बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद देश में तनाव बढ़ गया है. अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराया है. यह फैसला 2024 के छात्र आंदोलन पर क्रूर कार्रवाई से जुड़ा है, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे. हसीना भारत में निर्वासन में हैं. यह मुकदमा उनके बिना चलाया गया है.
फैसले के तुरंत बाद ढाका और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. हसीना की पार्टी अवामी लीग के समर्थक सड़कों पर उतर आए. वे कह रहे हैं कि बिना उनकी पार्टी के चुनाव नहीं होने देंगे. कुछ जगहों पर मशाल जुलूस निकाले गए. बसों और दुकानों पर आगजनी की खबरें आईं. पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति गृहयुद्ध जैसी बन सकती है.
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2024 के आंदोलन के बाद भी देश में अशांति बनी रही है. लूटपाट, दंगे और अल्पसंख्यकों पर हमले हुए थे. अब हसीना के बेटे ने चेतावनी दी है कि विरोध और तेज होगा. सरकार ने अवामी लीग को चुनाव से बाहर कर दिया है, जिससे गुस्सा और भड़क गया. आने वाले दिनों में हिंसा बढ़ने का डर है.
ऐसी स्थिति में देश की सुरक्षा बलों की भूमिका अहम है. आइए जानते हैं इनकी ताकत के बारे में. ये आंकड़े 2025 के हालिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं.
बांग्लादेश सेना (आर्म्ड फोर्सेस)
बांग्लादेश की सेना दुनिया की 35वीं सबसे ताकतवर सेना मानी जाती है. कुल सक्रिय सैनिकों की संख्या लगभग 2 लाख 4 हजार है.

कुल मिलाकर, सेना के पास रिजर्व फोर्स भी है, जो जरूरत पड़ने पर बुलाई जा सकती है. सेना का बजट 2025 में 3.34 अरब डॉलर है.
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पुलिस बल
बांग्लादेश पुलिस देश की कानून-व्यवस्था बनाए रखती है. कुल पुलिसकर्मियों की संख्या लगभग 2.10 लाख है. ये जिले-दर-जिले तैनात हैं. हाल ही में पुलिस को नई ड्रेस कोड दी गई है ताकि वे बेहतर काम कर सकें. लेकिन आंदोलनों में पुलिस पर हमले बढ़े हैं, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हो गई है.

अर्धसैनिक बल (पैरामिलिट्री फोर्सेस)
ये सेना और पुलिस के बीच की ताकत हैं. बांग्लादेश में ये बहुत मजबूत हैं. कुल पैरामिलिट्री फोर्स दुनिया में सबसे बड़ी मानी जाती है.
ये बल मिलकर देश की सुरक्षा करते हैं. लेकिन हाल की अशांति में इन्हें चुनौतियां मिल रही हैं.

सरकार ने कहा है कि कानून-व्यवस्था कायम रखेगी. लेकिन अवामी लीग के नेता कह रहे हैं कि विरोध जारी रहेगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है. भारत और अन्य पड़ोसी देश स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. बांग्लादेश के लोग शांति चाहते हैं, लेकिन इतिहास दोहराने का डर सता रहा है.