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महंत नरेंद्र गिरि केसः आनंद गिरि के खिलाफ जिस धारा में दर्ज हुई है FIR, जानें उसमें कितनी है सजा

आईपीसी के मुताबिक किसी को भी सुसाइड यानी आत्महत्या के लिए उकसाना या प्रेरित करना एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है. ऐसे मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय द्वारा की जाती है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं होता है.

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महंत की मौत के बाद पुलिस ने आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया था
महंत की मौत के बाद पुलिस ने आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया था
स्टोरी हाइलाइट्स
  • धारा 306 के तहत आनंद गिरि के खिलाफ दर्ज है FIR
  • महंत ने सुसाइड नोट में आनंद को बताया मौत का जिम्मेदार
  • तीन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का किया था अनुरोध

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में उनके शिष्य रह चुके आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया गया है. आनंद गिरि के खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया गया है. अगर इस मामले में वे दोषी पाए गए तो उन्हें लंबी सजा हो सकती है. आइए जानते हैं आईपीसी की धारा 306 के बारे में विस्तार से.

पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद उनका 8 पेज का सुसाइड नोट बरामद किया है, जिसमें उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि और लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी अद्या तिवारी, संदीप तिवारी को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है. उस सुसाइड नोट के आधार पर ही पुलिस ने आरोपी आनंद गिरि के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत मुकदमा लिखा है. दोषी पाए जाने पर उन्हें इसी के अनुसार सजा मिलेगी.

आईपीसी की धारा 306 

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के मुताबिक अगर कोई शख्स किसी को भी सुसाइड यानी आत्महत्या के लिए उकसाता है, उसे प्रेरित करता है और वह आत्महत्या कर लेता है,  तो उकसाने या प्रेरित करने वाले को आरोपी माना जाएगा. दोष सिद्ध हो जाने पर उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगा, जिसे 10 वर्ष तक की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है. साथ ही दोषी पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है. 

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कानून के मुताबिक किसी को भी सुसाइड यानी आत्महत्या के लिए उकसाना या प्रेरित करना एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है. ऐसे मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय द्वारा की जाती है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं होता है. 

ज़रूर पढ़ें-- 'लड़की संग फोटो वायरल कर बदनाम करेगा आनंद गिरि' सामने आया महंत नरेंद्र गिरि का सुसाइड नोट

क्या है भारतीय दण्ड संहिता

भारतीय दण्ड संहिता यानी Indian Penal Code (IPC) भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गए कुछ अपराधों की परिभाषा और उनमें दण्ड का प्रावधान करती है. लेकिन यह जम्मू कश्मीर और भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. 

अंग्रेजों ने बनाई थी भारतीय दण्ड संहिता

ब्रिटिश काल के दौरान सन् 1862 में भारतीय दण्ड संहिता लागू की गई थी. इसके बाद समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे. विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद इसमें बड़ा बदलाव किया गया. पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही अपनाया. लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता के अधीन आने वाले बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि में भी लागू किया गया था.

बता दें कि महंत की मौत के मामले में पुलिस ने तीसरे आरोपी संदीप तिवारी को भी गिरफ्तार कर लिया है. महंत गिरि ने अपने सुसाइड नोट में तीन लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया था. उनमें आनंद गिरि, अद्या तिवारी और संदीप तिवारी का नाम शामिल है. अब ये तीनों ही पुलिस की हिरासत में हैं. 

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