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Sidhu Moose Wala Murder: कैसे काम करता है वर्चुअल नंबर? जिससे रची गई मूसेवाला की हत्या की साजिश

Sidhu Moose Wala Murder: सिद्धू मूसेवाला की हत्या के तार तिहाड़ जेल से जुड़ गए हैं. तिहाड़ में बंद लॉरेंस बिश्नोई वर्चुअल नंबर से गोल्डी बरार के संपर्क में था. वर्चुअल नंबर आखिर कैसे काम करता है जानिए.

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सिद्धू मूसेवाला और गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई (फाइल फोटो)
सिद्धू मूसेवाला और गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लॉरेंस और गोल्डी बरार के बीच कई बार हुई बात
  • वर्चुअल नंबर के लिए सिम की नहीं पड़ती जरूरत

Sidhu Moose Wala Murder: पंजाबी गायक और हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले से संगीत जगत सन्न है. सियासी गलियारों में भी शोर है. पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान सुरक्षा में कटौती के कारण सबके निशाने पर हैं तो वहीं सवाल ये भी उठ रहे हैं कि जान को खतरे की जानकारी होते हुए भी सिद्धू मूसेवाला बुलेटप्रूफ गाड़ी और सिक्योरिटी के बिना क्यों गए.

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद सुलगते सवालों के बीच हत्याकांड के तार दिल्ली की हाई सिक्योरिटी तिहाड़ जेल से जुड़ रहे हैं. शुरुआती जांच के बाद ये बात सामने आ रही है कि मूसेवाला की हत्या की साजिश तिहाड़ जेल में रची गई. तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई विदेश में मौजूद गोल्डी बरार के संपर्क में था जिसने सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली है.

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जानकारी के मुताबिक वर्चुअल नंबरों से लॉरेंस बिश्नोई ने गोल्डी बरार से कई बार बातचीत की थी. वर्चुअल नंबर की बात करें तो सर्विस प्रोवाइडर किसी भी सिम के साथ वर्चुअल नंबर भी मुहैया करवाते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि लॉरेंस बिश्नोई जेल के अंदर से इसी वर्चुअल नंबर के जरिये गोल्डी बरार को इंटरनेट कॉलिंग कर रहा था.

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कैसे काम करता है वर्चुअल नंबर

दरअसल, वर्चुअल नंबर के लिए मोबाइल फोन में सिम कार्ड नहीं लगाया जाता. इसमें सिस्टम के जरिये एक डेटा फिट कर दिया जाता है जिससे कॉल की आवाजाही हो सकती है. वर्चुअल नंबर का उपयोग करने के लिये अलग से कोई हार्डवेयर नहीं खरीदना पड़ता हैं. अपने फोन से ही सॉफ्टवेयर का उपयोग कर इसका इस्तेमाल किया जाता है. वर्चुअल नंबर एक तरह से टेलीफोन नंबर ही है जो किसी टेलीफोन लाइन से नहीं जुड़ा होता.

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वर्चुअल नंबर पारंपरिक कॉल और वीओआईपी के बीच एक एंट्री पॉइंट की तरह काम करता है. यह इंटरनेट का उपयोग करते हुए सूचनाओं को डेटा के पैकेज के रूप मे ट्रांसफर करता है. वर्चुअल नंबर को अलग-अलग टेलीफोन नंबरों पर कॉल के लिए भी सेट किया जा सकता है. वर्चुअल नंबर डायरेक्ट इनवर्ड डायलिंग (DID) या VOIP या एक्सेस नंबर के नाम से भी जाना जाता है. वर्चुअल प्राइवेट नंबर एक टेलीफोन नंबर होता है, जो किसी भी पूर्व-निर्धारित टेलीफोन नंबर पर आने वाली कॉल को आगे बढ़ाता है.

क्लाउड सिस्टम का भाग है वर्चुअल कॉलिंग

वर्चुअल कॉलिंग एक क्लाउड सिस्टम का भाग है जो इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से चलता है. इसका उपयोग दुनिया में कहीं भी बातचीत के लिए किया जा सकता है. कोई भी उपयोगकर्ता किसी भी देश से किसी भी देश में कॉल कर सकता है. गौरतलब है कि जेल में बंद माफिया तक मोबाइल फोन आसानी से पहुंच जाते हैं और वर्चुअल नंबर के जरिये अब ये विदेशों में भी बात करने लगे हैं.

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सुकेश चंद्रशेखर भी करता था इस्तेमाल

यह पहला मामला नहीं है जब तिहाड़ जेल में वर्चुअल कॉलिंग और मोबाइल फोन के इस्तेमाल का मामला सामने आया है. इससे पहले भी सुकेश चंद्रशेखर के मामले में ऐसा देखने को मिला था. सुकेश चंद्रशेखर टेलीग्राम का इस्तेमाल करता था. वह करोड़ों रुपये की वसूली के लिए वर्चुअल नंबरों और कॉल स्पूफिंग के जरिये फोन कॉल करता था.

 

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