उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सिगरा इलाके में सोमवार की रात पुलिस को सूचना मिली कि शहर में 30 से 35 'संदिग्ध बांग्लादेशी परिवार' रह रहा है. इस सूचना के मिलते ही पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर तुरंत एक पुलिस टीम साइट पर भेजी गई. जांच टीम जैसे ही परिसर में दाखिल हुई, इलाके में तनाव का माहौल बन गया. कई लोग अपने घरों से बाहर आ गए.
डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस टी. सरवन ने बताया कि पुलिस ने एक-एक परिवार को चिन्हित किया, उनके नाम, पहचान पत्र और यहां रहने का कारण पूछा. शुरुआती अंदेशा था कि यह पूरा समूह बांग्लादेशी घुसपैठियों का हो सकता है. लेकिन वेरिफिकेशन ने तस्वीर उलट दी. वेरिफिकेशन के दौरान 27 परिवार पश्चिम बंगाल के निवासी निकले.
ये लोग कई वर्षों से इसी इलाके में रह रहे थे. उनका कोई विदेशी कनेक्शन नहीं मिला है. इसके बावजूद पुलिस ने इन्हें बैकग्राउंड वेरिफिकेशन की प्रक्रिया में रखा है ताकि किसी तरह की फर्जी पहचान का इस्तेमाल तो नहीं हुआ है, इसकी पुष्टि की जा सके.पुलिस को यह इनपुट मिला था कि यह परिसर समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय नेता का है.
डीसीपी गौरव बंसवाल ने बताया कि सूचना के आधार पर 'ऑपरेशन टॉर्च' के तहत स्पेशल ड्राइव चलाया गया. यह सात दिन का अभियान झुग्गी-झोपड़ियों और रेहड़ी-पटरी वाले इलाकों में रहने वाले संदिग्ध लोगों की पहचान के लिए चलाया जा रहा है. पुलिस का उद्देश्य अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को ट्रैक करना और कानून के मुताबिक कार्रवाई करना है.
पुलिस टीम ने घर-घर जाकर डॉक्यूमेंट्स, पहचान पत्र और निवास से जुड़े सबूत इकट्ठा किए. कई लोगों के दस्तावेज ऑन-द-स्पॉट स्कैन किए गए और कुछ को आगे की जांच के लिए भेजा गया है. पुलिस अधिकारियों ने साफ किया है कि यदि कागजात में कोई भी गड़बड़ी मिली तो कार्रवाई तुरंत होगी. फिलहाल पुलिस का ऑपरेशन टॉर्च अभी जारी है.