यूपी की राजधानी लखनऊ में ऐपल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की हत्या के मामले की जांच में जुटी एसआईटी की टीम ने मंगलवार को इस मामले की चश्मदीद सना को मौका-ए-वारदात पर ले जाकर पूरी घटना का सीन रिक्रिएट किया. जांच टीम में फोरेंसिक एक्सपर्ट भी शामिल थे.
मंगलवार की दोपहर एसआईटी की टीम अचानक सना को लेकर घटना स्थल पर पंहुची और 29 सितंबर को हुई उस घटना का पूरा सीन रिक्रिएट किया गया है. पुलिस ने विवेक जैसी ही एक एसयूवी मौके पर मंगाई और विवेक की जगह एक शख्स को बैठाया गया और उसके साथ सना को भी कार में बैठाया गया.
फिर 29 सितंबर को जिस तरह से यूपी पुलिस के कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने गोली चलाई थी. बिल्कुल उसी तरह से यूपी पुलिस के एक कांस्टेबल ने कार पर गोली चलाई. उस रोज़ यूपी पुलिस की गोली से विवेक तिवारी खून-खून हुआ था. अब यूपी पुलिस की गोली से 29 सितंबर के हत्याकांड की हकीकत का सच जानने की कोशिश की जा रही है.
उस दिन गोली लगने के बाद जैसे विवेक तड़पा था, जैसे सना रोई थी, जैसे मदद के लिए सना ने गुहार लगाई थी और खून से सना विवेक तड़पता रहा था वही सब दोबारा से रिक्रिएट किया गया.
इसे यूपी पुलिस का एनकाउंटर पार्ट टू मान लीजिए. क्योंकि उस हत्याकांड की तह तक जाने के लिए यूपी पुलिस के बड़े बड़े अफसर मौका-ए-वारदात पर रिक्रिएशन के लिए पहुंचे थे.
यूपी पुलिस मंगलवार को गोमतीनगर एक्सटेंशन की उस सड़क पर पूरे अमले के साथ पहुंची. साथ में मृतक विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना और वारदात की एकमात्र चश्मदीद सना भी मौजूद थी.
वैसी ही एक गाड़ी मंगाई गई, गाड़ी में विवेक की जगह एक शख्स को बिठाया गया. शख्स के साथ सना को बिठाया गया. फिर सना के बताने के मुताबिक उस दृश्य को दोहराने की कोशिश हुई, जैसे 29 सितंबर को हुआ था.
दरअसल, विवेक तिवारी हत्याकांड के बाद यूपी पुलिस की जमकर लानत मलानत हुई, सरकार की तरफ से विवेक तिवारी की पत्नी की मांगों को तो सरकार ने मान लिया, मगर सिर्फ मुआवज़े की राजनीति करके यूपी पुलिस और यूपी सरकार पाक साफ नहीं हो सकती क्योंकि अभी भी विवेक हत्याकांड में बहुत सारे सच आऩे बाकी है. विवेक को पूरा इंसाफ दिलाने की आवाज़ लगातार मुखर हो रही है. शायद उन्हीं आवाज़ों का असर है कि यूपी पुलिस इस पूरे मामले को अब संजीदगी से ले रही है.