नक्सल मोर्चे पर बुधवार को सुरक्षा बलों को दोहरी सफलता मिली है. एक ओर महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में दो महिला नक्सली ढेर हो गईं. वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 12 नक्सलियों ने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का ऐलान कर दिया. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में 9 ऐसे हैं, जिन पर कुल 18 लाख रुपए का इनाम घोषित था.
गढ़चिरौली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बुधवार सुबह एक विश्वसनीय सूचना मिली थी कि माओवादियों के गट्टा एलओएस (स्थानीय संगठन दस्ता) के कुछ सदस्य एटापल्ली तालुका के मोडास्के गांव से सटे जंगल में छिपे हुए हैं. इस इनपुट के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सी-60 कमांडो की पांच इकाइयों के साथ अहेरी से एक बड़ा अभियान शुरू किया. इसमें सीआरपीएफ की भी एक टुकड़ी शामिल हुई.
सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम जंगल में तलाशी अभियान चलाने लगी. इसी दौरान नक्सलियों ने अचानक उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की और कुछ देर चली इस मुठभेड़ के बाद दो महिला नक्सलियों के शव बरामद किए गए. वहां से एके-47 राइफल, अत्याधुनिक पिस्तौल, गोला-बारूद और भारी मात्रा में नक्सली साहित्य जब्त किया गया. पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन अभी जारी है.
दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली. यहां 12 नक्सलियों ने पुलिस और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें पांच महिलाएं भी शामिल हैं. इनमें सुद्रेन नेताम (41) और धोबा सलाम जैसे कुख्यात नक्सलियों के नाम शामिल हैं, जो माओवादी क्षेत्रीय समिति के सदस्य थे. दोनों पर 5-5 लाख रुपए के इनाम का ऐलान किया गया था.
नारायणपुर के एसपी रॉबिन्सन गुरिया ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने संगठन से मोहभंग का कारण बताया. उन्होंने कहा कि माओवादी विचारधारा खोखली हो चुकी है. स्थानीय आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ गए हैं. प्रतिबंधित संगठन के भीतर आंतरिक मतभेद चरम पर हैं. महिला नक्सलियों ने खुलासा किया कि संगठन के भीतर उनकी स्थिति बेहद खराब है. उनका शोषण किया जाता है.
इतना ही नहीं कई बड़े नक्सली नेता उन्हें झूठे वादा करके उनको निजी गुलामों की तरह इस्तेमाल करते हैं. नक्सलियों ने साफ किया कि माओवादी नेता ही आदिवासियों के असली दुश्मन हैं. वे जल, जंगल और जमीन की रक्षा के नाम पर गुमराह करते हैं, जबकि असलियत में उनका शोषण और गुलामी करते हैं. सरकार की नीति के अनुसार, सभी आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50-50 हजार की सहायता राशि दी गई है.
उन्हें पुनर्वास योजनाओं का भी लाभ मिलेगा. इस साल अब तक केवल नारायणपुर जिले में 177 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं. गढ़चिरौली और नारायणपुर में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. एक ओर जंगल में हथियारबंद लड़ाई कमजोर पड़ रही है, वहीं दूसरी ओर संगठन की खोखली विचारधारा और शोषण से तंग आकर नक्सली आत्मसमर्पण का रास्ता अपना रहे हैं.