Gadchiroli Naxalites Surrender: महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में सुरक्षा एजेंसियों को बुधवार के दिन बड़ी कामयाबी मिली. जहां 11 वरिष्ठ नक्सलियों ने पुलिस महानिदेशक रश्मी शुक्ला के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. अधिकारियों के अनुसार, यह सरेंडर जिला पुलिस और राज्य एजेंसियों के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. ये सभी नक्सली कई वर्षों से जंगलों में सक्रिय थे और सुरक्षा बलों की निगरानी में थे. इन नक्सलियों को पुनर्वास संबंधी नियमों के तहत आगे की प्रक्रिया में शामिल किया गया है.
वर्दी में पहुंचे थे चार नक्सली कैडर
सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि सरेंडर करने वाले 11 नक्सलियों में से चार नक्सली वर्दी पहनकर पहुंचे, जो इस बात का संकेत है कि वे अब तक सक्रिय ऑपरेशनल भूमिका में थे. सभी कैडरों ने DGP के सामने अपने हथियार सौंपे और हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का भरोसा जताया. अधिकारियों के अनुसार, यह पहल राज्य में नक्सल गतिविधियों को कमजोर करने में अहम साबित होगी. वर्दी में पहुंचना उनकी वास्तविक पहचान और रैंकों में उनकी भूमिका को दर्शाता है.
82 लाख रुपये का कुल इनाम
गढ़चिरौली पुलिस द्वारा जारी प्रेस नोट के मुताबिक, इन 11 नक्सलियों पर कुल 82 लाख रुपये का इनाम घोषित था. राज्य सरकार ने इन पर अलग-अलग मामलों और इनके माओवादी संगठनों में पद के आधार पर इनाम जारी किया था. सरेंडर के बाद अब यह इनाम राशि अमान्य हो गई है, लेकिन सभी को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत लाभ मिलेगा. अधिकारियों ने कहा कि इन हाई-वैल्यू नक्सलियों का आत्मसमर्पण माओवादी ढांचे को बड़े स्तर पर तोड़ने वाला कदम है.
पुलिस और CRPF के संयुक्त प्रयास
पुलिस के अनुसार, गढ़चिरौली जिले में नक्सली मोर्चे पर यह सफलता गढ़चिरौली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है. पिछले कई महीनों से संयुक्त अभियान चलाकर नक्सलियों पर दबाव बढ़ाया जा रहा था. लगातार चल रही इंटेलिजेंस-बेस्ड कार्रवाई और जंगलों में ऑपरेशन ने नक्सलियों की सक्रियता को सीमित कर दिया है, जिसके कारण वे आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हुए. स्थानीय स्तर पर चल रहे आउटरीच कार्यक्रमों ने भी इस प्रक्रिया में भूमिका निभाई है.
इस वर्ष 112 माओवादी कैडरों ने छोड़ी हिंसा
पुलिस की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, साल 2024 में गढ़चिरौली जिले में अब तक 112 माओवादी कैडरों ने आत्मसमर्पण किया. यह आंकड़ा बताता है कि सुरक्षा एजेंसियों के दबाव और सरकारी पुनर्वास योजनाओं के चलते धीरे-धीरे नक्सल संगठन कमजोर हो रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि आने वाले महीनों में यह संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि कई नक्सली संवाद प्रक्रिया में शामिल हैं. सरकार का लक्ष्य है कि अधिक से अधिक नक्सली हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटें.