिस्तानी हमले को नाकाम किया, जिससे इसकी तकनीकी श्रेष्ठता साबित हुई.

पाकिस्तान: चीनी और तुर्की हथियारों का उपयोग विफल रहा, जिसने इसकी रक्षा तैयारियों की कमजोरियों को उजागर किया.

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चुनौतियां और भविष्य 

भारत

चुनौतियां: उच्च तकनीक वाले उपकरणों (जैसे 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान) में अभी भी आयात निर्भरता, नौकरशाही देरी और निजी क्षेत्र का पूर्ण एकीकरण.

भविष्य: भारत का लक्ष्य 2030 तक आयात को 20% से कम करना और रक्षा निर्यात को 5 अरब डॉलर तक बढ़ाना है. AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) और स्वदेशी पनडुब्बी परियोजनाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं.

पाकिस्तान

चुनौतियां: आर्थिक संकट, सीमित स्वदेशी क्षमता और चीन पर अत्यधिक निर्भरता. चीनी हथियारों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है.

भविष्य: पाकिस्तान की रणनीति सस्ते आयात और क्षेत्रीय गठजोड़ (जैसे तुर्की) पर केंद्रित रहेगी, लेकिन स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने की संभावना कम है.

ऑपरेशन सिंदूर जैसे हालिया घटनाक्रमों ने भारत की तकनीकी और रणनीतिक श्रेष्ठता को साबित किया है. भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति और पाकिस्तान की आयात-निर्भर रणनीति दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन को और प्रभावित करेगी. भारत का रक्षा उद्योग न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान बना रहा है.

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