सुशांत की मौत का सच अब सबके सामने है. एम्स की टीम के साथ-साथ सीबीआई भी इस नतीजे पर तो पहुंच गई कि सुशांत ने खुदकुशी ही की थी. लेकिन एक्सपर्ट्स इस नतीजे पर पहुंचे कैसे? छानबीन के दौरान वो कौन-कौन से सबूत थे, जिन्हें देखने और परखने के बाद मामले की जांच कर रहे हरेक शख्स को ये यकीन हो गया कि ये मामला खुदकुशी का ही है? ये जानना भी कम अहम नहीं है.
दरअसल, एम्स की फॉरेंसिक टीम को सुशांत की मौत का सच तो पता लगाना था, लेकिन इस काम में सबसे बड़ी चुनौती ये थी कि मामले की जांच के लिए सुशांत की लाश मौजूद नहीं थी. वैसे भी आम तौर पर जब भी कोई मामला सीबीआई को सौंपा जाता है, तो सीबीआई के पास लाश नहीं होती है. होती है तो बस पोस्टमार्टम रिपोर्ट या बाकी सारी चीजें.
इस केस में भी ठीक यही था, लेकिन किसी भी संदिग्ध मौत की जांच के लिए आम तौर पर लाश से ज्यादा बाकी के फॉरेंसिक सबूत मसलन पोस्टमार्टम रिपोर्ट, विसरा रिपोर्ट, क्राइम सीन की तस्वीर, चश्मदीद, सीन के रीक्रिएशन ये जरूरी होते हैं. और इनके जरिए सच तक पहुंचा जा सकता है. सीबीआई भी इन्हीं चीजों के जरिए सच तक जा रही थी. सीबीआई ने एम्स के सात डॉक्टरों की फॉरेंसिक टीम को जो सबूत सौंपे उनमें ये अहम सबूत और दस्तावेज शामिल थे-
- सुशांत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट
- सुशांत की विसरा रिपोर्ट
- पोस्टमार्टम की वीडियो और फोटोग्राफी
- सीन ऑफ क्राइम की तस्वीरें
इसके अलावा विशेषज्ञों की सात सदस्यों वाली टीम ने पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों और विसरा की जांच करने वाले डॉक्टरों से भी पूछताछ की. इसके अलावा सीन ऑफ क्राइम का रीक्रिएशन किया गया. एक्सपर्ट्स की टीम सभी पहलुओं को खंगालने के बाद आखिरी नतीजे पर पहुंची.
मेडिकल बोर्ड में शामिल डॉक्टरों ने सबसे पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन किया. पोस्टमार्टम के दौरान उतारी गई हाई डेफिनेशन तस्वीरों और वीडियोग्राफी का बारीकी से मुआयना किया. इन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में छेड़छाड़ जैसी कोई बात नहीं थी. यानी इनकी विश्वसनीयता शक से परे थी. इन फोटोग्राफ और वीडियोग्राफी के मुआयने से एक्सपर्ट्स को मामला खुदकुशी का लगा.
गले का लिगेचर मार्क ठीक वैसा ही था, जैसा कि आम तौर पर खुदकुशी के मामलों में होता है. सुशांत के जिस्म पर भी चोट के कोई दूसरे निशान नहीं थे. उनके कपड़े सही सलामत थे. यानी मौत से पहले उनके साथ किसी ने कोई जोर जबरदस्ती नहीं की. यहां तक कि उनके नाखून भी पूरी तरह साफ थे. उनमें कुछ नहीं था. जबकि संघर्ष की स्थिति में नाखुनों में कातिल या हमलावर की त्वचा या ऐसी दूसरी चीजें रह जाती हैं. बाकी बचे सवालों के लिए पोस्टमार्टम करने वाले कूपर अस्पताल के पांच डॉक्टरों से पूछताछ की गई.
इसके अलावा एम्स के एक्सपर्ट्स ने ना सिर्फ सुशांत की विसरा की जांच करने वाले मुंबई के कलीना फॉरेंसिक लैब के डॉक्टरों से बात की, बल्कि खुद लैब में उनकी विसरा के बाकी बचे नमूनो की भी जांच की. टीम उसी नतीजे पर पहुंची, जिस पर कलीना लैब के डॉक्टर पहले ही पहुंच चुके थे. यानी निगेटिव. सुशांत की विसरा जांच से साफ हो गया कि उन्हें मौत से पहले किसी ने कोई जहर नहीं दिया.
खुद फॉरेंसिक टीम के डॉक्टरों ने सुशांत के कमरे में पहुंच कर उनकी वजन के बराबर वाली एक डमी के साथ सीन ऑफ क्राइम को रीक्रिएट कर ये जानने की कोशिश की कि उस कमरे में सुशांत बगैर किसी कुर्सी या टेबल के सिर्फ बेड के ऊपर चढ़ कर अपने गले में फंदा लगा सकते थे या नहीं? और इसका जवाब भी फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को हां में मिला. जांच के बाद उन्हें इस बात की तसल्ली हो गई कि उस हालात में सुशांत के लिए खुदकुशी करना मुमकिन था.
लेकिन अब भी एक सवाल ऐसा था, जिसका जवाब मिलना बाकी था. वो ये कि जिस कुर्ते से सुशांत के खुदकुशी करने की बात सामने आई थी, क्या वो कुर्ता इतना मजबूत था कि सुशांत जितनी वजन वाला कोई शख्स उससे लटक कर अपनी जान दे सकता था? तो एम्स के फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने इस सवाल का भी जवाब ढूंढ निकाला. जांच में पता चला कि सुशांत का कुर्ता 200 किलो तक का वजन आसानी से उठा सकता है, जबकि सुशांत का वजन इससे आधे से भी कम था.
अब ये पता करना बाकी था कि वही कुर्ता सुशांत की मौत का फंदा बना या फिर किसी ने साजिशन ऐसा दिखाने की कोशिश की? इसकी जांच के लिए एक्सपर्ट्स ने कुर्ते के कपड़े के फाइबर की बारीकी से जांच की. इस छानबीन में पता चला कि कमरे में लटक रहे कुर्ते के फाइबर और सुशांत के गले के इर्द गिर्द मौजूद फाइबर दोनों बिल्कुल एक हैं. यानी ये बात भी साबित हो गई कि खुदकुशी उसी कुर्ते से हुई.
इस तरह एम्स के सात डॉक्टर सुशांत की खुदकुशी को लेकर एक राय हो गए. उधर, उनका पोस्टमार्टम करने वाले कूपर अस्पताल के पांचों डॉक्टरों की भी यही राय थी. जबकि जीते जी सुशांत का इलाज करने वाले सभी मनोचिकित्सकों ने उन्हें मानसिक रूप से बीमार भी बताया था. इस तरह से सुशांत की मौत का सच एम्स की टीम दुनिया के सामने ले आई.