गाजा में चल रही लड़ाई के बीच इजरायल और लेबनान में भी भीषण जंग छिड़ने के आसार दिख रहे हैं. इजरायल के युद्धक विमानों ने सोमवार की देर रात दक्षिणी लेबनान के बंदरगाह शहर सिडोन के पास गाजियाह में हवाई हमले किए हैं. हिजबुल्लाह के हथियार डिपो को निशाना बनकर हुए इस हमले में 14 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके साथ ही कई इमारतों में भयंकर आग लग गई. प्रत्यक्षदर्शियों ने कई तेज धमाकों की आवाजें सुनने की भी बात कही है.
गाजियाह शहर के चारों ओर धुएं का गुब्बार भी देखा गया. यह शहर पोर्ट सिटी सिडोन के ठीक दक्षिण में और इजराइल की सीमा से करीब 60 किलोमीटर उत्तर में मौजूद है. लेबनान के संसद सदस्य ओसामा साद ने कहा कि इजरायल अब तक गाजा में कुछ भी नहीं कर पाया. लेबनान में भी कुछ हासिल नहीं होने वाला है. वो लेबनानी और फिलिस्तीनी लोगों को डराने के प्रयास में नागरिकों को निशाना बना रहा है. लेकिन उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं होने वाला है.
इजरायली सेना का कहना है कि उसने ये हमले सोमवार को उत्तरी इज़रायल के तिबरियास शहर पर हुए ड्रोन हमले का बदला लेने के लिए किया. लेबनान के हथियारबंद संगठन हिज़्बुल्लाह ने इस हमले की कड़ी निंदा की है. इसके साथ ही कहा कि इजरायल को इसकी कीमत चुकानी होगी. पिछले साल 7 अक्टूबर को शुरू हुए गाजा में संघर्ष के साथ ही इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच झड़पें शुरू हो गई थी. अब तक लेबनान में 254 लोग मारे जा चुके हैं.
फिलिस्तीनी इलाकों पर इजरायली कब्जे को लेकर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. नीदरलैंड्स के हेग में मौजूद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस इस बात की सुनवाई कर रहा है कि 1967 में छह दिन के युद्ध के बाद इजरायल ने फिलिस्तीन के इलाको में जो क़ब्ज़ा किया, वो वैध था या नहीं? अंतरराष्ट्रीय न्यायलय में ये सुनवाई 26 फरवरी तक चलेगी. इसमें 50 से ज्यादा देश दलीलें पेश करेंगे. सुनवाई के पहले दिन फिलिस्तीन के राजनयिकों और वकीलों ने अपना पक्ष रखा.
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कोर्ट की कार्यवाही में शामिल हुए फिलिस्तीन के विदेश मंत्री ने वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम पर इजरायली कब्जे को अवैध बताया और दो राष्ट्र सिद्धांत को बनाने में मदद की अपील की है. फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने कहा, "आज अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ऐतिहासिक कार्यवाही की शुरुआत हुई. इजराइल के औपनिवेशिक कब्जे वाले शासन की संपूर्ण व्यवस्था आज परीक्षण के दौर में है. सिर्फ रंगभेद, उपनिवेशवाद और उत्पीड़न ही नहीं जिसे वह बेरहमी से फिलिस्तीनी लोगों पर थोप रहा है.''
20 साल पहले भी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में ऐसे ही एक केस की सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने कहा था कि वेस्ट बैंक में इजरायल की बनाई दीवार से अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन हुआ है. इजरायल ने इस फैसले को तब नजरअंदाज किया था. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक आईसीजे के फ़ैसले बाध्यकारी तो होते हैं, लेकिन ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे उन्हें लागू करवाया जा सके. ऐसे में इजरायल अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को नकारता रहा है. इस बार भी ऐसी ही उम्मीद है.